उत्तराखंड

ईमानदारी के लिए विख्यात उत्तराखण्ड पर लगाया नकारे पदलोलुपु नेतृत्व व भ्रष्ट नौकरशाही ने ग्रहण

आंदोलनकारियों, शहीदों व जनता की जनांकांक्षाओं को साकार करने का प्रतीक गैरसैंण को राजधानी बनाने के बजाय देहरादून में कुण्डली मार कर प्रदेश को कलंकित कर रहे हैं हुक्मरान

प्यारा उत्तराखण्ड डाट काम

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सदियों से देश ही नहीं दुनिया में अपनी ईमानदारी, वीरता व ज्ञान के लिए विख्यात उत्तराखण्डी समाज ने अपनी जनांकांक्षाओं, चहुमुखी विकास व हक हकूकों की रक्षा के लिए ऐतिहासिक संघर्षो व बलिदान की बदोलत  जिस पृथक उत्तराखण्ड राज्य हासिल किया था, उस देवभूमि उत्तराखण्ड के पदलोलुपु नकारे नेतृत्व व भ्रष्ट  नौकरशाही ने भ्रष्टाचार का ग्रहण लगा कर बंदरबांट का अड्डा बना दिया है।
ईमानदारी के विख्यात उत्तराखण्ड का इन 17 साल की सरकारों ने कितना शर्मनाक पतन हो चूका है इसका एक और खुलासा हुआ केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार सुधाकर शुक्ला द्वारा अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण डॉ. रणवीर सिंह समेत सभी राज्यों व संघ शासित प्रदेशों के समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों व सचिवों को भेजे पत्र से।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार द्वारा उजागर किया गया यह भ्रष्टाचार, किसी सामान्य योजनाओं में नहीं अपितु  केंद्र सरकार द्वारा विकलांगों, वृद्धों व , विधवाओं  जैसे समाज के उपेक्षित, असहाय व जरूरतमंदों के बेहतरी के लिए दी जाने वाली पैंशन में किया गया।  इन भ्रष्ट हैवानों ने विकलांगों, बृद्धों व विधवाओं के कल्याण के लिए मिलने वाली पेंशन को भी अपनी भ्रष्ट मानसिकता का ग्रहण लगा दिया। हर समाज ऐसे असहाय लोगों की मदद करता है। इनको सहारा देता है। परन्तु इन भाग्य विधाता बने नेताओं व नौकरशाहों के नापाक गठबंधन ने ऐसे जरूरतमंदो को यह कल्याणकारी सहायता पंहुचाने के बजाय इसको फर्जी दस्तावेज व सूचि बना कर डकारने का अमानवीय कार्य किया। हैं। देश भर में लाभार्थियों के 16.05 प्रतिशत खाते फर्जी  पाए गए हैं। देश में अधिक फजीवाडे  करने वाले प्रथम दस राज्यों में 9 वें स्थान में उपस्थित उत्तराखंड, प्रदेश की हुक्मरानों को बेनकाब करने के लिए काफी है। हैरानी वाली बात यह है कि उत्तराखंड ने इस फर्जीवाड़े के मामले में बिहार, दिल्ली, राजस्थान जैसे राज्यों को भी पछाड़ दिया है।  उत्तराखंड में 15.94 प्रतिशत खाते फर्जी पाए गए हैं।
ऐसा नहीं कि यह घोटाला केवल उत्तराखण्ड में ही किया जा रहा है। अपितु यह घोटाला पूरे देश में किया जा रहा है। परन्तु जहां इस मामले में उप्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडू, पंुडुचेरी, हिमाचल, तेलांगना, उत्तराखण्ड व बिहार में मानवता को शर्मसार करने के स्तर पर है। तो वहीं  त्रिपुरा, गोवा,,अरुणाचल, मणिपुर, आंध्रप्रदेश, में देश में सबसे कम इस मद में फर्जीवाडा हुआ। देश में इस भ्रष्टाचार में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है, वहां सामाजिक पेंशनों के 5304748 लाभार्थियों में से 4930940 लाभार्थी फर्जीवाडे में लिप्त पाए गए हैं। वहीं में गोवा 4.90 प्रतिशत यानी सबसे कम फर्जीवाडा किया गया।।
खबरों के अनुसार देश का सबसे छोटे राज्यों व नवोदित राज्य उत्तराखंड में पेंशन योजना में 2 लाख 83 हजार 789 लाभार्थियों का रिकार्ड डिजिटाइज्ड किया जा चुका है। पर इनमें से 2लाख 25 हजार 979 लोग फर्जीवाडे में लिप्त पाये गयं। 29 हजार 633 लोगों को पिता, पति व लाभार्थी के नाम भी डुप्लीकेट हैं। ये पेंशनें कुल 2लाख 27 हजार 940 बैंक व डाकघर के खातों में डाली जा रही हैं और 36 हजार 330 बैंक खाते फर्जीवाडे यानी डुप्लीकेट पाए गए ।
प्रदेश के हुक्मरानों ने आंदोलनकारियों, शहीदों व जनता की जनांकांक्षाओं को साकार करने का प्रतीक गैरसैंण को राजधानी बनाने के बजाय देहरादून के पंचतारा महलों में कुण्डली मार कर भ्रष्टाचार करके प्रदेश को कलंकित करने का कृत्य कर रहे हैं।

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