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पुलिस मुठभेड़ में मारा गया दुर्दांत अपराधी विकास दुबे

 

महाकाल की नगरी उज्जैन में पकड़ा गया था  दुर्दांत अपराधी विकास दुबे

विकास दुबे प्रकरण ने बेनकाब किया पुलिस व राजनेताओं की शह से फल फूल रहे अपराध का चेहरा
राजनेता व पुलिस की शह से राजनीति के अपराधिकरण की दलदल में फंसे उप्र को उबारने में जुटी है योगी सरकार
नई दिल्ली (प्याउ)। उत्तर प्रदेश का दुर्दांत अपराधी विकास दुबे आखिरकार पुलिस मुठभेड़़ में 10 जुलाई की तड़के मारा गया पुलिस सूत्रों केेेे अनुसार जब विकास दुबे को उज्जैन से उत्तर प्रदेश का विशेष पुलिस दल सड़क मार्ग से कानपुर बुला रहा था ।कानपुर के समीप जिस गाड़ी में विकास दुबे को लाया जा रहा था वह गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गई। इसमें बताया गया पुलिस सहित विकास दुबे  भी घायल हुआ।

पुलिस के अनुसार इसके बाद विकास दुबे स्थिति का फायदा उठाकर पुलिस के हथियार लेकर भागा। इसके बाद पुलिस मुठभेड़ में विकास दुबे मारा गया उसको कानपुर के हैलेट अस्पताल में ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया गया।

इस मुठभेड़ में पुलिस के 2 जवान भी घायल हुए। इस प्रकार विकास दुबे को मुठभेड़ में मारे जाने की जो अटकले पहले से लगा रखी है वह सच साबित हुई पूरे देश में विकास दुबे के खात्मा की खबर सुनकर लोगों ने संतोष प्रकट किया।

स उल्लेखनीय है कि विकास दुबे 9 जुलाई को  रहस्यमय ढंग से  मध्य प्रदेश के उज्जैन के विख्यात महाकाल के मंदिर में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार किया गया था  उसे  सायंकाल  मध्य प्रदेश पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस  को सौंपा था उसके बाद उसे  सड़क मार्ग से  कानपुर लाया जा रहा था ।विकास दुबे ने जिस प्रकार से महाकाल के मंदिर में चिल्लाना शुरू किया कि मैं विकास में हूं ।उसके बाद वहां पर स्थानीय पुलिस ने उसे दबोचा और वह उसे पकड़ कर महाकाल थाने में रखा गया ।इस कहानी से देर सबेर पर्दा उठेगा कि आखिर मध्यप्रदेश में उसका संरक्षक कौन थे ?किसकी शह है पर वह भागता रहा और नाटकीय ढंग से समर्पण किया?

लोगों के जेहन में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या दुर्दांत अपराधी विकास दुबे भी पुलिस की गिरफ्त से भागते हुए मुठभेड़ में मारा जाएगा या न्यायिक प्रक्रिया के तहत दंड पाएगा?

कानपुर में 8 पुलिस वालों को मौत के घाट उतारने के सातवें दिन पुलिस के कब्जे  में आया।

दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पुलिस द्वारा पकड़े जाने से उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन और सरकार ने चैन की सांस ली विकास दुबे को पुलिस द्वारा दबोचे जाने की पुष्टि मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा व उत्तर प्रदेश पुलिस ने की।

विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को इसकी सूचना दूरभाष दी। उत्तर प्रदेश की पुलिस इस दुर्दांत अपराधी को मध्य प्रदेश पुलिस से लेने के लिए उज्जैन पहुंच रही है

 

 

विकास दुबे के पकड़े जाने के बाद अब उसकी पत्नी और बेटा भी इसी प्रकार की नाटकीय ढंग से आत्मसमर्पण कर सकते हैं

इससे पहले विकास दुबे हरियाणा के फरीदाबाद में 8 जुलाई की सुबह देखा गया था। पुलिस जैसे ही उसे दबोच ने के लिए उसके छिपे स्थान पर छापेमारी कर रही थी उससे पहले वहां से भाग गया ।उसके दो साथी पुलिस ने दबोचे उनमें प्रभात मिश्रा भी था जो आज सुबह भागने की कोशिश करते हुए मुठभेड़ में मारा गया। वही दूसरा अपराधी साथी वउवा दुबे भी पुलिस की मुठभेड़ में इटावा में मारा गया।

इस तरह विकास दुबे के पकड़े जाने से अब यह राज खुलेगा की विकास दुबे को भागने में और उसके अपराध को ढकने में किस किन-किन राजनेताओं ने संरक्षण दिया लोगों को विश्वास था कि विकास दुबे भी अपने गिरोह के अन्य साथियों की तरह पुलिस मुठभेड़ में मारा जाएगा परंतु अभी तक वह एक प्रकार से आत्मसमर्पण करने में सफल हुआ अब इसका भी राज खुलेगा कि वह कैसे फरीदाबाद से उज्जैन पहुंचा

। आज लोगों के जेेहन में एक ही सवाल था। कि यह दुर्दांत अपराधी को पुलिस दबोचने में सफल होगी या यह अपराधी पुलिस को चकमा देकर आत्मसम्र्पण करने में सफल होगा? परन्तु अधिकांश लोगों को विश्वास है कि उप्र पुलिस अपनी नाक बचाने के लिए इस हर हाल में दबोचेगी। अधिकांश लोगों का मानना है कि पुलिस इसके अन्य साथियों की तरह इसे भी मुठभेड में मार कर ही दम लेगी।
इसी माह 3 जुलाई के तड़के कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिस वालों को एक मुठभेंड में मौत के घाट उतारने वाले विकास दुबे को न शिकंजे में न लिये जाने से उप्र सरकार की पूरे देश में भारी किरकिरी हो रही है। सबसे घिनौना आरोप उप्र पुलिस पर है कि विकास दुबे ने जिन पुलिस के छापामार दल को मौत के घाट उतारा, उसकी पहले से खबर किसी अन्य मुखबीर ने नहीं अपितु बिकरू थाना के प्रमुख तिवारी पर लगा। विकास दुबे के लिए मुखबीर का काम करने वाला केवल एक ही पुलिस थाना प्रमुख नहीं अपितु पूरा बिकरू थाना व आस पास के कई थानों के करीब 200 पुलिस कर्मी संदेह के घेरे में है। यहीं नहीं सहायक पुलिस अधीक्षक द्वारा बिकरू थाना प्रमुख व अपराधी विकास दुबे के बीच घनिष्ठता की शिकायती पत्र भी कानपुर के पुलिस अधीक्षक के पास न मिलना भी उनको भी संदेह के घेरे में खडा करता है। इसी कारण 5 पुलिस के बडे अधिकारियों को भी वहां से हटाया गया। इन्हीं मददगारों के कारण विकास दुबे ने छापेमारने आये दल से बचने के लिए भाग जाने के बजाय उनको मौत के घाट उतारने का आत्मघाती कृत्य किया।  इसके कारण आज पुलिस ने न केवल इसके मकान आदि ध्वस्थ कर दिये। इसके तमाम ठिकानों पर दबीशें डाली जा रही है। इसकी पत्नी व बेटा भी फरार हो गये। देर सबेर वे भी दबोच लिये जायेंगे। यही नहीं इसकी माॅं भी इसको मुठभेड में मारे जाने की कामना कर रही है। इसके मामा सहित कई रिश्तेदार मारे जा चूके है। कई पकडे जा चूके है। इसके अपराध की सहभागिता या इससे संबंध रखने के लिए कई लोगों पर गाज गिर रही है।
इस अपराधी को दबोचने के लिए उप्र पुलिस ने पूरा दमखम लगाया है। परन्तु वह पुलिस को निरंतर चकमा दे रहा है। जिस प्रकार से फरीदाबाद के एक होटल  से भागने में ंविकास दुबे सफल रहा।हालांकि उसके कुछ साथियों व मददगारों को पुलिस दबोचने में सफल रही। उसके पकडे गये साथियों के अनुसार विकास दुबे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में आत्मसम्र्पण करने की योजना बना रहा है। इसकी भनक लगते ही नेपाल, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान व उप्र में इस दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की खोज कर रही उप्र पुलिस ने अपनी पूरी ताकत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के सभी अदालतों, कुछ संभावित वकीलों सहित उसके मददगारों के यहां मुस्तैद नजर आ रही है। उप्र पुलिस की हर संभव कोशिश है कि उसे आत्मसम्र्पण करने से पहले दबोचा जाय। अब देखना यह है कि उसे पुलिस दबोचती है या वह पुलिस को चकमा दे कर आत्मसम्र्पण करने में सफल होता है।
कानपुर में 8 पुलिस कर्मियों का दुर्दांत हत्यारा विकास दुबे के सर पर पुलिस ने 5 लाख रूपये का ईनाम घोषित किया। आज उप्र पुलिस ने लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि विकास दुबे गिरोह के 6 अपराधियों दबोचा । इसमें उसके सबसे विश्वस्त सहयोगी अमर दुबे को हमीर पुर में पुलिस के साथ एक मुठभेड में मारा गया। बाकी विकास दुबे के 3 साथियों को हरियाणा पुलिस ने फरीदाबाद में दबोचा। विकास दुबे का साथी इनमें  श्यामू बाजपेयी, जहान यादव संजीव दुबे को गिरफ्तार किया गया। उप्र पुलिस के एडीजी ने कहा कि उप्र में अपराध में गिरावट आयी है। प्रदेश में अपराधियों पर अंकुश लगाया जा रहा है। हमला करने वाले अपराधियों को किसी किमत पर छोडा नहीं जायेगा। अन्य गिरफ्तार किये गये लोगों में प्रभात मिश्रा, अंकुर, श्रवण को गिरफ्तार किया गया। इन अपराधियों से अपराधी विकास दुबे द्वारा उप्र पुलिस के लुटे गये हथियारों में 2 पिस्टल भी मिले। इसके साथ अनैक हथियार भी बरामद की गयी। विकास दुबे की तलाश छह राज्यों में विकास दुबे की तलाश की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह कानपुर के थाना क्षेत्र में बिकरू में 3 जुलाई के तडके को विकास दुबे के आवास पर जब पुलिस ने उसे दबोचने के लिए छापामारी करने पंहुची तो विकास दुबे व उसके गिरोह ने अंधाधुंध गोली चला कर 8 पुलिस कर्मियों को मौत की नींद सुला दिया। उसके बाद वह 7जुलाई को फरीदाबाद में दिखा।  बताया जा रहा है कि वह फरीदाबाद की न्यू इंदिरा कालोनी में रूका था। वहीं उसके सबसे करीबी साथी जिसे सुरक्षागार्ड के नाम से कुख्यात अमर दूबे को भी पुलिस ने 8 जुलाई के तडके एक मुठभेड में हमीरपुर में मार गिराया।
विकास दुबे प्रकरण ने जहां उप्र पुलिस व राजनेताओं की शह पर फल फूल रहे अपराधियों के घिनौने चेहरे को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया। पूरा देश स्तब्ध है कि जिस अपराधी पर 60 से अधिक अपराधिक मामले दर्ज हो,उसकी सेवा में उस क्षेत्र का पूरा थाना ही नहीं पुलिस के उच्चाधिकारी भी लगे है। सबसे हैरानी की बात है सत्ताधारी दल के एक दर्जाधारी मंत्री की निर्मम हत्या जिस थाने के अंदर की गयी, उस थाने का कोई भी उसके अपराध की गवाई तक देने की नैतिक साहस नहीं कर पाये। इसी कारण अदालत ने उसे वरी कर दिया। उसके तमाम अपराधिक कृत्यों के बाबजूद वह थाने के दस नम्बरी में न था। पूरा थाना उसके दर पर हाजरी लगाता था। भले ही वह सीधे किसी भी दल का पदाधिकारी रहा। पर हर दल के नेता चुनाव में उसकी कृपा के आकांक्षी रहते थे। इसका मुख्य कारण यह रहा कि इस ब्राह्मण बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र में उसने पिछडे वर्ग से जुडे अपराधियों का बर्चस्व खत्म किया। प्रदेश में चल रही जातिवादी राजनीति के कारण हर राजनैतिक दल व वहां के स्थानीय नेता उसकी कृपा से अपनी चुनावी जंग जीतना चाहते थे। इस कारण उसको इन राजनेताओं का संरक्षण भी मिलता था। इसी कारण पुलिस वाले भी उसके प्यादे बन गये। वह अपने क्षेत्र में जमीनों पर कब्जा, व्यापारियों से अवैध वसूली का एकक्षत्र राज था । वह स्थानीय अपराधी प्रवृति के युवाओं को अपने गिरोह में सम्मलित करता था।  उप्र पुलिसकर्मी विनय तिवारी जो थाना प्रमुख था उसे विकास दुबे के लिए मुखबरी करने के आरोप में पहले तीन पुलिस कर्मियों के साथ निलंबित किया गया था। आज उसे गिरफ्तार कर दिया गया।
वह 20 प्रधानों को निर्विरोध जीताने की ताकत रखता था। उसका एक लाख मतदाताओं पर कडी पकड थी। उप्र पुलिस के करीब 300 पुलिस वालेों पर उसके गूर्गे की तरह काम करने की शक है। पूरा थाना लाइन हाजिर कर दिया गया। आस पास के कई थानों के पुलिस कर्मी भी शक के दायरे में है।
उप्र हो या देश जिस प्रकार से राजनैता अपनी अंध सत्तालोलुपता के लिए जातिवाद, क्षेत्रवाद व निहित स्वार्थ को अंध समर्थन करते है। उसके कारण इस प्रकार के अपराधी प्रवृति के लोग ही सर उठाते है। पुलिस प्रशासन भी इन अपराधियों पर कार्यवाही करने से इसीलिए बचते रहते हैं कि इनको सत्तासीनों का बर्चस्व होता है। अपनी सत्ता के लिए राजनैतिक दल जिस प्रकार से जातिवाद व संप्रदायवाद की राजनीति करते है और उनको संरक्षण देते है। इसी कारण राजनीति का अपराधीकरण हो गया। अपराधियों को जाति व संप्रदाय का प्रतीक मान कर अंध तुष्टिकरण किया जाता है। इसके कारण राजनीति में अपराधी तत्वों का शिकंजा दिन प्रतिदिन कसता जा रहा है। वर्तमान में उप्र की योगी सरकार ने जिस गर्मजोशी से प्रदेश से अपराध के खात्मा का अभियान छेडा था, उस अभियान पर जातिवादी नेताओं व भ्रष्ट पुलिस वालों के कारण ग्रहण लग गया। इसके बाबजूद योगी सरकार की पहल से प्रदेश से अपराधियों पर काफी हद तक अंकुश लग गया। जो कुछ अपराध हो रहे हैं वह इन अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए उठाये गये कदमों के कारण ही हो रहे है। प्रदेश में पहली बार प्रदेश को अपराध मुक्त करने की बडी पहल की जा रही है। इससे प्रदेश में राजनीति पुलिस प्रशासन के शह पर अपराध को फलफूलने देने वालों का परेशान होना तय है। उप्र सरकार के इस बडे कार्य की सराहना करने के बजाय ये लोग हाय तोबा मचा रहे है। ये भूल जाते हैं कि इनके कारण ही प्रदेश में राजनीति का अपराधीकरण हो चूका है। उसकी सफाई योगी सरकार कर रही है।

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