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नौसिखिया,अमानवीय व अलौकतांत्रिक रूख के कारण ही सुशांत प्रकरण में हुई महाराष्ट्र सरकार की भारी किरकिरी

सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को करारा झटका देते हुए सुशांत सिंह राजपूत मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी
नई दिल्ली (प्याउ)।  सर्वोच्च न्यायालय ने 19 अगस्त 2020 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए अभिनेता सुशांत राजपूत की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौेत की जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरों को सौंप दी है। हालांकि  इस प्रकरण को केंद्रीय जांच ब्यूरों को सौंपने का महाराष्ट्र सरकार पुरजोर विरोध कर रही थी। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से महाराष्ट्र सरकार की आशाओं में पानी फिर गया अपितु पूरे देश में महाराष्ट्र सरकार व महाराष्ट्र पुलिस की भारी किरकिरी हुई। देश की जनता हैरान थी कि जिस सरकार को गुनाहगारों को शिकंजे में जकड़ने के लिए प्रदेश पुलिस को त्वरित कार्यवाही करने को डपटना था वह सरकार आखिर किसको बचाने के लिए आरोपियों को खुला छोड कर मृतक के पीडित परिवार पर ही निशाना साध रहा है?इससे देश की जनता को लगा कि दाल में अवश्य काला है। पूरा देश सुशांत को न्याय दिलाने के लिए कोरोना के प्रकोप के बाबजूद इंटरनेटी संवाद मंचों पर एकजूट हुआ। उसका इतना व्यापक असर सर्वोच्च न्यायालय ने  भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए जांच को केंद्रीय जांच व्यूरो को  स्थानांतरित कर दी । सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से महाराष्ट्र सरकार इतने सदमे में है कि सत्तारूढ दल का बडबोला प्रवक्ता संजय राउत भी बगले झांकने लगे । इस प्रकरण पर बोलने से बचते हुए उन्होेने कहा कि इस कानूनी कार्रवाई के बारे सरकार में जो कानून के जानकार हैं या मुंबई पुलिस के कमिश्नर या एडवोकेट जनरल ही न्यायालय के फैसले पर बात कर सकते हैं, मेरे लिए इस पर बात करना सही नहीं है।
वहीं इस मामले में बिहार पुलिस की कार्यवाही  व केंद्रीय जांच व्यूरों की जांच का पुरजोर विरोध करने वाले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख भी प्रतिक्रिया देने से बचते रहे।  श्री देशमुख ने  कहा कि सर्वोच्च न्यायालय  का फैसला आया है। आदेश की एक प्रति प्राप्त करने के बाद हम उसके बारे में कोई प्रतिक्रिया देंगे।  वहीं महाराष्ट्र में विरोधी दल भाजपा ने इसे न्याय की जीत बताते हुए महाराष्ट्र सरकार की हार बताया। इसके लिए गृहमंत्री देशमुख के इस्तीफे की मांग भी की।

वहीं सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को देश के 130 करोड़ भारतीयों की जीत बताते हुए बिहार पुलिस प्रमुख श्री पाण्डे ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार पुलिस द्वारा इस प्रकरण में की गयी जांच पर मुहर लगा कर विरोधियों को करारा जवाब दे दिया है। इस प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मृतक सुशांत के पिता श्री सिंह के अधिवक्ता ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए आशा प्रकट की कि अब सुशांत के मौत के गुनाहगार अपने कृत्यों का दण्ड पाने से बच नहीं पायेंगे।

सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का न केवल सुशांत सिंह राजपूत के परिजनों ने खुले दिल से स्वागत किया अपितु इस प्रकरण की सही जांच करने के बजाय इसकी जांच में अवरोध खडे कर रही महाराष्ट्र सरकार व महाराष्ट्र पुलिस के गैर जिम्मेदाराना रूख के खिलाफ पूरा देश इस प्रकरण की जांच  केंद्रीय जांच व्यूरों से कराने के लिए लामबद्ध हो गया था। मुम्बई में फिल्मी अभिनेत्री कंगना सहित देश विदेश के लाखों लोग इंटरनेटी संवाद मंचों से सुशांत को न्याय दिलाने के लिए एकजूट हो गये थे। इस व्यापक जनमत की भावना का सम्मान करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की एकल पीठ  ने अपने फैसले में कहा कि बिहार सरकार इस मामले को जांच के लिये सीबीआई को हस्तांतरित करने में सक्षम थी। उन्होंने कहा कि राजपूत के पिता की शिकायत पर बिहार पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करना सही था और इसे सीबीआई को सौंपना विधिसम्मत था।
उल्लेखनीय है कि 14 जून 2020 को 34 वर्षीय  फिल्मी जगत के उभरते हुए अभिनेता  सुशांत सिंह राजपूत ने  मुंबई उपनगर बांद्रा में अपने निवास पर रहस्यमय परिस्थितियों में मरे हुए मिले।  कई दिनों तक इस प्रकरण में मुम्बई पुलिस द्वारा सही ढंग से जांच न किये जाने से व्यथित हो कर सुशांत सिंह राजपूत के 74 वर्षीय वयोवृद्ध पिता कृष्ण किशोर सिंह ने अपने गृह नगर पटना में सुशांत की महिला मित्र अभिनेत्री ें रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के सदस्यों सहित छह व्यक्तियों पर अपने पुत्र को आत्महत्या के लिए मजबूर करने सहित कई गंभीर आरोप लगाते हुए इसकी प्राथमिकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई। इसकी जांच के लिए जब बिहार पुलिस मुम्बई गयी तो तो मुम्बई पुलिस के साथ महाराष्ट्र सरकार ने सहयोग करने के बजाय पुरजोर विरोध व अवरोध खडे किये। वहीं बिहार पुलिस के समक्ष उपस्थित न हो कर आरोपी रिया चक्रवर्ती ने इस प्रकरण पर बिहार पुलिस की जांच को मुम्बई में स्थानांतरण करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जब महाराष्ट्र पुलिस व सरकार के इस प्रकरण की जांच में असहयोगपूर्ण रवैया देख कर बिहार पुलिस ने इस प्रकरण की जांच केंद्रीय जांच व्यूरो से कराने की गुहार लगाई। जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार करते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी। केंद्र सरकार के इस कदम का महाराष्ट्र सरकार ने पुरजोर विरोध किया। वहीं इस प्रकरण की केंद्रीय जांच व्यूरो से कराने की मांग करने वाली आरोपी अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती ने भी महाराष्ट्र सरकार के स्वर में स्वर मिलाते हुए इस प्रकरण की जांच केंद्रीय जांच व्यूरों को सौंपने का पुरजोर विरोध किया और अनुरोध किया कि इसकी जांच महाराष्ट्र पुलिस बेहतर ढंग से कर सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने  रिया चक्रवर्ती की याचिका पर फैसला सुनाते हुऐं कहा कि सुशांत सिंह केस की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो ही करेगी। न्यायालय ने कहा कि सुशांत सिंह प्रतिभावान अभिनेता थे और इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच समय की जरूरत है।  लोग इस केस की जांच के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए इस मामले में निष्पक्ष, पर्याप्त और तटस्थ जांच समय की जरूरत है।
सर्वोच्च न्यायालय  ने मुंबई पुलिस को केंद्रीय जांच व्यूरों की जांच में सहयोग करने के दो टूक आदेश दिया। इसके अलावा न्यायालय ने  मुंबई पुलिस द्वारा केस से जुड़े सभी दस्तावेज समेत कई अन्य महत्वूर्ण दस्तावेज केंद्रीय जांच व्यूरों  को सौंपेने के निर्देश भी दिये। सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले संबंधित अन्य समस्त मामलों की जांच भी केंद्रीय जांच व्यूर्रों  करने के भी स्पष्ट आदेश दिये।

सबसे हैरानी की बात यह थी कि इस प्रकरण को दो माह होने के बाबजूद मुम्बई पुलिस न तो खुद इस प्रकरण पर प्राथमिकी तक दर्ज कर पायी। नहीं मृतक के परिजनों द्वारा आरोपी बनाये गये लोगों पर शिकंजा कस पाई। लापरवाही का आलम मुम्बई पुलिस का यह रहा कि जिस घर में यह हादसा हुआ उसको सील तक मुम्बई पुलिस ने नहीं किया। सुशांत के परिजनों की इस हादसे से कई माह पहले अपने बेटे की सुरक्षा की गुहार तक मुम्बई पुलिस के अधिकारी नजरांदाज करते रहे। मुम्बई पुलिस व महाराष्ट्र सरकार के कार्यों को देख कर देश की न्यायप्रिय जनता को लगा कि महाराष्ट्र सरकार के दवाब में मुम्बई पुलिस इस प्रकरण में शायद ही न्याय कर पायेगी। जिस प्रकार से गुनाहगारों पर शिकंजा कसने के बजाय जब महाराष्ट्र सत्तारूढ़ दल के महत्वपूर्ण प्रभावशाली लोग पीडित परिवार पर ही छिटाकशी करने लगे तो देश के आम जनमानस को लगा कि दाल में जरूर काला है। आखिर महाराष्ट्र सरकार ना तो आरोपियों पर शिकंजा कस रही है उल्टा ं सीबीआई जांच का विरोध कर रही है।
जिस प्रकार से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री राणे व उनके बेटे ने इस प्रकरण में महाराष्ट्र के  प्रभावशाली लोगों को कटघरे में खडा करते हुए केंद्रीय जांच व्यूर्रों   की जांच की मांग की। यही नहीं महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार ने भी इस मामले में केंद्रीय जांच व्यूर्रों  से जांच कराने की मांग की। उससे साफ हो गया कि यह मामला आत्महत्या का नहीं अपितु रहस्यमय है। पार्थ पवार ने तो केंद्रीय जांच व्यूरों की जांच के फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सत्यमेव जयते लिख कर इजहार किया।  सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर रिया चक्रवर्ती ने सीधे टिप्पणी नहीं की परन्तु उनके अधिवक्ता  सतीश मनेशिंडे ने कहा माननीय उच्चतम न्यायालय ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों और मुंबई पुलिस की रिपोर्ट की जांच करने के बाद, यह देखा है कि केंद्रीय जांच व्यूरो र्की  जांच से वांछित न्याय होगा। जिसकी मांग रिया ने भी की थी। हम इस जांच का भी सामना करेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुशांत प्रकरण की जांच केंद्रीय जांच व्यूरो को सोंपे जाने के बाद लोगों को न्याय की आश जग गयी। जिस प्रकार से महाराष्ट्र सरकार के इस प्रकरण में अवरोध खडा करने की आत्मघाती रूख से न केवल मुम्बई पुलिस की साख पर सवालिया निशान लगाया, इसके साथ सत्तारूढ दल सुशांत  प्रकरण की सीबीआई की जांच कराने का पुरजोर विरोध करके खुद को भी कटघरे में खडा कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार को चाहिए था  कि खुद मुम्बई पुलिस से इसकी त्वरित जांच कराती। पटना पुलिस की जांच में अनैतिक व अमानवीय अवरोध खडा नहीं करती। मृतक के परिजनों द्वारा केंद्रीय जांच व्यूरों से जांच कराने की मांग पर अडियल रूख रखने के बजाय इस जांच का भी स्वागत करती। इन तीनों दृष्टि से महाराष्ट्र सरकार असफल रही। महाराष्ट्र सरकार को शरद पवार के समर्थन मिलने के बाबजूद जिस अनाड़ीपन से इस मामले में अमानवीय रूख अख्तियार किया उससे पूरे देश की नजरों में महाराष्ट्र सरकार खुद कटघरे में खड़ी नजर आयी। आज सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार को जो शर्मसार होना पड रहा है उसके लिए कोई अन्य जिम्मेदार नहीं अपितु खुद महाराष्ट्र सरकार का नौसिखिया व अलौकतांत्रिक रूख ही जिम्मेदार है।

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