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माया कोडनानी को गुजरात उच्च न्यायालय ने किया बरी, अन्य आरोपियों की सजा बरकरार

भाजपा ने किया फैसला का स्वागत, कांग्रेस सहित विपक्ष ने किया विरोध
दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ  कांग्रेस सहित 7 विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति को सौंपा महाभियोग का प्रस्ताव

 

 

अहमदाबाद (प्याउ)। 2002 में गुजरात दंगों में नरोदा पाटिया काण्ड  में 97 लोगों के कत्लेआम में 32 आरोपियों में से माया कोडनानी के अलावा गणपत निदावाला और विक्रम छारा को भी बरी कर दिया गया है, जबकि बाबू बजरंगी सहित अन्य लोगों को सजा सुनाई । कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया वहीं भाजपा ने फैसले का स्वागत किया।वहीं पीड़ितो ने इस फैसले पर कहा नहीं मिला उन्हे न्याय।

कांग्रेस ने इस फेसला आने से पहले ही आज 20 अप्रैल को विपक्षी दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी। जो सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति लोया की संदिग्ध मौत प्रकरण पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले पर रणनीिित बनाने के लिए बुलायी थी। ऐसा संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने का मन बनाई हुई है। कांग्रेस सहित 7  विपक्षी दलों का आरोप है कि मोदी सरकार न्याया पालिका में हस्तक्षेप कर प्रभावित कर रही है। देश के मुख्य न्यायाधीश अपने संवैधानिक दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर पा रहे है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद आज ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस महाभियोग पर 71 सांसदों के हस्ताक्षर किये गये है। खासकर न्यायामूर्ति जोया, मक्का मस्जिद विस्फोट व नरोदा पाटिया मामले में जिस प्रकार से फैसले आ रहे हैं उन्हे विपक्ष संतुष्ट नहीं है। 7 विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति को सौंपा सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव। 5 विन्दुओं का महाभियोग प्रस्ताव सौंपा है।
कांग्रेस सहित 7 दलों के महाविभायोग पर सर्वोच्च न्यायालय ने सभी न्यायाधीशों की बैठक बुलाई है। इन विपक्षी दलों में कांग्रेस, सपा, बसपा, भाकपा, माकपा, मुस्लिम लीग, आदि दल साथ हैं परन्तु अभी तृणमूल कांग्रेस व राजद इस पर अपना रूख साफ नहीं कर पाया।  महाभियोग की प्रक्रिया काफी लम्बा है। दोनों सदनों में भाजपा के संख्याबल की वजह से इसका पास हो पाना आसान नहीं है।

गौरतलब है कि 27 फरवरी  2002 में गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के नरोदा पाटिया इलाके में मुस्लिम समुदाय के 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने भाजपा नेता और मंत्री माया कोडनानी समेत 51 लोगों को आरोपी बनाया था।
गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए फेसला दिया कि  कोडनानी वारदात वाली जगह पर उपस्थित होना साबित नहीं किया जा सका। इसलिए उनको बरी कर दिया गया।
बाबू बजरंगी सहित 32 आरोपियों को निचली अदालत से दोषी ठहराया था। न्यायालय ने 31 लोगों की सजा बरकरार रखी।  16 साल के बाद उच्च न्यायालय ने आज 20 अप्रैल को गुजरात सराकर के पूर्व मंत्री माया कोडनानी को सबूतों के अभाव में निर्दोष बताते हुए बरी कर दिया।
गौरतलब है कि  2012 में एसआईटी की स्पेशल कोर्ट ने नरोदा पाटिया मामले में अपना फैसला सुनाते हुए माया कोडनानी समेत 32 लोगों को दोषी ठहराया था। फैसले के तहत माया कोडनानी को उम्रकैद यानी 28 साल की सजा सुनायी गई थी।
नरोदा पाटिया दंगा मामले में विहिप से जुडे बाबू बजरंगी सहित  आरोपियों की सजा बरकार रखी।
उच्च न्यायालय ने ने आरोपी बाबू बजरंगी दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।जिससे अब पूरी जिंदगी बाबू बजरंगी को जेल में ही रहना होगा। गुजरात उच्च न्यायालय की जस्टिस हर्षा देवानी और एएस सुपेहिया की बेंच ने नरोदा पाटिया मामले में बीते साल अगस्त माह में सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर आज फैसला सुनाया गया।

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