उत्तराखंड

सरकार के ग्रीष्मकालीन राजधानी को उत्तराखंड द्रोह बता कर आंदोलनकारियों ने गैरसैंण राजधानी के लिए फूंका जनांदोलन का शंखनाद

देहरादून में गैरसैण निर्माण के लिए देहरादून में एकजुट हुए आंदोलनकारी

गैरसैंण राजधानी घोषित करो के लिए बजट सत्र में देहरादून में उमड़ेंगे प्रदेशभर से उत्तराखंडी

  • देहरादून( प्याउ) । उत्तराखंड की अवधारणा के प्रतीक गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के लिए प्रदेशभर में विशाल जनांदोलन छेड़ा जाएगा। देहरादून में आयोजित ‘गैरसैंण- जनमंथन’ परिचर्चा कार्यक्रम में इसका ऐलान किया गया। हिंदी भवन में आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में प्रदेश भर से आए लोगों ने भागेदारी की जिनमें उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, राजनीतिक और समाजिक क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी तथा छात्र-छात्राएं थे। जन संवाद कार्यक्रम में मुख्य रूप से तीन प्रस्ताव पारित किए गए। पहला प्रस्ताव यह कि प्रदेश में दो-दो राजधानियों के बजाय एक ही राजधानी हो और वह गैरसैंण हो। दूसरा प्रस्ताव यह पारित हुआ कि देहरादून राज्य की राजधानी के रूप में किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं। तीसरा प्रस्ताव पारित किया गया कि देहरादून के रायपुर में प्रस्तावित विधानसभा भवन का निर्माण किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा।
    परिचर्चा कार्यक्रम में वक्ताओं ने गैरसैंण को पलायन और बेरोजगारी समेत प्रदेश की सभी बड़ी समस्याओं का हल बताते हुए जन-जागरण अभियान की जरूरत पर बल दिया। सभी वक्ता एक सुर में इस बात पर सहमत थे कि जब तक जन दबाव नहीं बनेगा तब तक कोई भी सरकार गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी नहीं बनाएगी। इसके लिए तय किया गया कि जल्द ही गैरसैंण को लेकर प्रदेश के सभी हिस्सों में जन-संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। पहले चरण में जिला एवं ब्लाक मुख्यालयों में छोटी-छोटी गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी जिसके बाद धीरे-धीरे बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। गैरसैंण पर रायशुमारी के साथ ही आंदोलन की जमीन तैयार की जाएगी और इसके बाद जनांदोलन छेड़ा जाएगा। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक पत्रकार मोहन भुलानी, रघुवीर बिष्ट तथा लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल थे। प्रमुख वक्ताओं में राज्य आंदोलनकारी देव सिंह रावत, रविंद्र जुगरान, रघुवीर बिष्ट, इंद्रेश मैखुरी, योगेश भट्ट, प्रदीप सती, कर्नल अजय कोठियाल, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल, छात्र नेता सचिन थपलियाल, मोहन रावत उत्तराखंडी भगवती प्रसाद मैंदोली, जगमोहन मेंदीरत्ता, पीसी थपलियाल, , केसर सिंह बिष्ट, पुरुषोत्तम भट्ट, समर भंडारी आदि थे। जनकवि अतुल शर्मा तथा उनके साथी जगदीप सकलानी ने जनगीत गाकर अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप कुकरेती ने किया।

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