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बातचीत से ही किसानों की समस्याओं का समाधान संभव :उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति ने ‘किसान दिवस’ के अवसर पर की किसानों के साथ बातचीत

खाद्य सुरक्षा और राष्ट्र की प्रगति कृषि पर ही आधारित है : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने खेती को लाभकारी और उपादेय बनाने को कहा

किसानों ने उपराष्ट्रपति के साथ जैविक और प्राकृतिक खेती से उत्पादकता बढ़ाने के अनुभव साझा किए

23 दिसम्बर 2020 नई दिल्ली से पसूकाभास

उपराष्ट्रपति  एम. वेंकैया नायडू ने 23 दिसम्बर को कहा कि किसानों द्वारा उठाए जा रहे सभी मुद्दों का हल बातचीत के जरिए ही निकल सकता है।

हैदराबाद में अपने निवास पर किसान दिवस के अवसर पर प्रगतिशील किसानों के एक दल से भेंट करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी मुद्दे काहल बातचीत के जरिये ही निकाला जा सकता है और साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही बता दिया है कि वो किसान संगठनों के साथ संवाद के लिए सदैव तैयार है।

किसान दिवस पर उन्होंने कहा कि देश की प्रगति और खाद्य सुरक्षा कृषि पर निर्भर हैं, अतः ज़रूरी है कि कृषि को टिकाऊ और लाभकारी बनाया जाये।

किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार द्वारा उठाए कदमों की चर्चा करते हुए श्री नायडू ने कृषि की उत्पादकता बढ़ाने और उसे मौसम परिवर्तन से निरापद बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने फसल विविधीकरण, जैविक खेती को बढ़ाने पर भी जोर दिया।

इस संदर्भ में उन्होंने कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं, कृषि माल ढुलाई तथा कृषि विपणन के लिए जरूरी कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ई-नाम से कृषि उत्पादों के लिए वृहत्तर बाज़ार उपलब्ध हो सकेगा।

मैनेज (एमएएनएजीई) द्वारा किए गए एक अध्ययन को उद्धृत करते हुए उपराष्ट्रपति ने किसानों से आमदनी के अन्य साधन खोजने का आग्रह किया। अध्ययन के अनुसार जिन इलाकों में किसान संबद्ध गतिविधियों और मुर्गी पालन व्यवसाय से जुड़े है वहां किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटनाएं नहीं हुई हैं।

कोविड-19 महामारी के दौरान भी खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन करने के लिए श्री नायडू ने किसानों की सराहनाकी।

किसानों ने भी उपराष्ट्रपति के साथ अपने अनुभव साझा किए।

उन्होंने बताया कि शुरुआती झिझक के बाद जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाने के बाद वे काफी खुश है क्योंकि उन्हें कृषि में विविधीकरण से काफी लाभ मिल रहा है। अब ये किसान कृषि की पारंपरिक पद्धति अपना रहे हैं। उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेती को टेक्नोलॉजी के साथ मिलाने के बाद, कम लागत पर अधिक पैदावार से उनके लाभ में भी इजाफा हुआ है। उन्होंने बाज़ार की उपलब्धता को सबसे जरूरी बताया।

भेंट करने वाले किसानों में कुरनूल जिले के श्री बायरापक्ष राजू 500 प्रकार के बीजों की खेती करते हैं तथा सोशल मीडिया के माध्यम से अन्य किसानों को सलाह भीदेते हैं।

वहीं के किसान दम्पत्ति श्रीमती लावण्या रेड्डी तथा श्री रमन रेड्डीजैविक विधि से धान और दलहन की खेती करते हैं और स्वयं ही उसे बेचते भी है।

रंगारेड्डी जिले के श्री सुखवासी हरीबाबू फल, सब्जी और औषधीय पौधे उगाते हैं।

इस भेंट के अवसर पर पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित तथा रायथू नेष्ठाम के संपादक श्री येदलापति वेंकटेश्वर राव भी उपस्थित रहे।

इससे पहले आज किसान दिवस के अवसर पर उपराष्ट्रपति ने देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी किसानों का अभिनंदन किया और शुभकामनाएं दीं।

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