उत्तराखंड

तबादला के लिए शिक्षकों की नौटंकी देख कर हैरान हैं खुद उत्तराखण्ड के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे

शाबास शिक्षा मंत्री अरविंद, इसी तरह लगायें मोटा वेतन लेने के बाद भी कक्षा मे न पढ़ाकर प्रदेश के नौनिहालों का भविष्य बर्बाद करने वाले दागदार शिक्षकों पर अंकुश

देहरादून (प्याउ)। जहां उत्तराखण्ड की हुक्मरान, जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने के बजाय मांत्र अपने निहित स्वार्थ व अपनी पंचतारा सुविधाओं युक्त जीवन जीने की अंध लालशा में जनांकांक्षाओं को जमीदोज करके देहरादून में कुण्डली मार कर प्रदेश को पतन के गर्त में धकेल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के पर्वतीय जनपदों व दूरस्थ क्षेत्रों में कार्यरत अनैक सरकारी कर्मचारी भी प्रदेश के नेताओं व नौकरशाहों का ही अंधा अनुशरण करके देहरादून व उसके आसपास के जनपदों में अपना तबादला कराने में ही अपने संसाधन व सारा समय नष्ट करने में लगे है।
इससे न केवल जिन विद्यालयों, चिकित्सालयों व अन्य सरकारी कार्यालयों में ये वर्तमान में नियुक्त हैं वहां पर ये समुचित सेवायें नहीं दे रहे है। जिससे प्रदेश के अधिकांश विधालय, चिकित्सालय व अन्य सरकारी कार्यालय में इनके द्वारा किये जाने वाले काम ठप्प है।
देहरादून सहित मैदानी जनपदों में अपना तबादला करने के लिए कर्मचारी कैसे नौटंकी कर रहे हैं इसका भान प्रदेश के वर्तमान शिक्षा मंत्री इसी सप्ताह अपने विधानसभा स्थित कार्यालय में हुआ। जब एक अध्यापक बहुत ही बीमारी व असहाय की हालत में पहिये वाली कुर्सी में बैठ कर उनके पास तबादला के लिए लाये गये। उसकी हालत देख कर द्रवित मंत्री ने भी उसके बदली के कागच अपने पास रख दिया। परन्तु जैसे ही वह शिक्षक को बाहर ले जाने लगा तो उसके चेहरे के कुछ ऐसे भाव देख कर मंत्री जी को दाल में कुछ काला लगा। मंत्री जी सबकी नजर बचाते हुए बाहर विधानसभा के प्रवेश द्वार की तरफ गये। वहां उन्होने देखा की वह पहिये दार कुर्सी में लाचार बन कर उसके पास आया अध्यापक कुर्सी से उतर कर सामान्य आदमी से तेजी से एक गाडी में बैठ गया। इस दृश्य को देख कर मंत्री जी भौचक्के रह गये, उन्है अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। पर उन्होने विवेक से काम लेते हुए फुर्ती से उस गाडी के आगे जा कर तबादले के लिए उनकी आंखों में धूल झोंकने के लिए नौटंकी कर रहे शिक्षक को गाडी से उतार कर जम कर डपट लगायी।
नौटंकीबाज, सुविधाभोगी व अपने कर्तव्य से विमुख ऐसे नौटंकी बाजों के ऐसे कृत्यों से प्रदेश का शिक्षा विभाग व ईमानदारी से अपने दायित्वों को निर्वहन करने वाले समर्पित शिक्षक भी शर्मसार हैं। ऐसे नौटंकी बाजों के कारण हकीकत में बीमार, लाचार अध्यापकों की भी फरियाद नहीं सुनी जाती है। सबसे हैरानी की बात यह है शिक्षकों को मोटा वेतन मिलने के बाद विद्यालयों में सही ढंग से अपने दायित्वों का निर्वाह न करने से जहां लाखों बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है वहीं दूरस्थ व सीमान्त जनपदों से उचित शिक्षा न मिलने के कारण लोग पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे है।
प्रदेश में शैक्षणिक कार्य से जी चुराने वाले शिक्षकों पर कड़ी कार्यवाही करने व फर्जी प्रमाण पत्रों की व्यापक जांच कराने से जहां शिक्षा में भारी हडकंप मचा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में राज्य गठन के समय से उप्र में जाना चाहने वाले 136 शिक्षकों के मंसूबों पर अधिकारियों से मिली भगत से मिले अनापत्ति प्रमाण पत्रों की भनक लगने के बाद मंत्री ने आगे की कार्यवाही रोक दी है।
यही नहीं प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में औचक्क निरीक्षण करने से कई लापरवाह व विद्यालय से अनुपस्थिति शिक्षकों पर भी मंत्री समय समय पर कार्यवाही करने से विधायल में शिक्षण कार्य न करने वाले शिक्षकों में हडकंप मचा हुआ है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री भले ही अपने अधिकां दौरे देहरादून, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर व हरिद्वार जनपदों में कर रहे हैं पर इसके साथ प्रदे की जनता को आशा है वे पर्वतीय जनपदों की भी सुध लेंगें जहां विद्यालयों का हाल ऐसे नौटंकीबाज शिक्षकों के कारण बद से बदतर हो रखा है।

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