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चीन का नहीं अब फिर से अमेरिका का प्यादा बनेगा पाकिस्तान

आखिरकार अविश्वास प्रस्ताव से बेताज हुए इमरान खान
पाकिस्तान की कमान संयुक्त विपक्ष के शाहबाज शरीफ के पास

पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से बेताज इमरान, प्रधानमंत्री होंगे शहबाज शरीफ

 

नवाज शरीफ व जनरल मुशर्रफ लौट सकते हैं पाकिस्तान!

 

प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम  से देव सिंह रावत

आखिरकार 3 साल के शासन के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बेताज करने में 9 अप्रैल की मध्य रात्रि को संयुक्त विपक्ष सफल रहा। पाकिस्तानी संसद में इमरान सरकार के खिलाफ174 मतों से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर इमरान की सरकार को परास्त कर दिया।
इमरान खान के दल ने किया अविश्वास प्रस्ताव का बहिष्कार। संयुक्त विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ बनेंगे प्रधानमंत्री। इमरान ने खाली किया प्रधानमंत्री आवास। 11 अप्रैल को संयुक्त विपक्षी दल की संसदीय दल की बैठक होगी जिसमें शाहबाज शरीफ को पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री चुनने की अबादत होगी।
इमरान खान को अपदस्थ करने के बाद संयुक्त विपक्ष के नेता व प्रधानमंत्री के प्रबल दावेदार शाहबाज शरीफ ने दो टूक शब्दों में कहा कि उनकी सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी। निर्दोष लोगों को जेल में नहीं डाला जाएगा ।परंतु कानून अपना काम करेगा।
वहीं पाकिस्तान सरकार के अपदस्थ होने पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान 3 साल से निकम्मी सरकार का बोझ उठा रहा था अब वह उतर गया। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ ने इमरान सरकार के पतन पर कहा कि पाकिस्तान के इतिहास का सबसे काला दौर समाप्त हो गया है।
वहीं ईरान की पार्टी के सांसद मोहम्मद अली ने कहा की उनका नेता दो तिहाई बहुमत लेकर फिर से सत्तासीन होगा। इमरान खान की सहयोगी व पाकिस्तान के पूर्व मंत्री शाह मसूद कुरेशी ने कहा कि विदेशी ताकत ने देश को अस्थिर कर दिया। इसके साथ प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने वाली शाहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान लोकतंत्र के लिए नया सवेरा आया। पाकिस्तान की सबसे बड़ी प्रांत पंजाब की तीन बार मुख्यमंत्री रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई शाहबाज शरीफ ने कहा कि अब पाकिस्तान के मुस्कुराने की दिन फिर लोटे।

उल्लेखनीय है कि 342 सदस्य पाकिस्तानी संसद में बहुमत के लिए 172 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। हालांकि इमरान खान की दल के दो दर्जन के करीब विद्रोही सदस्यों व समर्थक चलो की नाता तोड़ने के बाद संयुक्त विपक्ष के पास 199 सदस्यों के समर्थन की अटकलें लगाई जा रही थी।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर 9 अप्रैल को पाकिस्तान की संसद मेंअविश्वास प्रस्ताव में देर रात 12:30 बजे हुए मतदान से पहले संसद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा। इस्तीफा देने से पहले संसद के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा विदेशी ताकत के उस पत्र को भी अपने हाथों में लहराया जिस पर पाकिस्तान को धमकाने का उल्लेख है इसी पत्र के आधार पर संसद के उपाध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव को मतदान से पहले खारिश करके इसी बीच विदेशी ताकतों द्वारा पाकिस्तान इस सरकार को अपदस्थ करने का षड्यंत्र बताया।

उल्लेखनीय है कि इसी साल 3 अप्रैल को पाकिस्तान में विपक्ष की अविश्वास प्रस्ताव में हार जाने कि भय से भयभीत इमरान खान ने संयुक्त विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले राष्ट्रपति को पाकिस्तान की संसद भंग करने की सलाह दी जिसे राष्ट्रपति ने मान कर संसद को भंग कर 90 दिनों के अंदर पाकिस्तान में नई सरकार चुनने के लिए चुनाव कराने का ऐलान किया। अपने निर्णय को सही बताते हुए इमरान खान ने विपक्ष को चुनौती दी थी कि कि देश की जनता ही फैसला करेगी कि वह सब ठीक हैं या विपक्ष। इमरान खान ने विपक्ष को फटकार लगाते हुए कहा कि उनमें जनता से जनादेश लेने की हिम्मत नहीं है। इसके साथ इमरान खान ने साफ शब्दों में कहा कि वह भी पाकिस्तान को किसी विदेशी ताकत की कठपुतली ना बनाकर भारत की तरह स्वतंत्र विदेश नीति वाला देश बनाना चाहता है। जो अपने देश के हित पर विदेश नीति तय करें न कि किसी विदेशी ताकत के इशारे पर नाचे।

इसके बाद आक्रोशित विपक्ष ने पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में इस गंभीर विषय पर फैसला सुनाते हुए राष्ट्रपति के संसद भवन के आदेश को पलटते हुए फिर से अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान करने का फरमान जारी कर दिया।
इस प्रकार पाकिस्तान में इस पखवाड़े हो रही राजनीतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप करने में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णायक भूमिका अदा कर एक प्रकार से इमरान की आशाओं पर वज्रपात कर उन्हें बेताज करने की विपक्ष की राह आसान कर दी।
इमरान के अपदस्थ होने के बाद क्यों साफ हो गया है कि कुछ ही दिनों में ब्रिटेन में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ फिर पाकिस्तान में लौट आएंगे ऐसी भी अटकलें लगाई जा रही है कि पूर्व तानाशाह जनरल मुशर्रफ पाकिस्तान लौट सकते हैं।
इसके साथ यह अटकलें भी लगायी जा रही है कि पाकिस्तान अब फिर अपनी पुरानी राह यानी अमेरिका परस्त नीति का ही अनुसरण कर चीन से इमरान काल में हुई मित्रता का चौला उतार फेंकेगा। उल्लेखनीय है कि भले ही पाकिस्तान में इमरान शासनकाल में अमेरिका की बजाय चीन का डंका पाकिस्तान में बजने लगा था इसके बावजूद पाकिस्तान ने तंत्र पर वह सेना पर अमेरिका की पकड़ बरकरार थी इसी कारण इमरान खान को अपदस्थ होना पड़ा। उल्लेखनीय है कि इमरान खान यूक्रेन युद्ध के समय रूस पहुंचकर राष्ट्रपति पुतिन को अपना समर्थन देने वाले विश्व की पहले शासनाध्यक्ष थे। इस कारण अमेरिका पाकिस्तान से बुरी तरह से खफा हो गया था।
अब पाकिस्तान के बदले हुए सियासी समीकरण से भले ही पाकिस्तान व भारत के सियासी रिश्तो में कोई रत्ती भर भी परिवर्तन नहीं होने वाला है। क्योंकि पाकिस्तान का जो भी शासक होगा वह भारत विरोधी जहर ही उगलेगा। परंतु अमेरिका और चीन के बीच में फंसा पाकिस्तान भारत के लिए सदा ही सर दर्द रहेगा। जब तक भारत की शासक भारत विरोधी पाकिस्तान चीन से सभी संबंध तोड़ कर उसको उसी की भाषा में कड़ा जवाब नहीं देंगे तब तक पाकिस्तान व चीन से भारत के संबंध नहीं सुधर सकते।

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