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कोरोना के कारण तय समय से आठ दिन पहले समापन हुआ राज्यसभा का मॉनसून सत्र

नई दिल्ली(प्याउ)।
कोरोना महामारी के साये में चल रहा  252 वां राज्यसभा का सत्र  23 सितंबर की दोपहरी को अपने तय समय से आठ दिन पहले ही समापन कर दिया  गया।उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में आहुत संसद के इस मानसून सत्र के दौरान तमाम सावधानियां अपनाने के बाबजूद कई सांसद कोरोना से संक्रमित पाये गये। जिससे बचाव के लिए संसद के तय समय से पहले ही सदन का यह सत्र समापन करने का निर्णय लिया गया।

राज्यसभा के इस मानसून सत्र के समापन का ऐलान सदन में करते हुए राज्यसभा के सभापति एम वेंकटया नायडू ने सदस्यों को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि राज्य सभा के इस 252 वें सत्र के रूप में ऊपरी सदन ने 100 प्रतिशत से अधिक उत्पादकता देखी ।  कोरोना काल में आयोजित हुए राज्यसभा के इस मानसून सत्र में सांसदों को बैठने की नई व्यवस्था के तहत पांच अन्य स्थानों पर बैठाया गया।  बैठने की यह व्यवस्था पहली बार सदन में हुई। इसके साथ पहली बार सदन बिना किसी अवकाश के  लगातार दस दिनों तक काम किया। मानसून सत्र में राज्य सभा में छह विधेयकों को पेश किया गया। संसद के इस संक्षिप्त मानसून सत्र के दौरान जहां राज्य सभा ने कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक, महामारी संशोधन विधेयक, विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक, जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा आदि विधेयकों को पारित किया या लोटा दिया।
इन उपलब्धियों के बाबजूद सदन में अभूतपूर्व हंगामा हुआ। जिससे उपसभापति काफी व्यथित रहे। इस हंगामें से सदन के सभापति नायडू भी व्यथित दिखे। राज्यसभा में इस सत्र के समापन करने के अवसर पर उन्होने अपनी पीड़ा को बयान करते हुए कहा कि राज्यसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उपसभापति को हटाये जाने का नोटिस दिया गया। इस नियमों के अनुरूप नहीं दिये गये इस नोटिस को उन्होंने खारिज कर दिया । सभापति श्री नायडू ने सदन में हुई घटनाओं को पीड़ादायक बताते हुए सदस्यों से अपेक्षा की कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो और सदन की गरिमा बनी रहेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में यह हंगामा तब हुआ जब ं किसानों के कल्याणार्थ विधेयकों को पारित करते समय राज्यसभा में जो अभूतपूर्व हंगामा हुआ, उसके दोषी आठ विपक्षी सदस्यों को रविवार को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। इससे भी सदन में भारी व्यवधान पैदा हुआ। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में कृषि संबंधी दो विधेयकों के पारित होने के दौरान भारी हंगामा मचा कर सदन की गरिमा को तार तार करने वाले  विपक्षी दलों के 8 सांसदों को इस सत्र की शेष अवधि के लिए  निलंबित कर दिया गया था। निलंबित किए गए सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन व डोला सेन, कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन व  रिपुन बोरा, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम  तथा  आप के संजय सिंह शामिल थेें।

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