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नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के साथ-साथ गुलामी त्यागो दिवस के रूप में भी मनायें

 

भारत सरकार ने नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का किया ऐलान

प्यारा उत्तराखंड डाट काम

भारत को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्त करने के लिए विगत 21अप्रेल 2013 से सतत् ऐतिहासिक संघर्ष करने वाले भारतीय भाषा आंदोलन ने केंद्र सरकार द्वारा भारत की आजादी के सर्वोच्च महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने को ऐतिहासिक भूल को सुधार करने वाला कदम बताते हुए इसका स्वागत किया ।
भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देव सिंह रावत ने मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि 74 साल से भारत सरकार द्वारा विस्मृत किए गए आजादी के महानायक सुभाष चंद्र बोस की जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का सराहनीय कार्य है । उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया कि आजादी के महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन पराक्रम दिवस के साथ-साथ गुलामी त्यागो दिवस के रूप में भी मनाया जाना चाहिए।
क्योंकि सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजो के खिलाफ आजाद हिंद फौज की कमान संभालते हुए देश की आजादी के लिए जो खुली जंग छेड़ी थी।
आजाद हिंद सरकार की स्थापना कर आजादी का ऐलान भी किया था। जिसे संसार के 9 से अधिक देशों में समर्थन में दे दिया था और कई मोर्चों पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंक कर दिल्ली चलो का नारा दिया था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस केवल मात्र पराक्रमी नहीं थे। अपितु वे देश की आजादी के पहले व एकमात्र सर्वोच्च महानायक थे जिन्होंने अंतिम सांस तक गुलामी को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त न करके अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ सशस्त्र सेना बना कर आजादी की खुली जंग छेडी।परन्तु दूसरे विश्व युद्ध में अंग्रेजी हुकूमत के गठबंधन की जीत के कारण नेता जी ने रहस्यमय ढ़ग लापता होकर कुशल सेनापति की तरह गठबंधन के हाथ में नहीं आये।
परन्तु अंग्रेजों से मुक्त होने के बाद देश की सत्ता में आसीन सरकारें निहित स्वार्थ के लिये या मित्र राष्ट्रों के भय से नेता जी की शर्मनाक उपेक्षा करने की धृष्टता करती रही।
अंग्रेजों के दबाव में ही भारत की सरकारों ने अभी तक न तो देश को अपनी भाषा ही दी व न ही देश को अपना नाम दिया। बेशर्मी से देश को अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी व थोपने नाम इंडिया की गुलामी जारी रखी है। इससे देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले शहीदों की शहादत के साथ देश का भी अपमान है।
मोदी सरकार ने सत्तासीन होने के बाद नेता जी का विस्तृत किया गया गौरवशाली सम्मान देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाये। नेता जी से संबंधित गोपनीय दस्तावेज प्रकाशित किए गए। आज सरकार ने नेता जी की जयंती को हर साल राष्ट्रीय स्तर से बडे धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया।

आज केंद्र सरकार ने इस निर्णय का ऐलान एक राजपत्र अधिसूचना निकालकर किया । इसके तहत देश  इसी 23 जनवरी को उनके जन्मदिवस पर देश के प्रधानमंत्री सहित पूरा राष्ट्र उनके महान पराक्रम को नमन करते हुए जयंती को बहुत ही धूमधाम से मनायेंगे। आज इसका ऐलान केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने दिल्ली में विशेष संवाददाता सम्मेलन में किया। उन्होंने ने ऐलान किया कि नेता जी की 125वीं की जयंती के अवसर पर 23जनवरी 2021को प्रधानमंत्री मोदी कोलकाता में इस कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे और नेता जी के जन्म स्थान कटक सहित अनेक स्थानों पर भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री भी इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे।
इसके साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन 23 जनवरी को हर साल ‘ पराक्रम दिवस ‘ दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

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