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बेकाबू हुआ मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन, गोली से हुई 6 की मौत, मंदसौर में लगा कर्फ्यू

 

उप्र के किसानों के कर्ज माफ होने से छिडा महाराष्ट्र, मप्र, तमिलनाडू में भी किसानों का कर्ज माफी आंदोलन
भूमि अधिग्रहण कानून वापस लेने व कर्ज माफी आदि मांगों लेकर 1 जून चले आंदोलन के आगे बेबश हुई सरकार, मंदसौर में कर्फ्यू , इंटरनेट सेवा रद्द, राहुल गांधी व हार्दिक पटेल मिलेगे आंदोलनकारियों से , 7 व 8 जून को बंद

भोपाल (प्याउ)। मध्य प्रदेश में भू अधिग्रहण कानून व कर्ज माफी समेत कई मांगों को लेकर 1 जून से चल रहा किसानों का आंदोलन छटे दिन ही हिंसक हो कर बैकाबू हो गया। पुलिस की गोली से 6 किसान मारे गये। इसके विरोध में 7 व 8 जून को मध्य प्रदेश बंद का भी कई संगठनों ने आवाहन किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। जिले में तीन दिनों से फैल रही अराजकता को हलके में लेना जिला और पुलिस प्रशासन को 6 जून को भारी पड़ा। किसान आंदोलन बेकाबू हो गया।
आंदोलनकारी किसानों ने पुलिस थाने सहित बैकाबू हिंसक आंदोलन को काबू करने के लिए मंदौर में आंदोलन कर रहे किसान मंगलवार को मंदसौर जिले में हिंसक हो गए। उन्होंने विभिन्न जगहों पर 4 दर्जन के करीब ट्रक व छोटे बाहन फूक दिये।  हिंसक व बेकाबू हुए आंदोलनकारियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस द्वारा आंसू गैस व लाठी चार्ज के बाद भी जब हालत काबू नहीं आयी तो पुलिस ने किसानों पर गोली चला दी जिससे 6 किसान मारे गये।

जबकि 7 जून को मंदसौर के जिलाधिकारी जो आंदोलनकमारी किसानों से मिलने गये थे, आक्रोशित आंदोलनकारियों ने जिलाधिकारी को खदेड़ दिया, उनके कपडे भी फाडे गये। जिलाधिकारी स्वतंत्र कुमार ने साफ किया कि किसानों पर गोली चलाने का आदेश उन्होने नहीं दिया। जिलाधिकारी ने बताया कि इस घटना की मजिस्टेट की जांच के आदेश दिये गये हैं।
हालत बेकाबू देख मंदसौर शहर में कर्फ्यू लगा दिया। इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। मुख्यमंत्री शिवराज चैहान ने इस हिंसा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। वहीं सरकार ने किसान आंदोलन में मारे गये  मारे गए किसानों के परिजनों को एक एक करोड़ रूपये का मुआवजा देने का ऐलान किया। हालांकि पहले राज्य सरकार ने दस-दस लाख रुपये का मुआवजा देने का का ऐलान किया था। परन्तु स्थिति को देखते हुए इस मुआवजे को एक एक करोड़ रूपये करने का ऐलान  किया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी 7 जून को मंदसौर पहुंचेंगे। इसके साथ गुजरात के पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल भी मंदसौर आएंगे। राहुल गांधी व हार्दिक पटेल के आने से किसान आंदोलन और अधिक भडकने की आशंका से प्रशासन सतर्क है।
मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में भी इस आंदोलन के हिंसक होने की आशंका से शासन ने पुलिस को सतर्क कर दिया है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज चैहान ने कहा कि मै चर्चा के माध्यम से हर समस्या के समाधान के लिए हमेशा तैयार हूं। हिंसा फैलाने वालों के मंसूबे कामयाब नहीं होने दें। हमारी सरकार किसानों के साथ हमेशा खड़ी है। कुछ राजनीतिक दलों व असामाजिक तत्वों ने षड्यंत्र के तहत आंदोलन को हिंसात्मक रूप देने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री के इस आरोप को सिरे से नकारते हुए किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष  शिवकुमार शर्मा ने आरोप लगाया कि आंदोलनकारी असामाजिक नहीं, बल्कि सरकार असामाजिक तत्वों के हाथ में हैं। यह उसी बयान का परिणाम है, जिसमें गृहमंत्री ने कहा था कि आंदोलनकारियों से सख्ती से निपटेंगे।
1 जून से चले मध्यप्रदेश में किसानों के इस बेकाबू हुए आंदोलन का प्रारम्भ  मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए बनाये गये एक नये कानून को वापस लेने की मांग को लेकर प्रारम्भ हुआ। इसके बाद किसानों के कृषि ऋण माफ किए जाएं आदि मांगे जुडी। उल्लेखनीय है कि मप्र की शिवराज चैहान सरकार ने एक कानून बनाकर किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने पर धारा 34 को हटा दिया था ।  इस धारा के हटने से भूअर्जन केस में किसानों से कोर्ट जाने का अधिकार वापस ले लिया था। किसानों की पहली मांग नया कानून खत्म करने की है।  किसानों के कर्ज माफी की मांग उप्र में भाजपा की नवनिर्वाचित योगी सरकार ने 86 लाख किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की है। एक अनुमान के तहत इससे राज्य सरकार के खजाने पर लगभग 36,000 करोड़ रुपये का भार आएगा। हालांकि कर्ज माफी की मांगों को लेकर न केवल मध्य प्रदेश अपितु महाराष्ट्र में भी राज्य व्यापी किसान आंदोलन इन दिनों छिडा हुआ है। कर्जमाफी की मांग तमिलनाडू के किसान भी कर रहे है।
मध्य प्रदेश के आंदोलनकारी किसानों की अन्य प्रमुख मांगें है स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाएं। फसलीय कृषि ऋण की सीमा 10 लाख रुपए की जाए। वसूली की समय-सीमा नवंबर और मई की जाए। देश की सभी कृषि उपज मंडियों में भारत सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से नीचे फसलों की बिक्री न की जाए।आलू, प्याज सहित सभी प्रकार की फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया जाए। आलू, प्याज की कीमत 1500 रुपये प्रति क्वंटल हो। भारत सरकार के भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को ही रखा जाय।  महंगाई को देखते हुए मध्यप्रदेश में दूध उत्पादक किसानों को 52 रुपये प्रति लीटर दूध का भाव तय हो और भाव तय करने का अधिकार किसानों को मिले। दूध, दूध पाउडर और अन्य उत्पादों पर निर्यात सब्सिडी पुनरू शुरू की जाए।भारत में डॉलर काबुली चना जिसका उत्पादन केवल मध्यप्रदेश में होता है। डाॅलर काबूली चना के बीज प्रमाणित कर समर्थन मूल्य घोषित किया जाए। इससे भारत सरकार को विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।खाद, बीज और कीटनाशकों की कीमतों को नियंत्रित किया जाए। एक जून से शुरू किसानों के असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार सभी किसानों को बिना शर्त रिहा किया जाए।

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