उत्तराखंड

विरोधी नहीं, आवारा कुत्ते कर रहे है मुख्यमंत्री रावत की नींद खराब !

आवारा कुत्तों के आगे प्रदेश के सुरक्षा अधिकारी भी बेवस, जनांकांक्षाओं को साकार करने में जुटे मुख्यमंत्री

देहरादून (प्याउ)। खबर है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आजकल देहरादून के आवारा कुत्तो से परेशान है । देहरादून में इन दिनों रात में कैंट रोड स्थित सीएम आवास के पास आवारा कुत्तों का झुंड रात में मुख्यमंत्री रावत के आवास के सामने भौंकते रहते है जिसकी वजह से सीएम साहब की नींद उड़ी हुई है। सुरक्षा दस्ते भी इन कुत्तों पर अंकुश लगाने में असफल रही है। इस घटना से सबक लेकर शहरी विकास विभाग को भी इस मामले में पत्र भेज कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण के लिए जरूरी इंतजाम किए जाने के लिए ठोस करवाई करने के निर्देश दिए गए है।
इस खबर सुन कर प्रदेश की जनता हैरान रह गयी। क्योंकि लोगों को आशंका तो यह थी कि प्रदेश की अब तक की राजनीति को देखते हुए तो लगता था कि जो भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होता है उत्तराखण्ड में उसके बनने से पहले ही उसको बेताज करने के लिए उसी के दल के लोग कमर कस लेते है। इसके कारण प्रदेश के हर मुख्यमंत्री की नींद हराम रही।
नहीं तो अभी तक प्रदेश में गठबंधन की बैशाखियों के सहारे वाली सरकारों को झेलने के लिए लोग अभिशापित रहे। यहां पर दो खेल प्रदेश में बड़ी प्रमुखता से खेले जाते है। पहले सत्तासीन दल में मुख्यमंत्री को अपदस्थ करने का खेल व दूसरा प्रशासन में तबादला कराने का खेल।  पूरा तंत्र इसी खेल में लगा रहता है। इसी कारण किसी सरकार को प्रदेश की जनांकांक्षाओं को साकार करने या इस पर चिंतन करने का समय तक नहीं मिलता है। मुख्यमंत्री अधिकांश अपना समय अपनी कुर्सी बचाने में लगाता तथा बचा खुचा समय चुनावी जंग व अपनी तिजौरियों को भरने में लग जाते है।
पर इस समय बात अलग है। पहली बार प्रदेश में पूर्ण बहुमत की निर्वाचित सरकार आसीन हुई। किसी नेता में इतनी हिम्मत नहीं कि वह मुख्यमंत्री को बेताज करने के लिए खुलेआम बयानबाजी कर सके। क्योंकि सभी को मालुम है यह मोदी राज है। यहां पर ऐसे ड्रामा करने की इजाजत किसी को नहीं। यहां ऐसे लोगों को या तो जेल में जगह होती है या ऐसे लोगो को दल से किनारा करने को मजबूर होना पड़ता या ऐसे लोग जेल का दंश झेलना होता है। अधिकांश नेता समझदार होते हैं वे भाजपा के उपेक्षित बडे नेताओं की तरह उफ तक न करके मौन साधे रहते है। इस लिए उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत तमाम संभावित विरोधियों को नजरांदाज किये हुए है। क्योंकि उनको पता है हरियाणा के खट्टर की तरह उनको भी मोदी व शाह का पूरा आशीर्वाद है। उनके खिलाफ विरोधियों पर दाल नहीं गलने वाली। इसलिए वे निश्चिंत है। पर कुत्तों का क्या करें। वेसे मुख्यमंत्री को कुत्तों से घबराने की जरूरत नहीं देर सबेर भले ही प्रदेश के पुलिस प्रशासन इन पर अंकुश ना भी लगा पाये तो भी प्रदेश के बाघ कभी भी इनको अपना निवाला बना सकते है। अब मुख्यमंत्री को विरोधियों या कुत्तों की चिंता करने के बजाय प्रदेश की जनांकांक्षाओं, राजधानी गैरसैंण बनाने, मुजफ्फरनगर काण्ड के अभियुक्तों को सजा दिलाने, प्रदेश में हिमाचल की तरह भू कानून बनाने, भ्रष्ट नेताओं व नौकरशाहों पर अंकुश लगाने, विकासोनुमुख कार्य करके पर्वतीय क्षेत्रों में बागवानी, उद्यम व बसावत का विशेष अभियान चलाना चाहिए।

 

देश की सुरक्षा व उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिए नितांत जरूरी है गैरसैंण राजधानी बनाना

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