दुनिया देश

शक्ति की उपासना से होगा भारत सहित विश्व का कल्याण

धन, पद, स्वार्थ ,गुलामी व दलों के कहार बनने से हो रही है भारत की शर्मनाक दुर्दशा!

देवसिंह रावत

विश्व में इन दिनों सनातन धर्मी अनंतकाल से  मॉ आदि शक्ति भगवती माता की आराधना कर रहे है।प्रकृति का  उल्लास पर्व बसंत रितु के आगमन पर 9 से 17 अप्रैल 2024 तक चैत्र  नवरात्रे, में मॉ भगवती यानि शक्ति की पूजा अर्चना पूरी श्रद्धा से मनाया जा रहा है।

विश्व की तमाम जनसंख्या का 15 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाला सनातन धर्मी वेसे संसार के कई देशों में विश्व में 120 करोड से अधिक संख्या में रहते है। सबसे अधिक प्रतिशत नेपाल में 81.3प्रतिशत यानि 2.34 करोड़, भारत में 104करोड़ व मॉरिशस में 48.5प्रतिशत यानि 6.25 लाख देश में रहते हैं। सवाल यहां सबके मन में यह सवाल उठ रहा है कि संसार में सबसे अधिक जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाले ईसाइ व मुस्लिम धर्म के बाद सनातन धर्मी तीसरे स्थान पर होने के बाबजूद समृद्ध सांस्कृतिक, आर्थिक व आध्यात्मिक दृष्ठि से काफी समृद्ध होने के बाबजूद यहां के आम जनता की स्थिति दयनीय क्यों है?
मॉ आदि शक्ति भगवती का आवाहन ही सभी देवी देवताओं ने तब भी किया जब महाबली राक्षसों ने पूरी सृष्टि को त्रास दे कर हाहाकार मचाया हुआ था। महिषासु व रक्तबीज सहित तमाम दुनिया को त्रास व संताप देने वाले असूरों से मॉ भगवती ने मुक्ति दिला कर सृष्टि को अभयदान दिया। आज के समय में सनातन धर्म के प्रमुख ध्वजवाहक भारत की दुर्दशा देख कर आम जनों के दिलो दिमाग में यही प्रश्न उठता है कि आखिर शक्ति के उपासक भारत में इतनी कायरता, खुदगर्जी व भ्रष्टाचार रूपि नैतिक पतन कैसे हो गया? यहां चारों तरफ देश, समाज, शिक्षा, शासन व धर्म आदि प्रमुख व्यवस्था संचालन में कालनेमियों का शिकंजा कस गया है। जिससे जहां आम लोगों का जीना दुश्वार हो गया है वहीं देश निरंतर पतन के गर्त में धंस रहा है। इसका मूल कारण भारत की आत्मा का प्रतीक सनातन धर्मी अपने सनातनी परंपराओं से विमुख हो गया है। वह शक्ति यानी सत्, न्याय, ज्ञान व  सबके कल्याण के लिये सदैव समर्पित रहने के बजाय धन, पद, स्वार्थ ,गुलामी व दलों के कहार बन कर पथभ्रष्ट हो गया है। इसी विकृति के कारण भारत में समाज में हर प्रमुख संस्थान कालनेमियों के शिकंजे में जकड़ गये है। आम आदमी से शिक्षा, रोजगार, न्याय, शासन व सम्मान दूर हो गया है। इससे जहां देश कमजोर हो गया है। इससे  भारत की शर्मनाक दुर्दशा हो गयी है। इसी से पूरे विश्व को दिशा  देने वाले भारत का पथभ्रष्ट व कमजोर होने से दुनिया दिशाहीन, आतंक, शोषण व अन्याय के शिकंजे में जकड कर त्राही त्राही कर रही है। आज दुनिया में चारों तरफ अत्चाचारी व हैवानियत ताकतों के बर्चस्व के कारण जहां एक तरफ अपने शक्ति मद में चूर अमेरिका अपने बर्चस्व के लिये रूस पर शिकंजा कसने के लिये यूक्रेन को अपने प्यादे जैलेन्सकी के द्वारा तबाह करा रहा है। वहीं गाजा इजराइल में विनाशकारी नरसंहार के साथ ईरान व इजराइल युद्ध की हुंकार से विश्व सहम गया है। कोरिया व ताईवान प्रकरण जहां दुनिया में अमेरिका व चीन के बर्चस्व की जंग में धधक रहे है। ऐसे में संसार को इस प्रकार के संकट से उबारने के लिये विश्व को सही दिशा देने में समर्थ भारतीय संस्कृति ‘का मजबूत होना बेहद जरूरी है। भारत तब तक मजबूत नहीं हो सकता जब तक वह भारतीय संस्कृति के प्राण शक्ति के मूल तत्व को आत्मसात न करे। शक्ति को आत्मसात करने से भारत जहां आतताई, आतंकी, भ्रष्टाचारी व भारत विरोधी पदलोलुपु तत्वों पर अंकुश लगा सकता है। इसके लिये अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी त्याग कर देश के पूरे तंत्र को भारतीय भाषा व भारतीय शिक्षा से संचालित करना चाहिये। देश में व्याप्त पदलोलुपता व निहित स्वार्थ के साथ दलीय गुलामी की प्रवृति का त्याग भारतीय तभी कर पायेगे। इससे देश में व्याप्त कायरता भी दूर हो जायेगी। भारतीय व्यवस्था में ऐसी कायरता के कारण देश में भारत द्रोही तत्व सर उठा रहे हैं और उनको शर्मनाक संरक्षण दिया जा रहा है। सत व न्याय के बजाय आम जनमानस अपने स्वार्थो के लिये जाति व स्वार्थ के लिये दलीय बंधुआ मजदूर बन गये है। इनकी निष्टा देश व सत के बजाय दल व पदो के लिये समर्पित रहते है।

मॉ भगवती का बीज मंत्र है-
ओम ऐं ह््रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे -ओम ऐं ह््रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
इसके साथ मॉ की आराधना इस मंत्र ‘ नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः। नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियतारू प्रणताः स्मताम्’ के स्मरण करते हुये पूजा अर्चना की जाती है।
मॉ भगवती के 9 रूप इस प्रकार से है। 9 दिनों का नवरात्रा पर्व इस प्रकार से है।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी।
तृतीय चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेति चतुर्थकम्।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रि महागौरीति चाऽष्टम।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः।

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि जो कि इस बार 8 अप्रैल को देर रात 11 बजकर 50 मिनट पर लगेगी और अगले दिन यानी 9 अप्रैल को रात के समय 8 बजकर 30 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। चैत्र  नवरात्रि का पहला व्रत 9 अप्रैल 2024 को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग भक्तों की मनोकामनायें पूर्ण करने वाली मानी जाती है। नवरात्रा पर्व में मॉ आदि शक्ति को हर दिन इन नामों से पूजा अर्चना की जा रही है।
चैत्र  नवरात्रि प्रतिपदा तिथि व्रत 9 अप्रैल 2024 – मां शैलपुत्री
चैत्र  नवरात्रि द्वितीया तिथि व्रत 10 अप्रैल 2024 – मां ब्रह्मचारिणी
चैत्र नवरात्रि तृतीया तिथि व्रत 11 अप्रैल 2024 – मां चंद्रघंटा
चैत्र  नवरात्रि चतुर्थी तिथि व्रत 12 अप्रैल 2024 – मां कुष्माण्डा
चैत्र नवरात्रि पंचमी तिथि व्रत 13 अप्रैल 2024 – मां स्कंदमाता
चैत्र  नवरात्रि षष्ठी तिथि व्रत 14 अप्रैल 2024 – मां कात्यायनी
चैत्र  नवरात्रि सप्तमी तिथि व्रत 15 अप्रैल 2024 – मां कालरात्री
चैत्र नवरात्रि अष्टमी तिथि व्रत 16 अप्रैल 2024 – मां महागौरी
चैत्र  नवरात्रि नवमी तिथि व्रत 17 अप्रैल 2024 – मां सिद्धिदात्री

प्रकार नवरात्रों का पावन पर्व पूरे विश्व में सनातन धर्मी बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। परंतु शक्ति के मूल तत्वों को आत्मसात करने के बजाय स्वार्थ पदलोलुपता और दिशा हीनता में लिप्त रहने के कारण भारतीय समाज व राष्ट्र का पतन हो रहा है। भारतीय संस्कृति में भगवान राम, श्री कृष्ण, भगवान शिव व मां भगवती सदैव ही शक्ति के प्रतीक हैं।

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