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समावेशी, न्यायसंगत और समृद्ध राष्‍ट्र बनने की भारत की महत्‍वकांक्षा में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं भारतवंशी: उपराष्‍ट्रपति

उपराष्‍ट्रपति ने  अजरबैजान के बाकू में भारतवंशियों को सम्‍बोधित किया

उपराष्‍ट्रपति ने भारतवंशियों से भारत और अजरबैजान के बीच सेतु बनने का अनुरोध किया

उपराष्‍ट्रपति ने भारत और अजरबैजान के बीच आर्थिक और सांस्‍कृतिक संबंधों में और बढ़ोत्‍तरी का आह्वान किया

बाकू,अजरबैजान से पसूकाभास

उपराष्ट्रपति  एम. वेंकैया नायडू ने 24 अक्टूबर को  कहा कि प्रवासी भारतीय समावेशी, न्यायसंगत और समृद्ध राष्ट्र बनने की भारत की महत्‍वकांक्षा का महत्वपूर्ण घटक हैं। वह 24 अक्टूबर को बाकू में अजरबैजान के प्रवासी भारतीयों को संबोधित कर रहे थे।

सरकार के ठोस प्रयासों और जनता की दृढ़ इच्छाशक्ति के परिणामस्वरूप भारत में हो रहे आर्थिक और सामाजिक दोनों प्रकार के परिवर्तनकारी बदलावों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘डाइऐस्पोरा’ (प्रवासी भारतीय) भारत को आगे बढ़ाने वाले चार-‘डी’ यानी डिमाक्रसी, डिमांड और डेमोग्रा‍फिक डिविडेंड (लोकतंत्र, मांग और जनसांख्यिकीय लाभांश) के चतुष्क में चौथे ‘डी’ की तरह हैं, जो भारत को प्रगति की राह पर अग्रसर कर रहे हैं।

श्री नायडू ने कहा कि राष्ट्र के विकास, प्रगति और भविष्य में प्रवासी भारतीयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने भारतीय समुदाय से कहा, “यहां की स्थानीय आबादी के साथ अपने संबंधों के जरिये, आप उन अवसरों की अच्छी तरह पहचान कर सकते हैं, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ावा दे सकते हैं, केवल आर्थिक संबंधों को ही नहीं बल्कि अजरबैजान में हमारी संस्कृति और विरासत की बेहतर समझ और उसका संवर्धन भी कर सकते हैं।”

उपराष्‍ट्रपति ने अनन्‍तकाल से भारत और अजरबैजान को एक-दूसरे से जोड़े रखने वाले ऐतिहासिक सभ्‍यतागत संबंधों, मजबूत सांस्‍कृतिक रिश्‍तों और अन्‍य संस्‍कृतियों की विविधता के प्रति सम्‍मान का भाव रखने वाले साझा मूल्‍यों का उल्‍लेख करते हुए दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने का आह्वान किया।

द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि का उल्‍लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “मैं भारतीय कंपनियों के लिए यहां सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण आदि जैसे क्षेत्रों में यहां की कम्‍पनियों के साथ जुड़ने के कई अवसर देख रहा हूं।”

श्री नायडू ने कहा कि भारत और अजरबैजान संस्कृति के क्षेत्र में हमेशा मजबूत सहयोगी रहे हैं। उन्होंने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर उनकी विरासत का जश्न मनाने में अज़रबैजान की सक्रिय भागीदारी के लिए उसका आभार प्रकट किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार बनाने के लिए इस संबंध में एक डाक टिकट जारी करने के लिए भी अज़रबैजान सरकार की सराहना की।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार संस्कृति के क्षेत्र में अजरबैजान के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना जारी रखेगी, ताकि एक-दूसरे की संस्कृतियों की सराहना की जा सके तथा दोनों देशों की जनता के बीच आपसी संपर्क बढ़ाया जा सके।

उपराष्ट्रपति ने अज़रबैजान की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में सकारात्मक योगदान देने और अपनी कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता की भावना के माध्यम से स्थानीय व्यापारिक समुदाय पर अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिए जीवंत भारतीय समुदाय को बधाई दी। उन्होंने भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने की दिशा में उनके सामूहिक प्रयासों की भी उनकी सराहना की।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार विदेशों में बसे भारतीयों से बेहतर संबंध और पहुंच बनाने को अपनी प्राथमिकता मानती है और भारत ने जरूरतमंदों को 24 घंटे पहुंच और सहायता प्रदान करने सहित प्रवासी भारतीयों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि “डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया भर में फैले भारतीय समुदाय के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का सचेत प्रयास किया जा रहा है और इन पहलों के सकारात्मक परिणाम प्राप्‍त हुए हैं।”

उन्होंने भारतवंशियों से भारत और अजरबैजान के बीच जीवंत पुल के रूप में कार्य करने का अनुरोध किया।

विदेश मंत्रालय के नारे: ‘विदेश में आपका दोस्त, भारतीय दूतावास’ का उल्‍लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने आशा व्‍यक्‍त की कि बाकू में भारतीय दूतावास प्रवासी भारतीयों के लिए केवल कठिनाई के समय ही पहला पोर्ट ऑफ कॉल नहीं होगा, बल्कि उस समय भी होगा जब उन्‍हें किसी भी तरह के मार्गदर्शन, सहायता या किसी कार्य के लिए नैतिक समर्थन की जरूरत होगी, या जब वे केवल अपनी जन्‍म भूमि से निकटता महसूस करना चाहते होंगे।

जम्मू और कश्मीर के हाल के घटनाक्रम से प्रवासी भारतीय समुदाय को अवगत कराते हुए, उपराष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के औचित्य के बारे में विस्तार से बताया। “यह राज्य की जनता को अन्य भारतीय नागरिकों द्वारा प्राप्‍त किए जा रहे समस्‍त लाभों का विस्तार करने की दिशा में एक कदम है। यह ऐसा कदम है, जिसे संसद में भारी बहुमत से समर्थन मिला। यह विकास की दिशा में उठाया गया कदम है।” मीडिया के कुछ वर्गों द्वारा इसे तोड़-मरोड़ कर पेश किए जाने का हवाला देते हुए उपराष्‍ट्रपति ने प्रवासी भारतीयों से इस मामले को सही परिप्रेक्ष्य में समझने का आग्रह किया।

भारत की उदारवादी दृष्टि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या  समूची दुनिया एक परिवार है को रेखांकित करते हुए उन्होंने अपने पड़ोसी देशों सहित सभी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के भारत के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्‍होंने कहा हालांकि  हमारी शांति को बाधित करने और हमारे देश के आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेप करने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “शांति”, प्रगति के लिए नितांत आवश्‍यक है और हम किसी को भी शांति और समृद्धि को बाधित करने की अनुमति नहीं दे सकते”।

उपराष्‍ट्रपति ने भारतवंशियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं।

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