अध्ययन दर्शाते है कि विविध आयु के सितारे खुले समूहों में सह-अस्तित्व में हो सकते हैं, ये आकाशगंगा में नक्षत्रीय विकास की जानकारी के लिए महत्वपूर्ण सूत्र प्रदान करते हैं
हमारी आकाशगंगा में सितारे आकाशगंगा में ही मौजूद आणविक बादलों द्वारा बनते हैं। यह माना जाता है कि हमारी आकाशगंगा में अधिकांश सितारे तारा-गुच्छ के रूप में बनते हैं, जो सितारों की उत्पत्ति की प्रक्रिया को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण सूत्र प्रदान करते हैं। खुले सितारा समूह गुरुत्वाकर्षण से बंधे तारों की एक व्यवस्था है जिसमें सितारों का जन्म एक ही तरह के आणविक बादलों से होता है। एक समूह के सितारों की उत्पत्ति के समय सभी सितारे अपने प्रारंभिक सितारों के ही विकासवादी अनुक्रम का पालन करते हैं। खुले समूह आकाशगंगा की उत्पत्ति और विकास की खोज के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह पूरी आकाशगंगा के सीमा क्षेत्र में फैले होते हैं।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत एक स्वायत्त विज्ञान संस्थान आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के खगोलविदों ने यह पाया है कि विभिन्न समूहों के सितारे खुले समूहों में सह-अस्तित्व में रह सकते हैं। किन्तु पहले यह समझने की चुनौती है कि क्या एक खुले क्लस्टर में सितारों की उम्र समान होती है।
वैज्ञानिकों ने इन समूहों में तारों के विकास का अध्ययन करने के लिए हिमालय स्थित देवस्थल से 1.3-एम दूरबीन के माध्यम से तीन खुले समूहों एनजीसी 381, एनजीसी 2360, और बर्कले 68 का अध्ययन करते हुए प्रकाश को मापा। उन्हें क्लस्टर एनजीसी 2360 में दो अलग नक्षत्रीय विकास क्रम मिले, जो अब तक आकाशगंगा में बहुत कम खुले समूहों में देखे गए हैं।
खगोलशास्त्री डॉ. योगेश जोशी और उनके शोध छात्र जयनंद मौर्य ने तीन खुले समूहों एनजीसी 381, एनजीसी 2360 और बर्कले 68 में हजारों सितारों का अवलोकन किया। यह गुच्छे अपेक्षाकृत अधिक आयु के पाए गए, जिनकी आयु 446 मिलियन वर्ष से 1778 मिलियन वर्ष तक हो सकती है।
नक्षत्रीय विकास के अलावा, शोधकर्ताओं ने पहली बार इन समूहों के सक्रिय विकास का भी अध्ययन किया। गुच्छों से संबंधित तारों के द्रव्यमान फैलाव को देखते हुए यह जानकारी मिली कि गुच्छों के भीतरी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तारों का अधिमान्य फैलाव देखा गया, जबकि गुच्छों के बाहरी क्षेत्र की ओर कम द्रव्यमान वाले तारे पाए गए।
यह माना जाता है कि वास्तव में बहुत कम द्रव्यमान वाले सितारों में से कुछ अपने मूल समूहों को छोड़ चुके हैं और हमारे सूर्य की भाति एक स्वतंत्र तारे के रूप में घूम रहे हैं। उनके अध्ययन ने इन समूहों के नक्षत्रीय और गतिशील विकास के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दी है। ये वैज्ञानिक भविष्य में अंतरिक्ष अभियानों द्वारा दिये गए पूरक आंकड़ों के साथ अपने संस्थान में उपलब्ध अवलोकन संबंधी सुविधाओं का उपयोग करके भविष्य में कई और अधिक खुले तारा-गुच्छों का गहन विश्लेषण करने का लक्ष्य बना रहे हैं।
उनका यह अध्ययन हाल ही में ब्रिटेन की ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस द्वारा प्रकाशित खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी क्षेत्र की एक प्रमुख पत्रिका ‘मंथली नोटिस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी’ में प्रकाशित किया गया है।