दुनिया

अमेरिका के ‘सभी बमों की माॅ ’ से 4 गुना अधिक विनाशकारी है रूस का ‘सभी बमों का बाप,’

#अमेरिका व रूस के बमो के माॅ-बाप के दहशत से सहमी है दुनिया,
#एशिया में ही ढायेंगे #अमेरिका  व #रूस, बमों के मां बाप का  कहर

देवसिंह रावत
13 अप्रैल की सांयकाल 7.32 , अफगानिस्तान में इस्लामी आतंकियों के छुपने की सुरंगों व गुफाओं की तबाही के लिए अमेरिका ने अब तक का अपना सबसे विनाशकारी गैर परमाणु बम ’सभी बमों की माॅं (मदर आफ आल बम्बस) ऐसा हमला किया कि पूरा विश्व सहमा हुआ है। लोग इस बात से भी भयभीत है कि अमेरिका ने तो अपनी सभी बमों की माॅ से हमला कर दिया अब अगर रूस ने भी अपना सभी बमों का बाप से विरोधियों पर हमला किया तो उसके बाद दुनिया में जो तबाही व जंग छिडेगी। लोग सहमे हुए है कि अब रूस सामरिक जवाब देने के लिए अपने बमों के बाप का हमला कहां करता है? यह साफ है कि इन बमों का हमला केवल व केवल एशिया में ही होगा।

पर दुनिया में सामरिक विशेषज्ञों को छोड़ कर बहुत कम लोगों को मालुम है कि अमेरिका के इस सबसे बडे विनाशकारी बम से 4 गुना अधिक विनाशकारी बम यानी सभी बमों का बाप(फादर आफ आल बम्बस) बना रखा है। अमेरिका ने जहां 2003 में इराक पर हमले के लिए  यह विनाशकारी बम बनाया हुआ था वहीं रूस ने इसके जवाब में 2007 में सभी बमों का बाप बना कर अपनी सामरिक बढ़त बरकरार रही।
प्रारम्भ में अमेरिका के मदर आफ आल बम 8200 किलो विस्फोटक होता है,, इससे 11टीनटी ऊर्जा निकलती है। इसकी तबाही सीमा 150 मीटर है। हालांकि 2003 के बाद अमेरिका ने इसकी प्रहारक क्षमता में इफाजा कर 13 अप्रैल 2017 को जो मदर आफ आल बम को अफगानिस्तान में फेंका उसमें 9797 किलों विस्फोटक के साथ इसकी मारक क्षमता 300 मीटर मानी जा रही है।इससे एक मील यानी 1.6 किमी के इलाके में आईएस-अफगानिस्तान आतंकियों की गुफाएं, बंकर व इमारत तबाह हो गयी है।
ऐसा ही रूस के 2007 में बने फादर आफ आल बमस की क्षमता में काफी इजाफा होने के कायश लगाये जा रहे है। इस बम को अमेरिका ने अफगानिस्तान में ही रखा था। एयरफोर्स स्पेशल ऑपरेशंस कमान द्वारा संचालित एमसी-130 विमान ने इसे गिराया। इससे साफ है कि इस बम से हमले की मंशा अमेरिका की पहले से थी।
वहीं रूस ने अमेरिका द्वारा एमओएबी के निर्माण के बाद वर्ष 2007 में रूस सभी बमों का बाप (फादर ऑफ ऑल बमस)  बना लिया। यह मदर ऑफ ऑल बम से चार गुना शक्तिशाली था। यह भी गैर परमाणु बम है। हालांकि इसका प्रभाव और विध्वंस किसी छोटे परमाणु बम के बराबर ही होता है। इससे 44 टन टीएनटी ऊर्जा निकलती है। इसका वजन 7100 किग्रा है। वहीं फादर आफ आल बम की तबाही 300 मीटर है।
इस्लामिक आतंकियों के सफाये के यह बम हमला अचानक नहीं हुआ शपथ के 83 दिन बाद ट्रंप ने इस्लामिक स्टेट के आतंकियों पर बम से हमला करने के अपनी चुनावी वादे को पूरा किया। ट्रप ने तो हर हाल में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के खात्मा के लिए  बम हमला करना ही था पर ऐसा माना जा रहा है कि
अफगानिस्तान में अमेरिका ने यह हमला, अफगान में इस्लामी आतंकियों के साथ कुछ दिन पहले हुई लडाई में अमेरिकी सेना के विशेष बल ग्रीन बेरेट के कमांडो के मारे जाने से आक्रोशित हो कर की है। इस बम के हमले के बाद 32 किमी दूर से ही धुआं दिख रहा था और इससे तबाही भी 15000 मीटर क्षेत्र में भारी तबाही मचने की खबर है।
यह हमला करके ट्रंप ने अपने इरादे जग जाहिर करके उतरी कोरिया, ईरान व सीरिया के साथ पाक को भी एक प्रकार की चेतावनी सी है। उत्तरी कोरिया पर अमेरिकी हमले की आशंका को देखते हुए चीन ने उत्तर कोरिया की घेराबंदी कर ली है। वहीं अमेरिका ने भी अपनी जंगी जहाज तैयार रखे है।
बमों की माॅ के हमले का कड़ा विरोध करते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा,‘मैं अमेरिकी सेना की ओर से घातक गैर परमाणु बम गिराए जाने की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं.। यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ नहीं, बल्कि अफगानिस्तानियों के खिलाफ और अमानवीय है। अफगानिस्तान इसके खिलाफ एकजूट है।
वहीं डोनाल्ड ट्रंप इस हमले पर सेना की पीठ ठोकते हुए कहा कि  हमनें पिछले 8 हफ्तों में अपनी सेना को खुली छूट दी गई है, यही वजह है कि हमारी सेना लगातार सफल रही है। हमारी सेना ने पिछले 8 हफ्तों में काफी अच्छा काम किया है, जो शायद पिछले 8 वर्षों में नहीं हो पाया था।

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