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चीन व अमेरिका में वर्चस्व की जंग में कोरना से त्रस्त विश्व पर भारत ने लगाया क्लोरो क्वीन का मरहम

 मोदी ने पढाया चीन व अमेरिका को मानवता का पाठ

देव सिंह रावत

आज पूरा विश्व जिस प्रकार से कोरोना महामारी से त्रस्त है। पूरे संसार के 209 देश इस महामारी की चपेट में है।
पूरे संसार की सड़कें बंद है। कल कारखाने बंद है ।लोग इस महामारी के डर के मारे घरों में बंद हैं।
इस महामारी से आज संसार के 1519571 लोग पीड़ित हैं ।वहीं 88550 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं ।यही नहीं इस बीमारी से 331014 लोग उबर चुके हैं।
खुद अमेरिका में 14797 लोग मारे जा चुके हैं और 435160 पीड़ित है ।वहीं इटली में 17369 लोग व स्पेन में 14792 लोग मारे जा चुके हैं।
अमेरिका व चीन, कोरोना महामारी के चक्रव्यूह में फंसे विश्व को मुक्ति दिलाने की जगह खुद ही अपने निहित स्वार्थों में ऐसे लिप्त हैं कि दुनिया को उबारने के लिए उनके पास कोई समय नहीं है।
यूरोप और अमेरिका दोनों ही चीन के मास्क व दवाइयों के लिए एक दूसरे को चकमा दे कर पछाड़ रहे हैं। ऐसे समय में जब अमेरिका कोरोना महामारी से त्रस्त होकर त्राहिमाम त्राहिमाम कह रहा है। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो भारत को अपना सबसे करीबी मित्र मानते हैं , वे इन दिनों इस बीमारी से इतने परेशान हो गए कि उन्होंने इस महामारी की दवाई जो अभी घोषित नहीं हुई हैं ।परंतु इस बीमारी को प्रकोप कम करने में सहायक समझी जाने वाली क्लोरो क्वीन की मांग भारत से की। परंतु मांग करते समय डोनाल्ड ट्रंप मर्यादा तक भूल गए। वे भारत से इस क्लोरो क्वीन की मांग करते समय धमकी भी दे गये।यह कर के ट्रम्प पूरे विश्व के नजर में एक प्रकार से खुद ही खलनायक बन गए।
परंतु भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी संकट की घड़ी में घिरे अमेरिका को सहारा देते हुए न केवल क्लोरो क्वीन की दवाई भेजी अपितु डोनाल्ड ट्रंप को भी मित्रता का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि मित्र वही जो संकट के समय में साथ दें। इसके साथ प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को मानवता का पाठ पढ़ाते हुए 2 टूक शब्दों में कहा है भारत मानवता की रक्षा में हर संभव कार्य करने के लिए सदा समर्पित रहता है।

इस पूरे प्रकरण पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक परिपक्व नेता की तरह न केवल अमेरिका के साथ भारतीय हितों व सम्मान की रक्षा करने मे सफल रहे अपितु विश्व के ब्राजील,स्पेन,लंका व आस्ट्रेलिया सहित कई देशों को जिन्होंने भारत से क्लोरो क्वीन की दवाई की मांग पहले से की थी, उनको भी दवाई की पूर्ति करते हुए पूरे विश्व को एक संदेश दिया कि भारत विश्व में न्याय, मानवता और विश्व बंधुत्व का एकमात्र ध्वजवाहक है।
जिस प्रकार से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गैर जिम्मेदाराना ढंग से भारत को धमकाने का काम किया था उससे भारत में गहरा आक्रोश था।
देश में अमेरिका को कड़ा जवाब देने की मांग चारों तरफ से उठी जन्मनाम को सम्मान करते हुए मोदी सरकार ने अमेरिका को जो जवाब दिया वह बहुत ही कूटनीति पूर्ण व भारतीय हितों के साथ-साथ मानवीय मूल्यों के पक्षधर ही समझा जा रहा है।
भारत में बहुत कूटनीतिक ढंग से कहा कि भारत से फ्लोरो क्लीन की मांग अनेक देशों ने की है उन देशों की आपूर्ति करने के साथ हम अमेरिका को भी इसकी आपूर्ति करेंगे।
मोदी सरकार के इस कदम से जहां अमेरिकी प्रशासन खुद
अपने नेतृत्व के कारण शर्मसार महसूस कर रहा था,और अंदर ही अंदर अमेरिकी लोग डोनाल्ड ट्रंप को कोस रहे थे।
भारतीय नेतृत्व ने अमेरिकी जनता के हितों की रक्षा के लिए लोकप्रिय खींचकर अमेरिकों का जहां दिल जीत लिया वही डोनाल्ड ट्रंप को भी मोदी को पुनः धन्यवाद देने को मजबूर होना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि भारत विश्व मेें मलेरिया की सबसे असरदार दवाई समझी जाने वाली क्लोरोक्वीन की दवाई का 70% उत्पादन करता है।
भारत में प्रतिमाह 40 टन या 20 करोड़ 200 ग्राम की टिकियोंं का उत्पादन किया जाता है।
भारत में क्लोरोक्वीन दवाई का उपयोग करीब 2.4 करोड़ टिकिया प्रतिवर्ष होती है।
संसार की महाशक्ति अमेरिका जो पूरे संसार को अपने इशारों पर न चाहता था आज इस कोरोना विषाणु की चपेट में आकर उसके 14797 लोग मारे जा चुके हैं। यही नहीं अमेरिका में है 435160 लोग पीड़ित हैं। यही हाल भले ही आंकड़ों की बाजीगरी करते हुए चीन ने केवल 3335 लोगों को मारे जाने की का ऐलान किया है। पर पूरी दुनिया स्तब्ध है कि चीन के वुहान में उत्पन्न हुई
कोरोना विषाणु बीमारी एक करोड़ 10लाख की आबादी वाले शहर में जो मौत का आंकड़ा चीन बता रहा है उस पर लोगों को विश्वास नहीं है।
चीन ने अपने प्रभाव से न केवल पूरे विश्व को इस विषाणु बीमारी से अंधेरे में रखा ।अपितु विश्व स्वास्थ्य कार्य के रहनुमा बने विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपने प्रभाव में जकड़े रखा। इसके कारण यह बीमारी पूरे विश्व में व्याप्त हो गई ।अब जिस प्रकार से अमेरिका और यूरोप को इसने अपनी चपेट में लिया है वह विनाशकारी से ज्यादा साबित हो रही है।
अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन का पक्षधर होने का आरोप लगाते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपना अंशदान कम कर देगा।
पहली बार यूरोप और अमेरिका में इतनी भारी तबाही हुई ।ऐसी तबाही ना प्रथम विश्व युद्ध में और नहीं दूसरे विश्व युद्ध में हुई । वह भी ऐसे समय में जब यूरोप और अमेरिका अपने आप को विश्व का सबसे महा शक्तिशाली देशों में शुमार करते हैं। आज कोरोना महामारी के आगे जहां अमेरिका यूरोप सहित पूरा विश्व असहाय नजर आ रहा है वहीं चीन इस त्रासदी को भी बेशर्मी से अपने आर्थिक साम्राज्य की बढ़ोतरी का पायदान मना रहा है ।वह पूरे विश्व में मास्क मुंह और अन्य स्वास्थ्य उपकरणों और दवाइयों का निर्यात करके अपनी तिजोरी भर रहा है ।यही नहीं चीन को इस बीमारी के  प्रसार के कारण यहां पूरे विश्व से माफी मांगनी चाहिए थी ।विश्व को चीन पर अंकुश लगाना चाहिए था ।परंतु चीन ने अपने सामर्थ्य का दुरुपयोग करते हुए पूरे विश्व को अपने इर्द-गिर्द नचा रहा है।
ऐसे समय में जब कोरोना महामारी,चीन सहित अमेरिका व यूरोप में त्राहिमाम त्राहिमाम मची है ।और पूरे विश्व के तमाम देश खुद को असहाय समझ रहे हैं। चीन व अमेरिका अपने निजी स्वार्थ के लिए पूरे विश्व को गर्त में धकेलने में लगे हैं। ऐसे समय में भारत के प्रधानमंत्री ने विश्व की तमाम देशों को क्लोरो क्वीन की दवाई का समय रहते हुए उपलब्ध कराना और मानवता के दृष्टिकोण को आगे रखना, विश्व के घावों पर एक प्रकार का मरहम सा है। भारतीय संस्कृति संकट में घिरे विश्व को आशा की एक किरण सी दिखा रही है ।उससे आने वाले समय में पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम लहराना । खासकर  जिस प्रकार कोरोना महामारी में भारतीय संस्कृति का नमस्कार, खान-पान से लेकर और लोकाचार तक विश्व ने सराहा ,कोरोना महामारी से उबरने के बाद पूरे विश्व को जीवन मूल्यों की किरण अगर कहीं दिखाई देगी तो वह भारत है।

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