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देश के भी गुनाहगार है सहारनपुर में हिंसा फैला कर अमन चैन पर ग्रहण लगाने वाले

ग्रामीण ने राहुल गांधी से कहा -शब्बीरपुर गांव के लोग शांति से रहते है पर बाहर के लोग आ कर कर रहे हैं शांति भंग

सहारनपुर (प्याउ)। 27 मई को  भले ही पुलिस की अनुमति के बिना सहारनपुर पंहुचे कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सहारनपुर में हुई हिंसा के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दलितों का दमन करने का आरोप लगाया और प्रशासन की निष्क्रियता की कडी भत्र्सना की। शब्बीरपुर गांव के कुछ पीड़ितों ने भी राहुल गांधी को अपना दर्द बयान किया। पर राहुल गांधी को सहारपुर की हिंसक घटनाओं के लिए चर्चित रहे शब्बीरपुर गांव के निवासी ने गांव की सच्चाई यह कह कर दो टूक शब्दों जगजाहिर किया कि शब्बीरपुर में बाहर के लोग आकर पत्थरबाजी करते हैं, शब्बीरपुर के लोगों का हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है। दोनों पक्षों के लोग शांति के साथ रहते हैं। यह बयान को चंद लोग सिरे से नकार सकते है। परन्तु हकीकत यही है। सहारनपुर में हाल में हुई हिंसा से चर्चा में रहे गांव की दलित परिवार की बेटी की शादी में जिस प्रकार से वहा विरोधी गुट के रूप में प्रचार किये जा रहे ठाकुर समुदाय के लोगों ने कन्यादान व स्वागत सत्कार कर सहारनपुर का वातावरण विषाक्त बनाने में तुले लोगों को  अवश्य झटका लगा होगा। पर सच्चाई यह है कि सदियों से भारतीय समाज में भले ही जातिवाद में जकड़ा हुआ हो परन्तु गांवों में विभिन्न जातियों के बीच भाईचारा सदैव जीवंत रहता है।
प्रशासन को मिल रही जानकारी भी शब्बीरपुर के गांव के निवासी की बातों को ही बल देता है कि सहारनपुर का माहौल कुछ तत्वों ने षडयंत्र के तहत बिगाडा है। ये तत्व नहीं चाहते है कि प्रदेश में शांति व विकास का माहौल बने। ये तत्व अपने निहित स्वार्थो के लिए सहारनपुर सहित पूरे देश का माहौल विषाक्त बनाना चाहते है।
प्रशासन का सहारनपुर जैसे संवैदनशील शहरों में सामान्य स्थिति होने तक राजनैतिक नेताओं के आने पर प्रतिबंध लगाने का उचित निर्णय है। क्योंकि सहारनपुर की घटनाओं के बाद जिस प्रकार मायावती की यात्रा के बाद वहां पर दंगा भडका उससे साफ है कि प्रशासन का नेताओं के सहारनपुर दौरों पर प्रतिबंध लगाना सही दिशा में सराहनीय निर्णय है।
देखा यह जाता है कि राजनैतिक दल अपनी राजनीति चमकाने के लिए मात्र बयानवाजी करते रहते है। वे समाज में शांति स्थापित करने के अपने दायित्व का निर्वहन करने की भूल जाते है। इसीकारण प्रशासन ने उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सहित तमाम नेताओं के सहारनपुर के दौरे को स्वीकृत नहीं दी।
आशा है कि प्रशासन  ऐसे तत्वों के षडयंत्र को बेनकाब करने वाली रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी । सरकार को चाहिए ऐसे तत्वों को चाहे वह किसी जाति व धर्म का क्यों न हो उसको कड़ा दंड देना चाहिए। जिससे देश को बदनाम करने वालो की फिर ऐसी घटनायें कराने की हिम्मत फिर न जुटा सके। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए कि जिससे समाज में ऐसे तत्वों को अलग थलग करके लोगों को गुमराह होने से बचाया जा सके।

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