देश स्वास्थ्य

पैदल ही गांव जा रहे गरीब, लाचार बेबस कर्मवीरों को बिना दमन के तुरंत रेल व बसों से घर पंहुचाये सरकार

सरकारें आपसे में सहयोग करे राजनीति नहीं। सत्ताधारी व विपक्षी दल राजनीति करने के बजाय जनसेवा कर देश को उबारे
देवसिंह रावत

 भारत सहित पूरा विश्व संक्रमित महामारी कोरोना से त्रस्त है। लाखों लोग चीन की नादानी या धूर्तता से इस बीमारी के भैंट चढ़ चूके हैं। लाखों लोग जीवन मौत के संघर्ष में जुझ रहे है। पूरा विश्व न केवल भयाक्रांत है अपितु महिनों से घरों में खुद को बंद रखने के लिए मजबूर है। इस महामारी का न कोई दवाई अब तक बनी है। केवल एक दूसरे से दूरी बनाये रखने वाली सावधानी इसका सबसे कारगर बचाव का उपाय है। इस कारण पूरे विश्व के कल कारखाने, परिवहन सहित तमाम गतिविधियां लम्बे समय से बंद है। इस अभूतपूर्व महामारी से उपजी स्थिति से करोड़ों लोग बेरोजगार हो गये है। इस अभूतपूर्व समय में सरकार व समाज ने बिना अनुभव के भी इस परिस्थिति में करोड़ों लोगों को कई महिने तक खाना इत्यादि की व्यवस्था की। लम्बी तालाबंदी के कारण आशंकित व अभाव से त्रस्त्र करोड़ों कर्मवीर सहित आम लोग शहरों से अपने गांव जाना चाहते है। इस अभूतपूर्व स्थिति में सरकारों को चाहिए कि गरीब,लाचार व बेरोजगार हो चूके कर्मवीरों को जो सैकडों किमी दूर अपने गांव जाने के लिए सडकों पर उतर चूके है। उन लाचार लोगों को छोटे नौनिहाल, महिला, बुजुर्ग व दिब्यांग इत्यादि को  सडकों पर, अपने टीबी व इंटरनेटी माध्यमों से देखकर देश के अधिकांश जनमानस में बेचेनी छायी हुई है। सबकी यही इच्छा है कि गांव जाने के लिए पैदल ही चल रहे इन लोगों को सरकार तुरंत बस, रेल आदि वाहनों की व्यवस्था करने के साथ इनको खाना, पानी व चिकित्सा सुविधायें भी प्रदान करे। इन लाचार व बेबश लोगों को किसी भी सूरत पर पुलिसिया दमन देश को किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
सरकार को यह कार्य  सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर युद्धस्तर पर करना चाहिए। केंद्र सरकार व प्रांतीय सरकारों को यह कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से करे। विपक्ष का काम होता है सरकार की खामियों के साथ जनता के दुख दर्द को सामने रखने का। इसलिए सरकार व सत्तासीन दल इसे अन्यथा न ले। वहीं विपक्षी दल का दायित्व भी है कि वह केवल सरकार की टांग खिंचाई करने के उद्देश्य के बजाय सहयोगी रूख अपनाते हुए पीड़ित जनता को उबारने का काम करे। सरकार को भी अपनी सत्ता की हनक दिखाने के बजाय जो उचित हो ऐसी सलाह व सुझावों को आत्मसात कर जनता को इस महामारी से उबारने का काम करे।
एक बात हमें ध्यान रखना चाहिए कि यह महामारी अभूतपूर्व है। इसलिए सरकार को भी इससे उबरने का अनुभव नहीं है। अमेरिका व यूरोप जैसे विकसित देश इसके सामने हार मान गये। भारत में केंद्र सरकार ने समय रहते हुुए जो इस महामारी से बचाव का सबसे बेहतर उपाय ‘तालाबंदी व सामाजिक दूरी ’ बनाये रखने का काम किया। इससे भारत में काफी बचाव हुआ। विश्व की कुल जनसंख्या के छटे हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत में काफी हद तक इससे बचाव करने में सफलता अर्जित की। इस देश में 73 साल से आज तक मजदूरों की सही संख्या आदि का सही विवरण नहीं है। सरकार के पास इसका सही विवरण होता तो इन असंगठित क्षेत्र के कामगारों को समय पर कल्याणकारी योजनाओं के साथ घर वापस भेजने में काफी सहायक होता। इसके अभाव में इनके नाम पर भ्रष्ट तंत्र व बिचोलिये इनके कल्याण के संसाधन ही डकार रहे है। इससे देश व जरूरतमंद दोनों को बडा नुकसान होता।
अब सरकार को चाहिए कि इन कामगारों के सभी आंकडों का संग्रह करे। देश के राजनैतिक दलों को भी जो जनसंख्या व नागरिक रजिस्टर बनाने पर ही देश के अमन चैन पर ग्रहण लगाने की नादानी जैसे कृत्य नहीं करने चाहिए। देश में कितने आतंकी घुसपेटियें के रूप में बस चूके हैे और कितने अवैध विदेशी षडयंत्र के तहत यहां पर घुस गये है। इसका सही आंकडा व सूचनायें सरकार के पास होनी चाहिए। देश में इसके सही आंकडे तक नहीं है कि किस राज्य के कितने लोग किस राज्य में है। इसकी सही सूचना हर राज्य के साथ केंद्र सरकार के पास रहना चाहिए। इससे ऐसी अभूतपूर्व स्थिति से उबरने में शासन को काफी सहायता मिलेगी।
भविष्य में इस प्रकार की महामारियों आदि से राष्ट्रीय आपदा से बचने के लिए जब कभी भी ऐसी लम्बी तालाबंदी करनी हो तो सरकार सबसे पहले ऐसे ही कामगारों को उनके घर तक पंहुचाने का काम करे और तालाबंदी खोलने से पहले देश का कल कारखाने संचालित करने के लिए इन कामगारों को समय पर वापस अपने कार्यस्थल पर लाने के लिए पर्याप्त आपात कार्ययोजना बननी चाहिए। तभी अन्य कल्याणकारी योजनायें सफल हो सकती। अन्यथा करोड़ों बेबश, लाचार भूखे प्यासे व निराश मजदूरों का असंतोष किसी भी देश के अमन चैन पर ग्रहण लगाने के लिए एक खौपनाक खतरे से कम नहीं है। देश के राजनैतिक लोगों को सोचना चाहिए कि जब देश मजबूत रहेगा तभी उनकी राजनीति संचालित होगी। सरकार के साथ देश के सभी राजनैतिक दलों सहित सभी नागरिकों को प्रथम दायित्प है कि देश को इस संकट से उबारने के लिए अपने दायित्व का निर्वहन करे और सरकार व विपक्ष का यह सांझा दायित्व है कि किसी भी सूरत में इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

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