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“स्कूली शिक्षा और कौशल विकास एक साथ होने चाहिए”-उपराष्ट्रपति नायडू

नई शिक्षा नीति में कौशल निर्माण और गुणवत्‍ता दोनों के बीच तालमेल बनाने पर जोर दिया

ग्रामीण भारत के लिए प्रासंगिक कौशल विकसित करने का आह्वान किया

कृषि को लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया

अनुसंधान एवं विकास को मजबूत करने के लिए उद्योग जगत से विश्वविद्यालयों के साथ हाथ मिलाने का आग्रह किया

हुबली से पसूकाभास

उपराष्ट्रपति, एम. वेंकैया नायडू ने स्कूली स्तर पर कौशल विकास की पहल को अनिवार्य बताते हुए कहा कि “स्कूली शिक्षा और कौशल विकास एक साथ होने चाहिए।”

2 फरवरी को हुबली में देशपांडे फाउंडेशन के आवासीय कौशल केंद्र के उद्घाटन के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में कौशल विकास पर अतीत में पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि स्कूली छात्रों के लिए कौशल विकास को अनिवार्य बनाए जाने के लिए शिक्षा नीति की समीक्षा किये जाने का आह्वान किया।

श्री नायडू ने कहा कि कुशल मानव संसाधन का माहौल बनाए जाने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम के साथ व्यावसायिक शिक्षा को जरूरी बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कौशल विकास और शिक्षा के स्तर दोनों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्कूली छात्रों में सभी क्षेत्रों के अनुरूप कौशल विकसित करने के जिम्मेदारी केन्द्र और राज्य सरकारों की है।

श्री नायडू ने कहा कि कृषि को व्यवहारिक और लाभदायक बनाने की पहल के तहत ग्रामीण भारत और कृषि की जरूरतों के अनुरूप लोगों में कौशल विकास का काम होना चाहिए। उन्होंने वर्षा जल संचयन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

कृषि उत्पादों के बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढाँचा प्रदान करने के वास्ते बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए  उपराष्ट्रपति ने कहा कि कर्ज माफी और मुफ्त दी जाने वाली सुविधाएं किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हैं। इनके लिए स्थायी समाधान की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यदि आर्थिक सुधारों की मौजूदा गति जारी रहती है तो  भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी से उबर कर रफ्तार पकड़ लेगी। उन्होंने उद्योग और कॉर्पोरेट जगत से अपील की कि वे अनुसंधान और विकास कार्यों को मजबूती देने और युवाओं को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप तैयार करने के लिए विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ हाथ मिलाएं।

नवाचार और उद्यमशीलता के लिए अनुकूल माहौल विकसित करने का आह्वान करते हुए श्री नायडू ने युवाओं से अपील की कि वे स्किल इंडिया जैसी पहलों का भरपूर इस्तेमाल करें और इसके माध्यम से मशीन लरनिंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जुड़े ज्ञान और कौशल को हासिल करें।

भौगोलिक क्षेत्र, भाषा, धर्म और आय के मामले में भारत को विविधताओं से भरा देश बताते हुए उपराष्ट्रपति ने समग्र और समान विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि समाज के सभी वर्गों को कौशल विकास कार्यक्रमों का लाभ मिले।

श्री नायडू ने कहा कि भारत एक युवा देश है। देश की आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा ऐसे लोगों का है जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है। ऐसे में देश के पास मानव संसाधन के वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने का अनूठा अवसर है। उन्होंने कहा कि यह विशाल मानव संसाधन ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था को और आगे ले जाएगा।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मौजूदा समय नियोक्ता किसी कर्मचारी को नौकरी पर रखते समय यह नहीं देखते कि उसने नौकरी के लिए आवश्यक कौशल सामान्य रूप से या औपचारिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से हासिल किया है। उन्होंने सरकार और उद्योग को पुराना चलन बदलने और भर्ती प्रक्रिया के दौरान औपचारिक कौशल प्रमाणन वाले श्रमिकों को वरीयता देने पर जोर दिया।

कौशल प्रशिक्षण को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए, श्री नायडू ने सरकार की हर ऐसी परियोजना में प्रमाणित कुशल श्रमिकों को एक न्‍यूनतम प्रतिशत के रूप में शामिल करने का सुझाव दिया जो श्रम आधारित हैं। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि कौशल विकास संस्थान और उनके संकाय पर्यावरण की रक्षा के महत्व पर प्रशिक्षुओं को जागरूक करें क्‍योंकि “विकास के लिए हमारा रास्ता पर्यावरण के लिहाज से टिकाउ होना चाहिए “।

उन्‍होंने कहा कि देश को बदलने और विकास में तेजी लाने के लिए स्वच्छ भारत, फिट इंडिया, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों को जनआंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए ।  उन्होंने लोगों से स्वेच्छा से ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने का आग्रह किया।

उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण युवाओं के लिए कौशल प्रदान करने के लिए देशपांडे फाउंडेशन जैसे संस्थानों की सराहना की और निजी क्षेत्र और समाजसेवियों से कौशल प्रशिक्षण को प्राथमिकता देने की अपील की।

उन्होंने युवाओं को राष्ट्र-निर्माण में सक्रिय और रचनात्मक भूमिका निभाने और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी और कहा कि लोकतंत्र में  हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। उन्‍होंने कहा कि बुलेट बैलेट से ज्‍यादा शक्तिशालील है।

इस अवसर पर संसदीय मामलों के केन्‍द्रीय मंत्री श्री प्रहलाद जोशी, कोयला और खान मंत्री  श्री जगदीश शेट्टार, कर्नाटक के बड़े और मध्यम उद्योग मंत्री, राज्‍य के  गृह  मंत्री श्री बासवराज बोम्‍मई तथा देशपांडे फाउंडेशन के संस्‍थापक और सह संस्‍थापक भी मौजूद थे।

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