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कोरोना के दंश से उबर रही दिल्ली का एक नजारा —-कोरोना के प्रकोप के बाद पहली बार ली मेट्रो व होटल सेवा,

धीरे धीरे कोरोना के दंश से उबर कर पटरी पर आ रहा है सामान्य जनजीवन

देवसिंह रावत

आज 7 अक्टूबर को कोरोना काल के अंतिम चरण में मैने पहली बार देश की राजधानी दिल्ली की प्राण समझे जाने वाली मेट्रो सेवा व होटल सेवा का लुफ्त उठाया।
आज मुझे किसी कारणवश संसद के समीप जाना पड़ा ।वहां से कार्य निपटाने के बाद मैं संसद के समीप देश के सबसे बड़े पत्रकार क्लब ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ में गया। वहां मुझे राज्य गठन आंदोलन के वरिष्ठ साथी कुलदीप कुकरेती ने मिलना था। दोपहर के 1.00 बजे के करीब जब साथी कुलदीप कुकरेती आए । तो उस समय मैं अपने वरिष्ठ पत्रकार साथी राजेश शुक्ला जी से संक्षिप्त मुलाकात कर रहा था। कुलदीप कुकरेती उत्तराखंड राज्य गठन आंदोलन में हमारे संगठन के पूर्व महासचिव रहे ।वह दिल्ली में होटल उद्यमी भी हैं। मुलाकात के दौरान ज्ञात हुआ कि वे ं लंबे समय से अस्वस्थ थे ।कल ही उन्होंने मुझसे दूरभाष पर बात करके आज की मुलाकात तय की थी। वहां कर्मचारियों से पता चला की अभी कोरोना के दंश से प्रेस क्लब में एक चैथाई सदस्य पत्रकार भी नहीं आते है। नहीं सांयकाल खचाखच भरा रहने वाले प्रेस क्लब में सांयकालीन बार ही गुंजायमान होती। यहां साफ हो गया कि अभी देश की लोकशाही के चार पायों में से एक पाया अभी कोरोना के दंश से नहीं उबरा।
कुछ समय बाद ही हम प्रेस क्लब के बाद हम रायसीना रोड पर ही स्थित चेंम्पसफोर्ड क्लब में भी गये। वहां के प्रबंधन कर्मचारियों से ज्ञात हुआ कि अभी उनका चेंम्पसफोर्ड क्लब शुरू नहीं हुआ। यह क्लब संभ्रांत यानी पैंसे वालों के क्लब के रूप में विख्यात है। कर्मचारियों के अनुसार यहां अधिकांश सदस्या 50 लाख रूपये से अधिक की गाड़ी में आते है। यहां अधिकांश सदस्य 60 वर्ष से अधिक उम्र के है। यह क्लब भी अभी नहीं खुला केवल कर्मचारी ही सीमित संख्या में क्लब खुलने की तैयारी कर रहे है। इस क्लब के कर्मचारी यही कामना कर रहे हैं कि उनका क्लब भी प्रेस क्लब की तरह खुल जाय। यहां पर भी लम्बे तालाबंदी के कारण बड़ा दंश झेलना पडा।
चेंम्पसफोर्ड क्लब से निकलने के बाद हम सीधे जंतर मंतर पंहुचे। वहां पर सुशांत को न्याय दो सहित दो तीन धरने चल रहे थे। वहां हम जंतर मंतर के पुलिस प्रमुख से मिले और उनसे 2 अक्टूबर काला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति को दिये गये ज्ञापन की प्राप्ति प्रति ली। उसके बाद हम भारत में विश्व नगरी के रूप में विख्यात चाणाक्यपुरी गये। विश्व के सबसे सुव्यवस्थित दूतावासी क्षेत्र चाणाक्यपुरी में बैक में गये। वहां बैंक पंहुच कर देखा की बैक में सुरक्षा बल ने बताया कि उनके बैंक में एक कोरोना संक्रमित पाये जाने से आज बैंक बंद है। इसके बाद हम चाणाक्यपुरी स्थित डाकघर गया। वहां भी कोरोना से बचाव के लिए असामान्य प्रबंध किये हुए थे। उसके बाद हम चाणाक्यपुरी से लोधी गार्डन होते हुए बारामुला से नोएडा सेक्टर 15 पंहुचे। वहां सागर रत्ना भोजनालय में हमने खाना खाया। देश में खाना परोसने की सबसे व्यवस्थित व प्रतिष्ठित भोजनालयों में अग्रणी सागर रत्ना में भोजन किया। वहां पर बहुत कम लोग खाना खा रहे थे। यानी लोगों में आज भी कोरोना का भय है।
इसके बाद कार्यालय में जा कर मैं कोरोना काल में पहली बार मेंट्रो में सवार होकर लक्ष्मी नगर पंहुचा। मेट्रों में छटे हिस्से की ही सवारी दिखाई दे रही थी। लम्बे समय तक सड़क, होटल, मेट्रो, रेल, बस, जहाज आदि में तालाबंदी के बाद ये सेवायें कुछ ही दिनों पहले संचालित की गयी। लोग अब धीरे धीरे कोरोना के दंश से उबर कर सामान्य जनजीवन को पटरी पर ला रहे हैं। इसके बाबजूद लोगों के जेहन में एक अदृश्य भय साफ दिखाई दे रहा है।

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