उत्तराखंड देश

मोदी जी व गुजरात से प्रेरणा लें उत्तराखण्डी नेता व समाजः अनिल बलूनी

शादी व्याह, नामाकरण, तेरवीं श्राद्ध में ही व्यस्त रहने के बजाय प्रदेश के नवनिर्माण में समर्पित रहे मंत्री व जनप्रतिनिधी

 
राजधानी निर्माण के लिए जनभावनाओं को ईमानदारी साकार करे सरकार

 
प्यारा उत्तराखण्ड डाट काम
उत्तराखण्ड के चहुमुखी विकास के लिए उत्तराखण्ड के नेताओं व समाज को प्रधानमंत्री मोदी जी व गुजरात से प्रेरणा लेना चाहिए। यह अनौपचारिक बात भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने  28 दिसम्बर की दोपहरी को अपने कार्यालय में उनसे मिलने पंहुचे प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत, राज्य आंदोलनकारी अनिल पंत, पत्रकार अमर चंद व अंसारी से मिलने पर कही। भाजपा के मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने यह बात उत्तराखण्ड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले देवसिंह रावत द्वारा राज्य गठन के 17 साल बाद भी प्रदेश की अब तक की सरकारों द्वारा उत्तराखण्ड राज्य गठन की जनभावनाओं, शहीदों के सपनों , प्रदेश के चहुमुखी विकास व लोकशाही के प्रतीक की राजधानी गैरसैंण नहीं बनाये जाने पर दुख प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से जनभावनाओं से अवगत कराने के अनुरोध पर कहा।
श्री रावत की बातें सुनने के बाद उत्तराखण्ड मूल के प्रधानमंत्री मोदी व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के करीबी समझे जाने वाले भाजपा की तेजतरार मीडिया के प्रमुख अनिल बलूनी ने कहा मुझे गुजरात की विकासोनुमुख राजनीति को देखने के बाद अपने उत्तराखण्ड को देख कर बेहद दुख होता है। उत्तराखण्ड का अगर हमें वास्तव में चहुमुखी विकास करना है तो हमें प्रदेश में व्याप्त नकारात्मक राजनीति व सोच में आमूल परिवर्तन करना होगा। श्री बलूनी ने कहा में लम्बे समय तक गुजरात में रहा। वहां पर हर साल मुझे विकास के परचम लहराते हुए दिखाई देता है। परन्तु उत्तराखण्ड में मुझे यह देख कर आश्चर्य होता है यहां के नेता आये दिन अपना अधिकांश समय शादी, जन्म दिन, नामकरण, तेरवीं व श्राद्ध या किसी निजी समारोहों में ही खर्च करते देखे जाते है। या किसी नेता के पीछे गणेश परिक्रमा करते नजर आते। जब प्रदेश के जनप्रतिनिधी अपना अधिकांश समय ऐसे कार्यो में खर्च करते रहेगें तो उनके पास प्रदेश के विकास करने के लिए समय बचेगा ही कहां। इसीलिए प्रदेश की अब तक की सरकारें प्रदेश की राजधानी बनाने तक का निर्णय मजबूती से नहीं कर सके। जबकि गुजरात में वहां की नेता सदैव गुजरात के विकास के लिए समर्पित रहते। श्री बलूनी ने कहा कि वे प्रायः किसी शादी, जन्मदिन या तेरहवीं इत्यादि निजी कार्यक्रमों से दूर रहते हैं।
उत्तराखण्ड में भाजपा के नये नेतृत्व में सुमार भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने भले ही गैरसैंण राजधानी बनाने का सीधे समर्थन न भी किया हो पर उन्होने सरकारों को नसीहत दी कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश की राजधानी बडी मजबूती से बनायी जानी चाहिए। इसको नाहक ही नहीं लटकाना चाहिए। इस अवसर पर श्री रावत ने श्री बलूनी का ध्यान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू द्वारा तेलांगना गठन होने के चंद साल बाद ही आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी अमरावती का निर्माण भी प्रारम्भ कर दिया है। वहीं उत्तराखण्ड की जनता द्वारा राज्य गठन जनांदोलन के प्रारम्भ के दिनों में ही गहन विचार विमर्श के राजधानी गैरसैंण को सर्व सम्मति से तय कर दिया था। गैरसैंण पर 1994 तक उप्र की मुलायम सिंह यादव सरकार ने कोशिक समिति का गठन करके जनमत की मुहर भी लगा दी थी। राज्य गठन के बाद त्वरित जनभावनाओं का सम्मान करने के बजाय प्रदेश बलात देहरादून में ही सरकार कुण्डली मार कर बैठ गयी। जिससे प्रदेश के उन क्षेत्रों में शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, आदि लोग वंचित होने से देहरादून सहित मैदानी जनपदों की तरफ पलायन करने लगे। देखना यह है कि भाजपा के नेताओं की ऐसे दृष्टिकोण से प्रदेश के नेतृत्व को उबरना होगा। गुजरात कहने से अधिक कार्य करने में विश्वास रखते है।

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