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कल सुबह 10:30 बजे सर्वोच्च न्यायालय सुनाएगा राम जन्मभूमि मामले पर ऐतिहासिक फैसला

 

भारत के  मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ सुनाएगी ऐतिहासिक फैसला
प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम
देश का सबसे शताब्दियों से चल रहा सबसे बड़ा संवेदनशील विवाद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद पर ऐतिहासिक फैसला कल 9 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय सुबह 10:30 बजे  से एक नंबर  न्यायालय में सुनाएगा।सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त किए गए हैं ।उत्तर प्रदेश के अयोध्या  मेें पहले से ही धारा 144 व सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। अर्ध सैनिक बलों की पर्याप्त संख्या में तैनाती कर दी गई है वहीं दूसरी तरफ राम जन्मभूमि परिसर में लोगों में बेहद उत्साह है ।आम राम भक्तों में विश्वास है सर्वोच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय में दिए तर्कों साक्ष्यों और सर्वेक्षण विभाग की सबूतों के आधार पर और इलाहाबाद उच्च न्यायालय की फैसले को ध्यान में रखते हुए राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की राह प्रशस्त करेगा।

जिस प्रकार से बाबरी मस्जिद ढहने के बाद देश मेें दंगे भड़के थे ।उस को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस समय सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए हैं। असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश में कई अस्थाई जिलों का भी निर्माण किया गया है वहीं भगवान राम की जन्म स्थली की राम जन्मभूमि सहित पूरे अयोध्या में उत्साह का माहौल है। अयोध्या को पूरे ढंग से सजाया गया है ।वैसे भी पंचकोशी परिक्रमा के दौरान लाखों लोग अयोध्या में उमड़े हुए हैं ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी  आज अपने ट्वीट पर जनता को इस ऐतिहासिक फैसले के बाद देश में शांति बनाए रखने का अनुरोध भी किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा यह फैसला किसी की हार जीत का नहीं अभी तो भारत की न्याय व्यवस्था की जीत का है इसलिए हमें इस फैसले पर सौहार्द बनाए रखना है।

इसी माह अपने मन की बात नामक संबोधन में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से राम जन्मभूमि मामले में आने वाले ऐतिहासिक फैसले पर शांति बनाए रखने का अनुरोध किया था।

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने भी प्रदेश की जनता से हुई शांति बनाए रखने का अनुरोध किया।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से पहले ही संबंधित तमाम पक्षों द्वारा और शासन द्वारा समाज के हर वर्ग से शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है। सभी धर्मों के धर्माचार्य द्वारा यह संकल्प और संदेश प्रसारित कराया जा रहा है कि फैसला जो भी आए। देश के अमन चैन और शांति व्यवस्था को बनाए रखने की हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
उल्लेखनीय है कि सन 1526 में विदेशी आक्रांता बाबर की सेनापति मीर बाकी ने भारत को गुलाम बनाने के लिए आस्था के प्रतीक भगवान राम की जन्मभूमि पर बने मंदिर को ढाह कर उस पर मस्जिद बनाने का कुकृत्य से किया।
इसको मुक्त करने के लिए भारतीय समाज ने सदियों तक संघर्ष किया हजारों बलिदान दिए ।लोगों को विश्वास था कि आजादी के बाद देश की सरकार इस कलंक  को मुक्त करने का अपना दायित्व निभाएगी। परंतु सरकारें दलगत राजनीति और अपने अन्ध तुष्टिकरण के लिए इसको नजरअंदाज करती है।
लंबे समय तक किया मामला अदालतों में लटकता रहा।उसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 को जब इस पर अपना फैसला दिया। तो उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ चुनौती दी गई ।लंबे समय तक यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लटकता रहा ।देेेश  के 46 वें मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए इसे युद्ध स्तर पर सुनवाई करते हुए अपने सेवानिवृत्त से पहले हर हाल में इस फैसला सुनाने का अहम निर्णय लिया। इसी के तहत 17 नवम्बर 2019को सेवानिवृत्त होने से पहले उन्होंने इसकी पूरी सुनवाई करने का निर्णय लिया।
40 दिन प्रतिदिन नियमित सुनवाई करने के बाद कल 9 नवंबर को यह पीठ अपना फैसला सुनाएगी।
फैसला सुनाने से पहले मुख्य न्यायाधीश ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को सर्वोच्च न्यायालय में 8 नवंबर को तलब कर अयोध्या सहित पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था को व्यवस्थित करने के निर्देश दिए।
आजाद भारत का शताब्दी पुराने इस विवाद को सुनाने का ऐतिहासिक काम सर्वोच्च न्यायालय ने शनिवार के अवकाश के दिन स्थाई किया। ताकि इस फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका भी यही पीठ मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत्ति से पहले सुना सके।
इस फैसला सुनाने के दिन से 9से11 नवम्बर (शनिवार रविवार और सोमवार) तक उत्तर  प्रदेश की सभी विद्यालय कॉलेज को बंद रखे जायेंगे।

इस ऐतिहासिक फैसले को देखते हुए  प्रशासन ने सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशों की  व्यापक सुरक्षा की गई है।

उल्लेखनीय है कि इस विवाद को शताब्दियों तक लिखाई रहने से आक्रोशित भारतीयों ने 6 दिसंबर को 1992 को इस बाबरी मस्जिद के ढांचे को अपने हाथों से ढाह दिया था।

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