उत्तराखंड

उत्तराखण्ड में 17 साल में मंत्रियों व विधायकों के लिए मिला पहला दबंग मुख्यमंत्री

17 साल में पहली बार उत्तराखण्ड के मंत्रियों व विधायकों को मिला एक ऐसा दबंग मुख्यमंत्री, जिसने अब तक के मुख्यमंत्रियों की नाक में दम करने वालो को मेमना बना रखा है। 

काश वर्तमान मुख्यमंत्री जनांकांक्षाओं को भी साकार करने का साहस जुटाते

देवसिंह रावत

17 साल में पहली बार उत्तराखण्ड के मंत्रियों व विधायकों को मिला पहली बार एक ऐसा दबंग मुख्यमंत्री, जिसने अब तक के मुख्यमंत्रियों की नाक में दम करने वालो को मेमना बना रखा है।उत्तराखंड के अब तक के सभी मुख्यमंत्रियों को चाहे स्वामी , कोश्यारी, तिवारी, खंडूरी, निशंक, बहुगुणा व हरीश रावत हो, सभी को उनके दल के मंत्रियों व विधायकों ने नाक में दम कर रखा था।पर त्रिवेंद्र रावत के शासन में अब तक इनको मनमानी करने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र अभी तक किसी मंत्री व विधायकों के दवाब में नहीं आ रहे हैं। प्रदेश भाजपा के क्षत्रपों का भी कोई दवाब नहीं चल रहा है। मुख्यमंत्री के खिलाफ पहले आये दिन दिल्ली दरबार के समक्ष बदलाव की गुहार लगाने वाले अब दिल्ली दरबार की तरफ कदम उठाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं। आयेंगे भी कैसे त्रिवेंद्र रावत खुद भाजपा के आला कमान की पसंद है। इसके साथ 17साल में त्रिवेंद्र पहले मुख्यमंत्री हैं जिनको पूर्ण बहुमत ही नहीं अभूतपूर्व बहुमत मिला है।
जनता को विश्वास था कि प्रदेश भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत अपने शासन काल में राज्य गठन की जनाकांक्षाओं, (राजधानी गैरसैंण बनाने, मुजफ्फरनगर काण्ड 94 के गुनहगारों को सजा दिलाने व हिमाचल की तरह का कानून बनाने सहित सभी जनांकांक्षाओं) को साकार करने काम करेंगे। प्रदेश को शराब,भ्रष्टाचार, उत्तराखंड विरोधियों पर अंकुश लगाये। प्रदेश के बेलगाम मंत्री, विधायक व नौकरशाहों की मनमानी पर जरूर अंकुश लगाने का काम मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत प्रदेश के अब तक के पूर्व मुख्यमंत्रियों से कहीं अधिक सफल रहे। परन्तु अभी तक जनांकांक्षाओं को साकार करने की दिशा में वर्तमान मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता को निराश ही किया। खासकर राजधानी गैरसैंण बनाने, प्रदेश में शराब पर अंकुश लगाने के मामले में वर्तमान मुख्यमंत्री ने जनता को निराश ही किया है।

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