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16 नवम्बर को 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे नीतीश कुमार

मोदी है तो मुमकिन है से ही पार लगी तेजस्वी के भंवर में फंसी नीतीश की नौका

राजग गठबंधन विधायक दल ने नीतीश को चुना नेता

 

बिहार  विधानसभा चुनाव  में कांटे की टक्कर, राजग ने  राजद महागठबंधन को दी मात

 

राजग-125(भाजपा -74,जदयू-43 ,वीआईपी-4,हम-4) व महागठबंधन(राजद75,कांग्रेस 19व वामपंथी-16)लोजशपा-1,ओवैसी-5 अन्य-2

 

प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के परिणाम के छहः दिन बाद आखिरकार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन विधायक दल की 15 नवम्बर को हुई बैठक मेें नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुन लेने से उन तमाम अटकलों पर विराम लग गया है, जो कायश लगा रहे थे कि बिहार में शायद इस बार नीतीश के बजाय किसी दूसरे को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। यह अटकले हवाई भी नहीं थी। क्योंकि पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद नीतीश की जदयू विधायकों की संख्या की दृष्टि से भाजपा से बहुत पीछे रह गयी है। वहीं इस बार बिहार विधानसभा के चुनाव परिणाम के अनुसार महागठबंधन की सरपरस्ती कर रहे तेजस्वी यादव की राजद पार्टी सदन में सबसे बडे दल के रूप में उपस्थित है। उसके बाद भाजपा व उसके बाद नीतीश की जदयू है। भले ही भाजपा के आला नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान साफ कह दिया था कि इस चुनाव में भाजपा की अधिक सीटें आने के बाबजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेगे। बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम भले ही महागठबंधन के पक्ष में न रहे हों परन्तु कांटे की टक्कर देने वाले राजद व उसके सहयोगी दल कांग्रेस ने भी बिहार में इन्हीं परिणामों का लाभ उठाते हुए राजग में सेंध लगा ने के साथ सरकार बनाने के संभावनायें टटोलनी शुरू कर दी। परन्तु महागठबंधन की इस तिकडम को जमीदोज करते हुए छटवें दिन में ही बिहार की कमान पुन्नः नीतीश के हाथों में सौंप कर महागठबंधन की मंशा पर पानी फैर दिया।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के परिणाम सामने आने के बाद सरकार के गठन के लिए 15 नवम्ंबर को मुख्यमंत्री आवास पर भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह की उपस्थिति में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बैठक हुई। इसमें नीतीश कुमार को राजग के नेता के रूप में चुना गया। वहीं कटिहार के चुने गए विधायक तारकेश्वर प्रसाद को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया तथा रेणु देवी को उपनेता के रूप में चुना गया इसी बैठक में तय किया गया कि 16 नवम्बर को नीतीश कुमार 7वीं बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे।

उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में  10 नवंबर की प्रात 8:00 बजे से देर रात तक हुुई मतगणना के  नतीजों ने मतदान के बाद
खबरिया चैनलों द्वारा किए गए तमाम सर्वेक्षणों को दरकिनार करते हुए बिहार में एक बार फिर मोदी और नीतीश का डंका बज गया।

243 विधानसभा सीट वाले बिहार विधान सभा चुनाव 2020 की मतगणना का  परिणाम  राजग ने कांटे के मुकाबले में  महागठबंधन को  मात दी ।

चुनाव आयोग ने 10  नवंबर की मध्य रात्रि को बिहार विधान सभा के  चुनाव परिणाम घोषित किये  उसके अनुसार राजग-125(भाजपा -74,जदयू-43 ,वीआईपी-4,हम-4) व महागठबंधन(राजद75,कांग्रेस 19व वामपंथी-16)लोजशपा-1,ओवैसी-5 अन्य-2 रहे। इस चुनाव परिणाम से साफ हो गया जहां बिजयी गठबंधन राजद में भाजपा पहली बार जदयू से बड़ी पार्टी बनी ।भाजपा ने इस विजय को बिहार की जनता द्वारा  प्रधानमंत्री  मोदी के  आत्मनिर्भर बिहार  को पूर्ण समर्थन देना बताया ।वहीं इन चुनाव परिणामों पर पराजित घोषित हुई महागठबंधन ने असंतोष प्रकट करते हुए  इसे सत्तारूढ़ दल द्वारा शासन प्रशासन के सहारे किया  गया पक्षपात बताया। 

बिहार विधानसभा की चुनाव परिणामों के बाद अब 7वीं बार नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे इस विषय पर जहां प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार की जनता का आभार प्रकट किया वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने इस विजय को बिहार की जनता द्वारा परिवारवाद व अंध तुष्टिकरण के खिलाफ विकासवाद की विजय बतायी।

इस चुनाव में सबसे चौंकाने व सजग करने वाले परिणाम मुसलमानों की राजनीति करने वाली ओवैसी की पार्टी को 5 स्थान पर विजयी  होना रहा। इसके साथ ही चुनाव में एक बात साफ हो गई कि भले ही चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी केवल एक स्थान पर विजय हुई पर वह नीतीश की नेतृत्व वाली जदयू  को धूल चटाने में पूरी तरह से कामयाब हुई इसके साथ ही चुनाव परिणामों से एक बात साफ हो गयी कि बिहार में आज सबसे बड़ा जमीनी नेता तेजस्वी यादव है।भले ही मोदी है तो मुमकिन है के चक्रव्यूह में फंस कर तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन  सत्ता से वंचित रहा हो पर बिहार की जनता का भारी जनसमर्थन एक प्रकार नितीश को लोकशाही का आईना ही दिखाना है। अब सतारूढ राजद गठबंधन को बेरोजगारों व जन हितों की उपेक्षा करना कठिन होगा।

हालांकि मतदान के बाद हुई चुनावी अधिकांश सर्वेक्षणों ने जहां महागठबंधन के नायक तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार में राजद का डंका बचना तय माना जा रहा था ।वहीं मतगणना के बाद आए परिणामों ने साफ कर दिया है कि बिहार में भी तेजस्वी के भंवर में फंसी नीतीश की नौका को मोदी है तो मुमकिन है के दाव से ही पार
लगी।
बिहार में आ रहे अप्रत्याशित विधानसभा चुनाव परिणाम
नहीं यह भी साफ कर दिया है कि बिहार की  सत्ता नितीश कुमार के लिए ही बनी है और चुनाव प्रचार के अंतिम दिन जो उन्होंने अपने अंतिम संबोधन में जनता से अपना अंतिम चुनाव बताकर अंत भला हो भला की चाहत रखी थी उनकी लाज मोदी ने बचा ली है।
हालांकि इन चुनाव परिणामों के रुझानों से कुछ तथाकथित नैतिकता वादी आस लगाए हुए हैं कि नीतीश बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल भाजपा को ही मुख्यमंत्री तय करने का अवसर देकर खुद केंद्र सरकार में मंत्री पद ग्रहण करेंगे।  परंतु वह भूल गए कि नीतीश कुमार नैतिकता के बल पर नहीं अपितु अवसरों का सदप्रयोग करके सत्ता में बने रहने का दूसरा नाम है ।इसलिए नीतीश कुमार हर हाल में ही बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी ताजपोशी को बनाए रखने में कामयाब होंगे।
इन चुनाव परिणामों के बाद कुछ धुरंधर यह भी अटकलें लगा रहे हैं कि नीतीश कुमार चंद महीनों के लिए ही बिहार के मुख्यमंत्री रहेंगे, उसके बाद वह भाजपा के दबाव में  आकर केंद्रीय मंत्री बनने के लिए मजबूर होंगे परंतु नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति सी राशि मेंं डालना इतना सहज नहींं है। पलटू राम के नाम से विख्यात नीतीश कुमार अपने वजूूद की रक्षा के लिए कब किसको गच्चा दे दे।

इसका विश्वास किसी को नहीं है देखना अब यह है निकट भविष्य में भाजपा नीतीश पर अंकुश रख सकती है या नीतीश फिर पलटी मार कर भाजपा को एक बार फिर सबक सिखाते हैं।

नीतीश को भी यह समझना होगा अब उसका मुकाबला लालू प्रसाद से ही नहीं अपितु मोदी शाह की जुगल जोड़ी से है जिन्होंने पूरे देश में मोदी है तो मुमकिन है का डंका बजाया हुआ है ।अब आत्मनिर्भरता के लिए  भाजपा के निशाने पर कांग्रेस व राजद होंगी।

 

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