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देश को मुफ्त खोरी के गर्त में धकेलने बजाय शिक्षा, चिकित्सा, न्याय व रोजगार का ढांचा सुधारे सरकार

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज वितरण की अवधि को 6 महीने के लिए बढाने का निर्णय लिया।

देव सिंह रावत

इसी सप्ताह केंद्र सरकार ने 4 राज्यों की विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली अपार सफलता से गदगद होकर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज वितरण की अवधि को 6 महीने के लिए बनाने का निर्णय लिया।
वहीं पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब में एक सीमा तक बिजली मुफ्त देने का ऐलान किया है।
सरकारों द्वारा इन योजना को आगे बढ़ाए जाने पर सवाल उठ रहे हैं कि सरकारें जनता को लोक लुभावने मुफ्त खोरी के प्रलोभनो में फंसा कर भले ही देश प्रदेश की सत्ता पर आसीन हो जाए परंतु इससे देश के हित मजबूत होने के बजाय देश को भारी नुकसान हो रहा है। कोरना काल में तालाबंदी के दौरान किए हुए योजना सराहनीय रही ।परंतु इसको वर्षों तक बढ़ाकर न देश के गरीबों का कल्याण होगा व नहीं देश का। देशकाल परिस्थितियों के अनुसार सरकार को अपने निहित स्वार्थ से उठकर देश के हित के लिए ठोस निर्णय लेने चाहिए।
वंचित, गरीब व असहाय लोगों को अनाज आदि खाद्यान्न व सरकारी संरक्षण मिले इसमें किसी को भी एतराज नहीं है ।परंतु आम जनता को मुफ्तखोरी के जाल में फंसा कर देश में अकर्मण्यता बढ़ने के साथ देश का शासन कल्याणकारी व्यवस्था देने में असफल है। देश के नागरिकों को स्वाबलंबी बनाने के बजाय मुफ्त खोरी के जाल में फंसा कर पतन के गर्त में धकेलने का कृत्य जानबूझकर सत्ता पर काबिज होने के लिए किया जा रहा है।
जिससे सीमांत किसान मजदूर खेत खलिहान व अपने रोजगार से मुंह मोड़ रहे हैं । जिससे देश की सुरक्षा पर खतरा मंडराने के साथ-साथ, शिक्षा, चिकित्सा, न्याय व रोजगार आदि से लोग वंचित रह रहे हैं। जिससे सामाजिक ताना-बाना बिखराव की तरफ बढ़ रहा है। सरकार द्वारा सुशासन न दिए जाने के कारण लोगों में नशाखोरी, भ्रष्टाचार व अपराध को बढ़ावा मिल रहा है।
आम जनता, सरकारी उदासीनता से शिक्षा, चिकित्सा, न्याय और रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है।
सरकार को चाहिए कि लोक लुभावने कार्यों के बजाय देश की पूरी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए शिक्षा चिकित्सा न्याय और रोजगार के क्षेत्र में विशेष ध्यान दें।
हैरानी की बात यह है कि देश के आम नागरिक को शिक्षा चिकित्सा न्याय और रोजगार सहजता से मिले इस तरफ सरकारों का ध्यान ना के बराबर है।
आजादी के 75 साल बाद भी शिक्षा के नाम पर भारतीय भाषाओं से वंचित रखने का राष्ट्रद्रोही षड्यंत्र शर्मनाक ढंग से जारी है। देश को लूटने वाली फिरंगी भाषा तंत्र का शासन अंग्रेजों से मुक्त होने के 75 साल बाद भी शर्मनाक ढंग से देश पर काबिज है।
देश अंग्रेजों से मुक्त होने के बाद भी शिक्षा रोजगार न्याय सबकुछ अंग्रेजी भाषा की गुलामी धोने के लिए मजबूर है।
शिक्षा के प्रति देश की सरकारों का कितना उदासीन नजरिया रहा इसका जीता जागता उदाहरण है देश में शिक्षा, चिकित्सा व न्याय की अराजक कुव्यवस्था। आम देश का आम गरीब आदमी को मानक शिक्षा, चिकित्सा व अन्याय के साथ रोजगार एक प्रकार से बहुत ही दुर्लभ हो गया है। सबका क्रूर बाजारीकरण किया गया है देश के आम नागरिकों और व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए सबसे असरदार कारक शिक्षा चिकित्सा न्याय युवा रोजगार ही वह तो यह हैं। जागरूक व कल्याणकारी व्यवस्था अपने नागरिकों को अनिवार्य निशुल्क शिक्षा चिकित्सा न्याय का प्रबंध करती है। इसके साथ कल्याणकारी व्यवस्था की स्थापना करके देश के विकास के साथ सब को रोजगार भी उपलब्ध कराती है। सरकार ने खुले बाजार के हाथों सारी व्यवस्था सौंप कर देश और नागरिकों का जीना दुश्वार कर दिया है। आज 75 साल बाद भी देश का आम जनमानस देश प्रदेश व नागरिक हितों के लिए मतदान करने की बजाय दलों के लोक लुभावने वायदे जाति, क्षेत्र, संप्रदाय व दलगत हाथों में फंसकर मतदान करते हैं। इसका मूल कारण यह है कि देश की व्यवस्था आम जनमानस लोकशाही का पाठ ही नहीं पड़ा पाई अगर देश में नागरिकों को उचित शिक्षा प्रदान की जाती तो देश में जाति क्षेत्र व संप्रदाय के नाम पर मतदान करने के बजाए राष्ट्र प्रदेश हितों के लिए आम जनता मतदान करती। जनता जागरूक होती तो सरकारें बढ़ती महंगाई बेरोजगारी हिंसा वह कुशासन से निपटने की पहल करती। यह जागरूकता तभी आती जब देश के आम नागरिकों को राष्ट्रहित की शिक्षा प्रदान की जाती परंतु देश के हुक्मरानों ने देश की जनता को शिक्षा चिकित्सा व न्याय से वंचित करने का षड्यंत्र रचा हुआ है। इसी कारण वह निहित स्वार्थी राजनीतिक दलों के झूठे प्रलोभनो व दलीय मोह में फंस कर देश के साथ अपना भी सत्यानाश कर देते हैं।

उल्लेखनीय है कि पहले प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को कोरोना विषाणु संक्रमण के कारण 2 महीने के लिए आरंभ किया गया था। जिसके लिए 26,602 करोड़ रुपए के खर्च का आकलन लगाया गया था। कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान हुई तालाबंदी में सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के नागरिक जैसे की सड़क पर रहने वाले, कूड़ा उठाने वाले, फेरी वाले, रिक्शा चालक, प्रवासी मजदूर आदि की स्थिति को देखते हुए उन्हें मुफ्त राशन प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से देश में यह कल्याणकारी योजना को लागू किया। परंतु उसके बाद इस योजना को 2022 के सितंबर माह तक बढ़ाया गया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना को 3 माह के लिए बढ़ाने की सूचना अपने ट्वीट के माध्यम से जनता को दी ।उत्तर प्रदेश में लोक कल्याण हेतु संचालित ‘निःशुल्क राशन वितरण’ को अगले तीन माह तक और बढ़ाने का निर्णय आपकी सरकार ने लिया है।

वही इस योजना को 6 माह के लिए बढ़ाने की सूचना वह प्रधानमंत्री का आभार सत्तासीन होने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने ट्वीट के माध्यम से इस प्रकार से दी “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (#PMGKAY) की अवधि 6 माह (अप्रैल-सितंबर, 2022) के लिए बढ़ाने पर प्रधानमंत्री श्री @narendramodi का आभार व्यक्त किया है”।

मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि अंत्योदय के लक्ष्य के साथ चलाई जा रही इस योजना ने उत्तराखण्ड सहित देश के सभी भागों में लोगों के लिए भोजन की सुरक्षा सुनिश्चित की है।
“भारत सरकार के इस निर्णय से समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के लोग लाभान्वित होंगे। #COVID19 में गरीबों के लिए लागू की गई यह योजना सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है”।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत कोरोना काल के तालाबंदी के दौरान से आज तक देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को सरकार मुक्त राशन प्रदान कर रही थी। ऐसा विश्वास है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इसका असर जनमानस पर रहे, इसके लिए सरकार इस योजना को आगे बढ़ा रही है। माना जाता है कि इस योजना के तहत हाल में हुए पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मणिपुर गोवा में जो अपार सफलता भारतीय जनता पार्टी को मिली उसके पीछे इस योजना का भी महत्वपूर्ण हाथ माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा 26 मार्च 2020 को 21 दिन के लॉक डाउन को ध्यान में रखते हुए गरीब जनता को कोई समस्या ना आए इसके लिए आरंभ की है| प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हमारे वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने विभिन्न प्रकार के योजनाओं को प्रधानमंत्री जन कल्याण योजना के अंतर्गत आरंभ किया है योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1.70 करोड़ की धनराशि आवंटित की है प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का लाभ 80 करोड़ लाभार्थियों को प्रदान किया जाएगा।
पीएम गरीब कल्याण योजना शुरू में यह योजना अप्रैल से जून 2020 तक के लिए थी। फिर इसे बढ़ाया गया और नवंबर 2021 तक के लिए इसे लागू किया गया। इस तरह से यह योजना लगातार बढ़ रही है। गरीब कल्याण योजना के तहत 81 करोड़ लोगों को 5 किलो गेहूं या चावल के साथ एक किलो चना हर महीने दिया जाता है।

2020 में भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की गई थी। इस पैकेज के अंतर्गत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से 80 करोड़ राष्ट्रीय खाद सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को अतिरिक्त एवं मुफ्त खाद्यान्न का वितरण किया गया था। इस योजना को महामारी के कारण आई आर्थिक बाधाओं का सामना करने के लिए जरूरतमंद नागरिकों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से आरंभ किया गया था। इस योजना के माध्यम से अंत्योदय योजना एवं प्राथमिकता वाले परिवारों को सामान्य रूप से वितरित किए जाने वाले मासिक खाद्य की मात्रा को दोगुना कर दिया गया था।

इस योजना के पहले चरण से लेकर पांचवें चरण तक लगभग 80 करोड एनएफएसए लाभार्थियों को अनाज वितरित करने के लिए राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को 759 लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया गया है। यह खाद्यान्न खाद सब्सिडी में लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपए के बराबर है। अब तक लगभग 580 लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न लाभार्थियों को वितरित किया गया है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के पांच चरण
प्रारंभ में इस योजना के संचालन की घोषणा केवल 3 माह के लिए की गई थी ।जो कि अप्रैल 2020, मई 2020 तथा जून 2020 था। यह योजना का पहला चरण था। इसके पश्चात जुलाई 2020 से नवंबर 2020 तक इस योजना के दूसरे चरण की घोषणा की गई थी। वर्ष 2021-22 में कोविड-19 महामारी के संकट जारी रहने के कारण अप्रैल 2021 में सरकार द्वारा इस योजना को मई 2021 और जून 2021 की अवधि के लिए विस्तार करने का निर्णय लिया था। यह योजना का तीसरा चरण था। इसके पश्चात सरकार द्वारा इस योजना के चौथे चरण को भी संचालित किया गया जो कि जुलाई 2021 से नवंबर 2021 तक था। इसके पश्चात इस योजना का पांचवा चरण दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक जारी रखने का निर्णय गया है।
देश की सरकार को देश हित में ठोस कार्य करने चाहिए खासकर शिक्षा चिकित्सा न्याय सबको अनिवार्य रूप से उपलब्ध हो ।ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए । शिक्षा, चिकित्सा व न्याय को निजी हाथों में सौंपने के बजाय सरकार को अपने दायित्वों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।

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