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भारतीय संस्कृति की प्रतीक गाय को घर में रखने से आध्यात्मिक शांति व आनंद की अनुभूति होती है: मुख्यमंत्री रावत

गाय व बछडे की पूजा से शुभारंभ की उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रावत ने अपने आवास में नवनिर्मित गौशाला

गैरसैंण में राजधानी बना कर गौ, गंगा व गीता वाली भारतीय संस्कृति का परचम लहरायेें मुख्यमंत्री रावत

देहरादून(प्याउ)। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने 9 जून को मुख्यमंत्री आवास में नव निर्मित गौशाला का शुभारम्भ गाय व बछडे की पूजा अर्चना करते हुए की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय हमारी संस्कृति का प्रतीक है। घर में गाय को रखने से आध्यात्मिक शांति व आनंद की अनुभूति होती है।
9 जून, शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में नवनिर्मित गौशाला का विधिवत शुभारम्भ किया गया। हालांकि इस अवसर पर उनके मंत्रीमण्डल के सहयोगी व अन्य प्रमुख लोगों को आमंत्रण नहीं दिया गया।  मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुनीता रावत ने गौशाला में लाई गई गाय की पूजा कर गौशाला का औपचारिक शुभारम्भ किया। फिलहाल एक गाय व उसका बछड़ा मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में लाए गए हैं।

इससे पहले उत्तराखण्ड के किसी मुख्यमंत्री के आवास में गाय या गौशाला रही ऐसा कभी चर्चा में नहीं सुनायी दिया। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के विशाल आवास में गौशाला न हो तो समझा जा सकता है इससे पहले के मुख्यमंत्री भारतीय संस्कृति के प्राण समझी जाने वाली देवभूमि उत्तराखण्ड को कितना आत्मसात करते होंगे। प्राचीन समय में भी घर की पावनता के लिए उत्तराखण्ड का हर घर गौशाला जुडा रहता था। परन्तु धीरे धीरे जैसे उत्तराखण्ड पश्चिमी संस्कृति का अंधानुशरण करने लगा तब से गाय व गौशाला दूर होती गयी। उसके बाद गाय का स्थान भैंस ने ले लिया है। अब जबसे थैली वाला दुग्ध का प्रचलन उत्तराखण्ड में भी होने लगा तब से लोग गाय तो रही दूर भैंस रखना व खेती करना भी भूल रहे है। यह सब उत्तराखण्ड से विमुख होने के कारण हो रहा है। प्रदेश की जनता को आशा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरह देहरादून व पश्चिमी संस्कृति के मोह पाश से निकल कर गैरसैंण में उत्तराखण्डी संस्कृति का परचम लहरायेंगे।

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