उत्तराखंड

राज्यपाल कोश्यारी ने दिखाई मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सहित उतराखण्ड के हुक्मरानों को उतराखण्ड को आबाद करने का गैरसैंणी आईना

अंग्रेजों ने मसूरी व नैनीताल बसाये, हम 19 सालों में एक शहर भी नहीं बसा पाये, गैरसैंण को भी आबाद करो
उतराखण्ड को आगे बढ़ाना है तो मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सहित विधायक मैदानी मोह छोड़ कर पहाड़ से चुनाव लड़े
देवसिंह रावत
अभी कुछ ही देर पहले मैं दिल्ली के प्यारे लाल सभागार में उतराखण्ड के प्रसिद्ध लोक गायक शिवदत्त पंत एवं साथी कलाकारों द्वारा मंचित रामलीला का आनंद ले रहा था। इस समारोह में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी, विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, उतराखण्ड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सांसद अजय भट्ट सहित उतराखण्ड समाज के अनैक प्रतिष्ठित व्यक्ति भगवान राम की लालीओं का श्रद्धापूर्वक देख रहे थे। डा जोशी भगवान राम के प्रकट होने के बाद चले गये थे। सीता स्वयंबर से जैसे ही मैं घर को निकला तो मेरे सामने उतराखण्ड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट सभागार से बाहर आते दिखे। मैं सभागार के बाहर खडा था तो सांसद भट्ट को विदाई देने आये समाजसेवी केसी पाण्डे, भाजपा नेता गोपाल उप्रेती व उद्यमी नैनवाल जी साथ थे। केसी पाण्डे ने मुझे सांसद अजय भट्ट से मिलाते हुए कहा ‘ कि भट्ट जी देवसिंह रावत को पहचान रहे हो, भट्ट जी ने कहा हा हा ये समाचार पत्र भी प्रकाशित करते है। उसी समय वहां पर दिल्ली में उतराखण्डी समाज के सबसे बडे नेता मोहन बिष्ट को विदाई देने पंहुचे। मैेने अजय भट्ट से कहा कि भट्ट जी बिष्ट जी एक बडा कार्यक्रम कर रहे है राजधानी गैरसैंण के लिए। भट्ट जी ने इस पर प्रतिक्रिया प्रकट नहीं की। मुझे मालुम था कि  अजय भट्ट व उतराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत उन नेताओं में है जो राजधानी गैरसैंण का नाम तक सुनना पसंद नहीं करते। गैरसैंण मामले में मेरी दोनों से काफी गहमा गहमी कई बार हो गयी।
पता नहीं क्यों प्रदेश के नेता जनभावनाओं का आदर नहीं करते। जबकि भगवान राम तो मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप में पूजा जाता। भाजपा खुद को रामभक्त दल बताती। परन्तु राजधानी गैरसैंण के लिए प्रदेश की व्यापक जनभावनाओं व शहीदों की शहादत का फिर भी भाजपाई सहित प्रदेश के अन्य दलों के नेता क्यों नहीं करते। शायद प्रदेश की नेताओं की जनभावनाओं को नजरांदाज करने की उतराखण्ड घाती प्रवृति व अंध देहरादूनी मोह पर कडा प्रहार करने को उतराखण्ड के सबसे वरिष्ठ, जमीनी व जनप्रिय नेताओं में एक भगत सिह कोश्यारी  ने कल यानी 5 अक्टूबर को ही उतराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सांसद अजय भट्ट व कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की उपस्थिति में उतराखण्ड के दिशाहीन नेताओं को उतराखण्ड को आबाद करने का गैरसैंणी आईना दिखाने के लिए मजबूर हुए। वे अपने दिल की पीड़ा को बयान करने से खुद को नहीं रोक पाये। वे उतराखण्ड को राज्य गठन की जनांकांक्षाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश कों संवारना चाहते थे। परन्तु उनको प्रदेश को संवारने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला। वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पाये। भाजपा नेतृत्व ने जनप्रिय व अधिकांश विधायकों की पहली पसंद भगत सिंह कोश्यारी के बजाय अनुभवहीन भुवनचंद खंडूडी व निशंक को प्रदेश की कमान सौंपी। कोश्यारी चाह कर भी प्रदेश को संवारने के अपने सपनों को अपने दिल में समेटने के लिए विवश हुए। भाजपा ने उनको सांसद व राज्यपाल का दायित्व सौंपा। परन्तु प्रदेश की बदहाली का मुख्य कारण वे अपने दिल में छुपाये नहीं रख पाये। उन्होने अपने करीबी समझे जाने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र व अजय भट्ट के समक्ष ऐसा सच कह डाला जो हर उतराखण्डी के दिलो व दिमाग में रह रह कर उठता है। बिना लाग लपेट के  महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उतराखण्ड में पलायन पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से कहा कि मैं आपसे ज्यादा कड़वा बोलता हॅू, आप क्यों नहीं पहाड़ से चुनाव नहीं लड़ते। उतराखण्ड आगे बढ़ाना है, विधायक शहर का मोेह छोड़कर पहाड़ से चुनाव लड़ें। अंग्रेज मसूरी व नैनीताल जैसे शहर बसा गए, क्या हम नैनीताल जैसे शहर बसा गए, क्या हमने 19 साल में कोई ऐसा शहर बसाया? गैरसैंण में दो-चार निदेशालय खुल जाते तो आवाजाही बढ़ती’।
यह वाकया रहा 5 अक्टूबर को कौलागढ़ स्थित ओएनजीसी के सभागार का। यहां मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष व कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सहित अनैक नेताओं की उपस्थिति में  इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आॅफ उतराखण्ड की और से आयोजित समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सम्मानित किया गया। अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने पदाधिकारियों के साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का भव्य स्वागत  किया।
कोश्यारी जी के इस बयान को प्रदेश की जनता ने दिल से सराहा। लोगों को पूरा विश्वास है कि अगर प्रदेश की सरकारें राजधानी गैरसैंण बनाते तो उतराखण्ड के पर्वतीय जनपदों से शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा व शासन के अभाव में मैदानी शहरों में पलायन करने के लिए विवश है। इसीलिए प्रदेश के नेताओं को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, जिनको प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत व अजय भट्ट अपना मार्गदर्शक व कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय अजात शत्रु कह कर सम्मानित करते ने अपने दिल में छुपे दर्द को उतराखण्ड को आबाद करने का मूल मंत्र दिया। अब देखना है कि भगत सिंह कोश्यारी के उतराखण्ड को आबाद करने के गैरसैंणी मंत्र को आत्मसात कर प्रदेश की राजधानी बनाने का ऐतिहासिक काम  प्रदेश सरकार व संगठन राम भक्त बन कर करता है  या देहरादून रूपि पंचतारा मैदानी मोह में देश व उतराखण्ड के हितों को रौंदने का  रावणी कृत्य करते है।

(तस्वीर-साभार हिंदुस्तान – देहरादून 6 अक्टूबर 2019)

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