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भारत की प्रभुसत्ता की रक्षा करने के लिए अंध विदेशी निवेश पर अंकुश लगना चाहिए

कोरोना महामारी से उजागर हुआ  चीन  का विश्व को आर्थिक शिकंजे में  कसने का नापाक षड्यंत्र

देवसिंह रावत 

आंखें खोलने  वाले तथ्य यह हैं कि चीन ने भारत सहित विश्व के अनेक देशों में भारी निवेश करके उसके पूरे तंत्र पर शिकंजा कसा हुआ है ।इसे देखकर भारत सरकार को आंखें बंद करके  विदेशी निवेश को बढ़ावा देने की सनक को दूर करनी चाहिए। कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद भारत सरकार ने खासकर चीन की इसी सनक को देखते हुए शायद चीन द्वारा भारत में की जाने वाली प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर काफी सावधानी से अंकुश लगाने का प्रयास किया है।
अमेरिका सहित कई देशों में इस प्रकार के तथ्य सामने आए कि चीन की इसी आर्थिक शिकंजे के कारण उस देश की कई प्रभावशाली संस्थान भी चीन की ही भाषा बोलने लग जाते हैं ।खासकर विश्व स्वास्थ्य संगठन हो या मीडिया का बड़ा वर्ग हो या नीति निर्धारक कई संस्थानों को चीन के आर्थिक शिकंजे के प्रभाव में आकर चीन की हितों के आगे उसी प्रकार दुम हिलाने लग गये है जिस प्रकार कुत्ता अपने मालिक का इशारा समझकर दुम हिलाता है।
आज के युग में पूरे विश्व को अपने शिकंजे में में लेने के लिए चीन सहित कई देशों ने आर्थिक निवेश को एक बड़ा हथियार बना रखा है। इस ढंग से भारी निवेश करता है कि निवेश की जाने वाले देश का देश का पूरा तंत्र उसकी शिकंजे में होता है। इसलिए किसी भी देश को अपने प्रभुसत्ता की रक्षा करनी है तो उसे विदेशी निवेश पर अंकुश रखनी चाहिए और  उसकी सीमा निश्चित होनी चाहिए। इसके साथ स्वदेशी उद्यमियों को बढ़ावा देना चाहिए और आत्मनिर्भरता का कभी विकल्प विदेशी निवेश नहीं हो सकता है।

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