Almora उत्तर प्रदेश उत्तराखंड देश

धूमधाम से मनाई गई महान समाज सुधारक व कुशल प्रशासक हरिप्रसाद टम्टा की 135 वीं जयंती

 

दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हाल में आयोजित किया गया समारोह

नई दिल्ली( प्याउ ) । देश की अग्रणी समाज सुधारक वह कुशल प्रशासक हरिप्रसाद टम्टा जी का 135 वी जयंती 26 अगस्त को देश की राजधानी दिल्ली में बहुत धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजसेवियों व शिल्पकार समाज के लोगों के साथ अल्मोड़ा पिथौरागढ़ के सांसद अजय टम्टा व समारोह के आयोजक तमता कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक चंद्र बल्लभ टम्टा ने हरिप्रसाद टम्टा जी की पावन स्मृति को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि देने वालों में उत्तराखंड सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष श्री कृष्ण आर्य,
विदेश व्यापार सेवा के वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी महेश चंद्र, भाजपा नेता, प्यारा उत्तराखंड के संपादक देव सिंह रावत,
अलकनंदा पत्रिका के संपादक विनोद नौटियाल, गृह मंत्रालय के उप निर्देशक सत्येंद्र प्रयासी, रमेश चंद,सी आर आर्य, बीआर आर्य व हरि प्रकाश आर्य सहित अनेक समाज सेवी प्रमुख थे।
समारोह का संचालन उत्तराखंड शिल्पकार टाइम्स के पूर्व संपादक आर्य,
वरिष्ठ समाजसेवी जोगाराम व अन्य समाजसेवी ने किया।
उल्लेखनीय है कि 26 अगस्त 18 87 में
मैं अल्मोड़ा नगर में एक साधारण ताम्रकार परिवार में गोविंद प्रसाद व गोविंदी देवी की पुत्र रत्न की रूप में जन्मे हरि प्रसाद टम्टा न केवल उत्तराखंड के वरिष्ठ समाजसेवी रहे अपितु देश के वंचित शोषित लोगों के हितों के लिए कार्य करने वाले अग्रणी समाज सुधारक भी रहे। मृदुभाषी व विलक्षण प्रतिभा के धनी हरिप्रसाद टम्टा ने आठवीं कक्षा की परीक्षा पास करने के बाद मुंशी हरि प्रकाश टम्टा के नाम से भी विख्यात हुए।
उसके बाद दसवीं की परीक्षा भी उन्होंने उत्तीर्ण की।
उस समय उत्तराखंड के शिल्पकार समाज की स्थिति बहुत दयनीय थी और वे सम्मान और संसाधनों से वंचित थे यह देख कर हरिप्रसाद टम्टा ने गढ़वाल व कुमाऊं दोनों मंडलों की पदयात्रा करके शिल्पकार समाज को एकजुट करके उनको सम्मानित शिल्पकार नाम से शासन-प्रशासन से न्याय दिलाने का काम किया।
इसके साथ हरिप्रसाद टम्टा जी ने अंग्रेजों के शासन के समय शिल्पकार समाज को सेना में भी सम्मलित करने का सफल सराहनीय प्रयास किया। स्वर्गीय टम्टा जी के प्रयास से ही अंग्रेजों ने शिल्पकार समाज के लिए सेना के द्वार खोलते हुए उनके लिए अलग बटालियन पायनियर कोर का गठन किया। इसमें हजारों शिल्पकार समाज के युवाओं को सेना में भर्ती होने का अवसर मिला।

उन्होंने 1925 में कुमाऊं शिल्पकार सभा की भी स्थापना की।इसके साथ 1930 में कुमाऊं और गढ़वाल में 30000 एकड़ भूमि भूमिहीन शिल्पकारों को भी शासन से आवंटित कराया।
इसके साथ ही हरिप्रसाद टम्टा जी ने शिल्पकार समाज में व्याप्त अशिक्षा को दूर करने के लिए कुमाऊं शिल्पकार सभा के माध्यम से गढ़वाल और कुमाऊं में डेढ़ सौ प्राथमिक व रात्रि पाठशाला खोली। इसके साथ समाज में व्यापक जन जागरूकता के लिए उन्होंने समता समाचार नामक साप्ताहिक पत्र का भी प्रकाशन किया। हरिप्रसाद टम्टा जीने न केवल उत्तराखंड के शिल्पकार समाज को एकजुट किया अपितु उन्होंने उत्तर प्रदेश शहीद दिवस के विभिन्न भागों में वंचित उपेक्षित समाज के लोगों को एकजुट करने का भी प्रयास किया उनके सामाजिक कार्य को देखते हुए 1937 में गोंडा उत्तर प्रदेश से निर्विरोध विधायक भी निर्वाचित किया गया।
अल्मोड़ा नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यों का सभी ने मुक्त कंठ से सराहना की।
23 फरवरी 1960 को हरिप्रसाद टम्टा का निधन हुआ।
आज भी उत्तराखंड का समाज उनके कार्यों के लिए उनकी पावन स्मृति को शत-शत नमन करता है।

About the author

pyarauttarakhand5