उत्तराखंड

भारी वर्षा से प्रदेश में 9 मरे ( 6 कोटद्वार, 1 बागेश्वर व 2 देहरादून) व 4 दर्जन से अधिक हुए घायल

देहरादून में बादल फटने से लोग सहमें

सौणा का मैना, ब्वे कनी के रेणा………………..नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गीत से उजागर होती पहाड़ में वर्षाकाल का खौपनाक स्थिति

कोटद्वार (प्याउ)। कोटद्वार में 3 अगस्त की मध्य रात्रि को भारी मूसलाघार वर्षा से 6 मरे व 4 दर्जन से अधिक हुए घायल, जनजीवन अस्तव्यस्त। रिफयूजी कालोनी में पानी घुसा। एक महिला व एक युवक की मौत, सडक क्षतिग्रस्त। लोगों में दहशत। मुख्यमंत्री ने इस आपदा पर गहरा शोक प्रकट करते हुए प्रत्येक मृतक के परिजनों को 4 -4 लाख रूपये देने का ऐलान किया।
वहीं दोपहर देहरादून में परेड़ मैदान के आसपास बादल फटने की घटना से लोग सहम से गयें। मूसलाधार वर्षा से लोग भौचंक्के रह गये। भले ही यहां कोई तबाही नहीं हुई। पर लोग हैरान रह गये।

प्रदेश में इस अतिवृष्टि से  9 लोगों की दर्दनाक मौत होने की खबर है। 4 दर्जन से अधिक लोग घायल हो गये। जहां कोटद्वार में 6 लोग मारे गये, वहीं बागेश्वर में एक व देहरादून में 2 लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी।
कोटद्वार में अतिवृष्टि से आयी आपदा के कारण मारे गए 6  लोगों में  मुस्कान बानू निवासी रामागांव, शान्ति देवी (60) पत्नी राम सिंह मानपुर, अजय कुमार (39) पुत्र बालक राम निवासी मानपुर, लक्ष्य अरोड़ा (21) पुत्र चंद्रप्रकाश रिफ्यूजी कालोनी,ज्योति अरोड़ा पत्नी बबली अरोड़ा रिफ्यूजी कालोनी, व राजेश सैनी (75) पुत्र मेघा सिंह नवा गांव बलभद्रपुर शामिल हैं।
3 अगस्त की मध्य रात्रि में हुई विनाशकारी वर्षा ने कोटद्वार क्षेत्र में भारी तबाही मचाई।  शहरी क्षेत्र में 5 व ग्रामीण क्षेत्र में एक की दर्दनाक मौत हो गयी। इस त्रासदी में 4 दर्जन से अधिक लोग घायल हुए है। इस त्रासदी से सबसे अधिक तबाही मानपुर, आमपड़ाव व रिफ्यूजी कालोनी पर पड़ी, जहां पानी व मलबा सैकड़ों घरों में जा घुसा। आमपड़ाव फील्ड व सेना की दीवार को तोड़कर रोखड़ का पानी नजीबाबाद रोड स्थित रिफ्यूजी कालोनी तक पहुंच गया जिससे यहां लोगों के घरों में 6 फुट तक पानी भरने से लोगों ने छतों में चढ़कर जान बचायी। इस अतिवर्षा से कोटद्वार क्षेत्र में मकान, सडक, खेत खलिहान व पशु सभी इस त्रासदी की चपेट में आ गये। कई पुल टूटने से यातायात ठप्प हो गया। देवी रोड पर भारी मलबा आने कारण दुकानदारों को करोड़ों का नुकसान होने का अनुमान है। यहां की लगभग चार दर्जन से अधिक दुकानों का सामान पूरी तरह खराब हो गया है। वहीं आर्मी की कैंटीन तो तबाह हो गयी। आर्मी के एमटी में भी भारी नुकसान हुआ है जबकि पदमपुर में दर्जनों घरों में मलबा भर गया है।क्षेत्र के 20 प्राथमिक व इंटर कालेज के भवनों की दीवार टूटने व स्कूलों में मलवा भरने की खबर है। शक्ति चैड़ में कृषि भूमि तबाह हो गयी तो गाड़ीघाट क्षेत्र में भी भारी तबाही हुई है। कौड़िया क्षेत्र के  घरों में जलभराव से लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। सूर्यनगर व उदयरामपुर की सेकडों नाली कृषि भूमि बह गयी है और पूरी धान की फसल मलबे से पट गई।
सुखरो नदी पर बने रेलवे पुल क्षतिग्रस्त होने से कोटद्वार-नजीबाबाद के बीच रेल यातायात बंद हो गया है। यहीं पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया है। बादल फटने से  कण्वाश्रम क्षेत्र व कोटला गांव में भारी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में आयी इस आपदा का मुख्यमंत्री ने स्वयं संज्ञान में ले कर प्रशासन को युद्धस्तर पर जुट गया। परन्तु कोटद्वार जैसे क्षेत्र में आयी विनाशकारी विपदा और देहरादून के परेड़ मैदान क्षेत्र में बादल फटने की घटना से लोग सहमें हुए है।

बागेश्वर के ढोला गांव में 4 अगस्त को एक गदेरे को पार करते समय एक छात्र बह गया।  जानकारी के अनुसार प्राथमिक विद्यालय पंत्युड़ी (कांडा) का पांचवीं का छात्र मनीष कुमार पुत्र प्रतापराम स्कूल से लौटते समय गदेरा पार कर रहा था, उसी दौरान पैर फिसलने से वह बह गया। समाचार लिखे जाने तक उसका कुछ पता नहीं चल सका। पिथोरागढ़ में भी अतिवर्षा से अनेक मोटरमार्ग अवरूद्ध हो रखे है।  तवाघाट से लेकर धारचूला तक सड़क अवरुद्ध है। अल्मोड़ा, चम्पावत, बागेश्वर व पिथोरागढ़, चमोली, रूद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी जनपदों के कई मार्ग भारी वर्षा के बाद आये मलवा व भूस्खलन से अवरूद्ध हो रखे है। पर्वतीय जनपदों में अतिवर्षा से पिंडर, धोली, अलकनंदा, महाकाली, मंदाकिनी, भागीरथी शारदा, सरयू, रामगंगा, नयारों समेत सभी नदियों के साथ गाढ़ गदेरे बिकराल बने हुए है।

देहरादून में टौंस नदी में सेब से भरा ट्रक बहने से उसके चालक व सहायक का भी कोई पता नहीं चला। रिस्पना व विंदाल नदी के जल स्तर बढ़ने से पानी कई दुकानों व घरों में घुस गया। गढ़ी कैंट में दो मकान क्षतिग्रस्त हो गये।
सीमान्त चमोली जनपद में जोशीमठ बदरीनाथ राजमार्ग में लामबगड़ में भूस्ंखलन होने 38 घण्टे से यातायात अवरूद्ध, प्रशासन यहां पर फंसे हजारों यात्रियों के सुरक्षित आवाजाही के लिए मार्ग खोलने में लगा है। वहीं गोचर के समीप चटवा पीपल में भी पुल में मलवा आने से यातायात अवरूद्ध हुआ।

वहीं प्रशासन ने पर्वतीय जनपदों सहित प्रदेश के 8 जनपदों में भारी मूसलाधार वर्षा होने की भविष्यवाणी करके लोगों को सजग किया है। प्रशासन किसी अनहोनी से बचाव करते हुए 5 जनपदों में विद्यालयों में अवकास घोषित किये है। वहीं पर्वतीय जनपदों में इस बर्षा से अनैक मोटर मार्ग क्षतिग्रस्त है। चारधाम यात्रा पर इस वर्षा का भारी असर पड़ा है। तीर्थयात्री भी प्रशासन की चेतावनी जारी किये जाने से 2013 में हुए केदारनाथ त्रासदी को ध्यान रखते हुए चार धाम यात्रा का जोखिम ऐसी स्थिति में करने से बच रहे हैं।
भले ही फिल्मों व नाटकों में पहाड़ में वर्षा का मनमोहक दृश्यों से लोग रूबरू होते है। परन्तु वर्षा काल में पर्वतीय क्षेत्रों का जीवन सबसे विकट होता है। वर्तमान में भले ही कुछ स्थिति सुधर गयी हो पर पहले लोग बेसक्याल यानी वर्षात काल में रात को सहमें रहते। कहीं बज्रपात, कहीं भूस्खलन तो कहीं गाड कदेरों का प्रकोप। बेटी ब्वारी जंगल से घास लकडी से सुरक्षित आये। खेतों में चारों तरफ किचड की किचड़। पहले लोग वर्षात आने से पहले नमक, गुड, तेल, राशन इत्यादि पहले ही संग्रह कर देते। सडकें टूट जाती थी। महिनों तक सबबकुछ ठप्प हो जाता था। यही नहीं आम लोग भी ऐसी हालत में अपने गांव से बाहर दूर की यात्रा करने से बचते है। लोग पहले से ही सावन व भादो के महिने दशकों से बहुत ही जरूरी काम होने पर ही दूर की यात्रा करते है। वर्षा में पहाड़ों के दूरस्थ क्षेत्रों मेें जहां घसियारियां, जंगलों, पेड़,पाखों, चट्टानों में बहुत ही सावधानी से जाती है। अनैक दुर्घटनायें वर्षा में हो जाते है। पैड़, पाखें, गाड़ गदेरे सब जगह काल ही मंडराते माना जाता है। पहाड़ की नारी के इस दर्द पर उत्तराखण्ड के स्वर सम्राट नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने गीतों में प्रमुख स्थान दिया। उनका एक गीत ‘सौण का मैना, ब्वे कनी की रेणा……’………..पहाड़ में वर्षा काल की भीषणता को ही उजागर करता है।

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