उत्तराखंड

हल्द्वानी में दंगाईयों को काबू करने के लिये बनभूलपुरा में लगाया कर्फ्यू, देखते ही गोली मारने के आदेश

अतिक्रमण हटाने गयी पुलिस व निगम कर्मियों पर दंगाईयों ने किया भारी पथराव, राजनैतिक रोटियां सेकने से बचे राजनेता

प्यारा उतराखण्ड डाट काम

खबर है कि उतराखण्ड के हल्द्वानी में दंगाईयों पर काबू पाने के लिये पुलिस प्रशासन ने कडा कदम उठाते हुये दंगाईयों को देखते ही गोली मारने का आदेश देते हुये  कर्फ्यू लगा दिया है। इसके साथ इस दंगाईयों को काबू करने के लिये अर्धसैनिक बल को तैनात कर दिया है। हल्द्वानी की  विस्फोटक स्थिति को देखते हुये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस प्रशासन के प्रमुख से गहरी मंत्रणा कर गुनाहगारों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का स्पष्ट आदेश दिया है। इसके साथ मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति बनाये रखने की भी अपील की।
जिलाधिकारी वंदना सिंह ने हल्द्धानी हिंसा की जानकारी देते हुये कहा कि यहां अचानक भीड आयी,बिना उकसाये की हिंसा की गयी। हिंसा में 15 से 20 लोग सम्मलित। 4 दंगाई जो हिंसा कर रहे थे वे पकडे गये । सीसीटीवी केमरे से दंगाईयों को पकडा जायेगा। छतों पर पत्थर जमा करके रखे गये थे। वहीं से पथराव किया गया।   यह सब योजनाबद्ध तरीके से की गयी। यह अतिक्रमण हटाने के बाद हिंसा की गयी। लोगों को जलाने की कोशिश की गयी। थाने पर पेट्रोल बंम, आगजनी व भारी पथराव किया गया। संवेदनशील स्थिति देखते हुये में जिलाधिकारी नैनीताल वंदना सिंह व प्रल्हाद लाल मीना एसएसपी हल्द्वानी  में ही डेरा डाले हुये है। हल्द्धानी में हालत नियंत्रण में बताये गये। यहां हिंसा में 6 लोग मारे गये व सो से अधिक घायल है। पूरे उतराखण्ड  में प्रशासन सजग है। हल्द्धानी में 12वीं तक के विद्यालय अगली सूचना तक के लिये बंद कर दिये गये। सुरक्षा बलों की कई कंपनियां यहां तैनात की गयी। अभी 9 फरवरी की सुबह प्रशासन ने किसी प्रकार की ढील नहीं दी।
कल यहां आरजकता तब हुई जब पुलिस प्रशासन का दल  अवैध अतिक्रमण हटाने के लिये  हल्द्वानी के थाना बनभूलपुरा क्षेत्र में मलिक के बगीचे पहुंची.। जब दल ने वहां पर हुये ं अवैध  अतिक्रमण कर बनाये गये मदरसे और नमाज स्थल को जेसीबी से तोड़ने का काम शुरू ही किया कि वहां पर दंगाईयों की भीड़ ने चारों तरफ से जबदस्त पथराव कर अराजकता फैला दी।  अराजक तत्वों ने पुलिस प्रशासन और पत्रकारों पर भी हिंसक पथराव किया।  इसमें प्रशासन के उच्चाधिकारी सहित 200 अधिक पुलिसकर्मी और पत्रकार सहित 300 लोग घायल भी हुए है। यही नहीं उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने को से घेरकर भारी पथराव करते हुये कई वाहनों व. ट्रांसफार्मर में भी आग लगा दी । सवाल यह है कि लोग यह भी नहीं समझ पाये कि यह अवैध निर्माण है। जिसको तोड़ना शासन का अधिकार है। ऐसे में लोगों को गुमराह कर हिंसा पर उतारने वालों पर कडी कार्यवाही करनी चाहिये। वहीं यहां पर बस्तियों में रह रहे लोगों की मांग है कि दशकों से बसी उनकी बस्तियों को सरकार उजाडे नहीं वैध करे।
हल्द्धानी प्रकरण गत वर्ष भी सामने आया था। तब भी बडा तनाब है। मामला यह है कि हल्द्धानी में भारी संख्या में लोगों को बसाया गया और प्रशासन ने समय रहते अपनी सम्पति की रक्षा करने का दायित्व नहीं निभाया। राज्य गठन के बाद उतराखण्ड की तराई क्षेत्रों के साथ हल्द्धानी में भी अन्य राज्यों व बहारी लोगों की बसावत हुई। राजनैतिक दलों की उदासीनता व मिली भगत से यहां पर समस्या बिकराल हो गयी। यहां विवाद ये है कि  यहां पर बडे स्तर पर अवैध अतिक्रमण हुआ है। गत वर्ष भी यह मामला तब सामने आया जब उच्च न्यायालय ने शासन को रेलवे की जमीन पर हुये अवैध अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया। इससे पूरे हल्द्धानी में अवैध अतिक्रमण बस्तियों में रहने वाले अवैध अतिक्रमण हटाने की किसी भी कार्यवाही का विरोध इसलिए करने के लिए एकजूट व हिंसक हो जाते हैं कि उनको लगता है उनके विरोध से उनका अवैध अतिक्रमण बच जायेगा। हल्द्धानी में रेलवे जमीन पर अवैध बस्तियां बस गयी है। रेलवे व बस्तियों के निवासियों की दलीलें स हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर 2022 को अतिक्रमणकारियों को हटाने का निर्देश दिया। हल्द्धानी में  78 एकड पर अवैध अतिक्रमण का मामला है इसमें   29 एकड पर गफूर बस्ती।
 रेलवे अपने पक्ष में अपने उसके पास पुराने नक्शे,1959 का नोटिफिकेशन,1971 का रेवेन्यू रिकॉर्ड व  2017 की सर्वे रिपोर्ट है। लोगों का आरोप है कि पहले उच्च न्यायालय में  29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण का मसला था..जो रेलवे के दलीलों के बाद 78 एकड़ से अधिक की जमीन पर अवैध अतिक्रमण का विवाद है।अभी 9 फरवरी की सुबह प्रशासन ने किसी प्रकार की ढील नहीं दी।
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उतराखण्ड जैसे शांत वादियों में इस प्रकार की अराजक घटना से लोग स्तब्ध है। ऐसी ही घटनाओं से बचने के लिये उतराखण्ड की जनता मूल निवास व भू कानून के साथ राजधानी गैरसैंण की लगातार मांग कर रहे हैं। परन्तु सताधारी इस मामले को नजरांदाज कर अपने वोट बैंक के लिये उतराखण्ड में अवैध घुसपेठ कराने को संरक्षण करा कर समस्या का निदान नहीं कर रहे है। यही नहीं राजनैतिक दल भाजपा व कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं पर इस मामले में अब तक के सरकारें इसके लिये जिम्मेदार है। जब अवैध अतिक्रमण हटाने पर दंगा पर जो लोग उतर जायें। आखिर ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिसे सरकार क्यों तैयार नहीं है। लोगों को असामाजिक तत्वों व राजनैतिक दलों के भडकावे में नहीं आना चाहिये। हर हालत में प्रदेश में शांति बनानी चाहिये।

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