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आप में दो फाड़ होने से बचाने के बाद विश्वास का योगेन्द्र सा हस्र करेगे केजरीवाल

केजरीवाल के चक्रव्यूह में फंसा विश्वास

नई दिल्ली (प्याउ)। आप नेतृत्व के अलौकतांत्रिक शैली पर सवालिया निशान उठा कर आप के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास ने पंजाब व गोवा के बाद दिल्ली चुनाव में भी मुंह की खाने वाली आम आदमी पार्टी में सियासी भूकम्प ला दिया था। आप पार्टी में कार्यकत्र्ता ही नहीं नेता भी बेहद निराश थे। कुमार विश्वास द्वारा  विडियो में उठाये गये सवालों को पार्टी में व्यापक समर्थन मिल रहा था।  ऐसे समय आप के एक विधायक अमानतुल्ला खाॅन ने यकायक कुमार विश्वास को भाजपा व संघ का ऐजेन्ट बता कर आम आदमी पार्टी में हडकंप मचा दिया।
आप पार्टी में अमानतुल्ला के बयान से इतना घमासान मचा कि करीब तीन दर्जन विधायकों ने अमानतुल्ला खाॅन को पार्टी से निकालने की मांग की। पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले कुमार विश्वास भी आक्रोशित हो कर मुख्य विंदुओं पर उठाये गये प्रश्नों के समाधान करने के बजाय अमानतुल्ला खाॅन को आप से बाहर करने पर लग गये। लगता है आप नेतृत्व भी यही चाहता था कि कुमार विश्वास को उस समय किसी प्रकार से मना कर पार्टी में होने वाले विद्रोह को बचाया जाय। कुमार विश्वास की साधारण मांग को स्वीकार कर आप नेतृत्व ने अमानतुल्ला खाॅन को पार्टी से बाहर का दरवाजा दिखाया। वहीं कुमार विश्वास को राजस्थान का आप पार्टी का प्रभारी बनाने का झूनझूना सा पकड़ा दिया गया। परन्तु इस पूरे प्रकरण में पार्टी के संयोजक पद व मुख्यमंत्री जैसे दोनों महत्वपूर्ण पदों पर आसीन केजरीवाल को एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत की लक्ष्मण रेखा से दूर ही रखा गया।
इस प्रकार केेजरीवाल ने बहुत ही चालाकी से कुमार विश्वास के गुस्से को शांत करने के साथ आप में होने वाले बिखराव को भी बचा दिया। ऐसी खबरें थी कि कुमार विश्वास को तीन दर्जन से अधिक आप विधायकों का समर्थन मिल रहा था। राजनीति के चतुर खिलाड़ी केजरीवाल ने योगेन्द्र व प्रशांत के विद्रोह के समय जो 21 विधायक योगेन्द्र व प्रशांत का साथ दे सकते थे उनको मुख्यमंत्री का सचिव बना कर आप का अस्तित्व बचा लिया था। हालांकि उस समय भी केजरीवाल जानते थे कि इन विधायकों ने आप से विद्रोह करने का मन बना लिया था इसलिए उनको मुख्यमंत्री के सचिव बना कर उनकी सदस्यता भी खतरे में जानबुझ कर डाल दी।
अब कुमार विश्वास रूपि तूफान की धार कूंद करने के लिए  मात्र राजस्थान का प्रभारी बनाने का झूनझूना दे कर व एक विधायक को बाहर करने का रास्ता दिखाने का छदम दाव चला। जिसमें योगेन्द्र व प्रशांत से कम तेजतरार कुमार विश्वास आसानी से फंस गये। हार के बाद उपजे निराशा के तूफान से जब आप निकल जायेगी तब केजरीवाल कभी भी अपने दाव चल कर कुमार विश्वास को पुन्न घर बैठने के लिए मजबूर कर देंगे।
इसमें केजरी पूरी तरह सफल हुए। अब समितियों में कुमार विश्वास के समर्थकों का सफाये की जो खबरे आ रही है। वह केजरीवाल के कुमार विश्वास के खिलाफ चले अपने चक्रव्यूही दाव का ही अहम हिस्सा है। केजरीवाल ने बहुत ही चालाकी से आप के लिए सबसे बुरे समय में कुमार विश्वास रूपि तूफान की थप्पेड़ों से साफ निकाल दिया है। आप पार्टी की राजनीति के मर्मज्ञों को आशंका है कि अब केजरीवाल कभी भी कुमार विश्वास को आप से प्रशांत व योगेन्द्र की तरह बाहर का रास्ता दिखा देंगे। कुमार ही नहीं जो भी केजरीवाल की राह में रोड़ा खड़ा करने के लिए सर उठाये उसको केजरी सदैव बाहर का ही रास्ता दिखायेंगे। यह केजरीवाल का इतिहास रहा है जनलोकपाल के प्रारम्भिक दिनों से श्रीओम गौतम से लेकर, रामदेव हो या स्वामी अग्निवेश, अण्णा हजारे हो या प्रशांत-योगेन्द्र हो या अब विश्वास। जो भी केजरी के राह में अवरोध बन सकते थे उनको केजरीवाल ने बहुत ही चालाकी से उनसे दूर होने के लिए मजबूर किया। देखना यह है कि कुमार विश्वास की खिचड़ी आप के चुल्हें में कब तक पकती है! वैसे केजरीवाल अपनी राह में अवरोध खडे करने वालों को कभी माफ नहीं करता। देश में मुख्यमंत्री बनने के लिए नहीं देश के प्रधानमंत्री बनने की लालशा ले कर राजनीति में पांव रखने वाले केजरीवाल इसी कारण हर कदम कदम पर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाने साधते है।  पर यह भी सत्य है कि अपनी आकांक्षा को पूरा करने के लिए केजरीवाल ने जो जाल पंजाब व गोवा को लेकर बुना था उसे मोदी ने तहस नहस कर दिया है। देखना यह है केजरीवाल, मोदी के आगे बनारस व दिल्ली नगर निगम चुनाव की तरह मात खा कर देश की राजनीति आकाश से अदृश्य होते हैं या मुख्यमंत्री की तरह अपने सपने को पूरा करने में सफल होते है या नहीं!

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