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उतराखण्ड सरकार हुई  बेनकाब, आंदोलन का ज्ञापन लेने के लिये स्थानिक आयुक्त सहित तमाम अधिकारी रहे नदारत रहने से हुई पुलिस से गहमागहमी

कडाके की ठण्ड के बाबजूद 6जनवरी को दिल्ली में मूल निवास भूकानून जनांदोलन में उमडे सैकडों उतराखण्डी

प्यारा उतराखण्ड डाट काम

मूल निवास भू कानून जनांदोलन के प्रति उतराखण्ड की धामी सरकार के संवेदनशील होने के दावे को आज 6 जनवरी 2024 को उस समय बेनकाब हो गये, जब देश की राजधानी दिल्ली में मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के आवाहन पर कडाके की ठण्ड के बाबजूद सैकडों उतराखण्डियों ने उतराखण्ड सरकार के राउज एवेन्यू स्थित स्थानिक आयुक्त कार्यालय के द्वार पर दोपहर 2 बजे से सांयकाल 4 बजे तक शांतिपूर्ण ढंग से 1950 को आधार वाला मूल निवास कानून व हिमालयी राज्यों की तर्ज पर सशक्त भू कानून की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। धरने के शांतिपूर्ण समापन की अंतिम कड़ी पर आंदोलनकारी शिष्टमण्डल जब उतराखण्ड के स्थानिक आयुक्त या किसी भी अधिकारी को ज्ञापन सौपने के लिये कार्यालय के द्वार पर पंहुचा तो वहां द्वार पर तेनात सुरक्षा कर्मियों ने शिष्टमण्डल को सूचित किया कि छुट्टी कर दिन  होने के कारण ज्ञापन को लेने के लिये न तो स्थानिक आयुक्त उपस्थित हैं व नहीं कोई अधिकारी। जबकि आंदोलनकारियों ने एक सप्ताह पूर्व ही 6 जनवरी को स्थानिक आयुक्त कार्यालय पर आंदोलन व ज्ञापन देने का ऐलान कर दिया था। प्रदेश सरकार के गुप्त सूचना तंत्र से जब आंदोलन की जानकारी मिल गयी थी तो इसके बाबजूद प्रदेश सरकार के किसी अधिकारी की नियुक्ति ज्ञापन लेने के लिये न करना, जहां प्रदेश की धामी सरकार की इस जनमुद्दे पर संवेदनहिनता उजागर करता है वहीं दिल्ली स्थिति उतराखण्ड स्थानिक आयुक्त कार्यालय की कार्यशैली भी बेनकाब करती है। इससे साफ है कि धामी सरकार जो इस आंदोलन के पदचाप सुनते ही कठोर भू कानून बनाने के लिये सचिव स्तर की समिति गठित करने वाला व बाद में बाहरी लोगों को प्रदेश की कृषि जमीने समिति की रिपोर्ट आने तक न बेचने का ऐलान केवल दिखावा था।
स्थानिक आयुक्त कार्यालय में ज्ञापन लेने को तैयार न होने से शांतिपूर्ण आंदोलनकारी कार्यालय के द्वार के सम्मुख सडक पर धरने पर बैठ गये। इसे देखते हुये यहां पर तैनात दिल्ली पुलिस के सहायक निरीक्षक व आंदोलनकारियों में काफी गहमा गहमी हुइ। इसके बडी देर बाद चली गहमा गहमी के बाद आंदोलन समिति के  चारू तिवारी ने दूरभाष पर बताया कि ज्ञापन सौंप दिया गया। राज्य गठन आंदोलनकारी मनमोहन शाह ने दूरभाष पर बताया कि अंत में समिति से जुडे अनिल पंत ने यह ज्ञापन स्थानिक आयुक्त कार्यालय में मौजूद किसी कर्मचारी को सांप दिया। इससे साफ हो गया कि उतराखण्ड सरकार इस आंदोलन व जनता के प्रति अपने दायित्व के प्रति संवेदनशील नहीं है। सरकार की इस मनोवृति से आक्रोशित आंदोलनकारियों ने कुछ ही माह में दिल्ली में बडा प्रदर्शन करने के साथ 15 जनवरी को बागेश्वर में इस मामले में विशाल जनजागरण करने के लिये कमर कस दी।
उल्लेखनीय है कि आज 6 जनवरी को बडी संख्या में उतराखण्डियों ने कडाके की ठण्ड को नजरांदाज करते हुये मूल निवास जनांदोलन स्वाभिमान जनांदोलन के तहत दिल्ली आईटीओ के समीप
रोज एवेन्यू स्थित उतराखण्ड स्थानिक आयुक्त कार्यालय पर एकत्रित हुये। उपस्थित लोग मूल निवास व भू कानून  के समर्थन में नारेबाजी के साथ संघर्ष के जनगीतों का गायन करके उतराखण्ड राज्य गठन की यादें ताजा कर रहे थे। इस प्रदर्शन में जहां मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति दिल्ली के आहवान पर उतराखण्ड राज्य गठन के प्रमुख संगठन उतराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा, उतराखण्ड जनमोर्चा, उतराखण्ड राज्य लोकमंच व उतराखण्ड महासभा, उतराखण्ड क्रांतिदल व संयुक्त संघर्ष समिति  सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के दर्जनों उतराखण्डी सामाजिक संगठनों ने भाग लिया। इस आंदोलन में भाजपा, कांग्रेस,आप व उक्रांद सहित अन्य राजनैतिक दलों के लोग दलगत राजनीति से उपर उठ कर एक स्वर में मूल निवास व भू कानून बनाने की पुरजोर मांग कर रहे थे। मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति दिल्ली द्वारा आहुत इस धरने में मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक मोहित डिमरी, लुसुन टोडरिया व उनके साथी पंहुचे थे। इस धरने का संचालन जहां दिगमोहन नेगी, सुरेंद्र हालसी व शशिमोहन कोटनाला ने किया वहीं चारू तिवारी ने जनता की मांग के साथ इस आयोजन पर विस्तार से प्रकाश डाला। वहीं  उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के पुरोधा व प्यारा उतराखण्ड के संपादक देवसिंह रावत ने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर सरकार राजधानी गैरसैंण, मूल निवास, भू कानून मुजफरनगर काण्ड-94, जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन आदि को जनभावनाओं के अनुरूप साकार करती तो उतराखण्ड की न तो आज ऐसी दुर्दशा होती व न हीं उतराखण्डी खुद को ठगे महसूस करते हुये सडकों पर उतरे होते। सभा के वरिष्ठ आंदोलनकारी नेता हरिपाल रावत ने अपने 1980 से आज तक के उतराखण्ड के हितों के लिये किये संघर्ष पर प्रकाश डालते हुये कहा कि हिमालयी राज्यों की तर्ज पर भू कानून के साथ सन1950 को आधार वाले भू कानून को उतराखण्ड में लागू किया जाय। इस धरने को संबोधित करने वाले अन्य प्रमुख आंदोलनकारियों में उतराखण्ड जनमोर्चा के पूर्व महासचिव डा एस एन बसलियाल, आम आदमी पार्टी की पूर्व पार्षद गीता रावत, उक्रांद प्रवक्ता मीनाक्षी घिल्डियाल,गढवाल हितैषिणी सभा के पूर्व अध्यक्ष गंभीर सिंह नेगी  व हरीश रावत सहित अनैक प्रमुख आंदोलनकारियों ने संबोधित किया। इस अवसर पर इस मांग के समर्थन में एक अपील पत्र का भी जनता को जागृत करने के लिये वितरण किया गया।
इस धरने में सम्मलित प्रमुख आंदोलनकारियों में उतराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष खुशहाल सिंह बिष्ट, उतराखण्ड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता प्रताप शाही, उतराखण्ड जनमोर्चा के पूर्व अध्यक्ष रवि बिष्ट, उतराखण्ड राज्य लोकमंच के महासचिव पवन कुमार मैठाणी, आर पी चमोली,संयुक्त संघर्ष समिति के मनमोहन शाह, विनोद नेगी, शिवसिंह रावत, रवींद्र चौहान, मोहन जोशी, पंचम सिंह रावत, चमोली,  बलूनी, हीरो बिष्ट, बृजमोहन सेमवाल, हुकमसिंह कण्डारी, प्रेमाधोनी, बुराडी से जगत बिष्ट, देवेन्द्र भद्री, भाजपा  नेता राकेश बिष्ट, उदय मंमगाई राठी, आम आदमी पार्टी के पंकज पैनूली, प्रताप थलवाल, की नेत्री रोशनी चमोली, शेखर पांडे, कांग्रेस पर्वतीय सेल के अध्यक्ष गोपाल रावत, राधा आर्य, मंजू रतूडी, भारत रावत,लक्ष्मी नेगी, पत्रकार सतेंद्र रावत, जगमोहन जिज्ञाशु, खुशहाल जीना, रमन ध्यानी, प्रदीप बेलवाल,दीप सिलोडी, प्रकाश सिंह बिष्ट, बलबीर सिंह धर्मवान, चार्टर्ड अकाउंटेंट सुधीर नेगी, कमल ध्यानी,साहित्यकार दिनेश ध्यानी, छपड दा, दर्शन सिंह रावत, भगवती जुयाल, श्याम प्रसाद खंतवाल,सचिदानंद भट्ट, कवि रावत, विजय सिंह, पियूश, देवेंद्र जोशी, हेमंत बर्थवाल,प्रदीप रावत, आप नेता रवींद्र रावत व गजेंद्र चौहान,इंजीनियर विनोद, अरविंद धस्माना, कामरेड नरेंद्र नेगी व  देवेंंद्र रतूडी, भीमसिंह, संजय चौहान, विकास रावत,रेखा चौहान, महासभा नेता कुकरेती, अजय रावत, चंद्र किशोर रावत, शिवचरण मुडेपी, कमलकिशोर भट्ट,हरि प्रकाश आर्य,सुखदेव रावत, दीवान रावत,मनोज चंदोला,संतोष ध्यानी, जितेन्द्र फुलाया, एस डी बंदुणी, मनोज आर्य,      भुवन गोस्वामी हरीश असवाल, चंद्र सिंह रावत, देवेन्द्र कैंतुरा, सुरेंद्र सिंह रावत,जय लाल नवानी,देवेश नौटियाल,विकाश चमोली, देवेंद्र जोशी, जगदीश सिंह रावत,रेखा चौहान,शशि नेगी, सेवा निवृत्त एसीपी दिल्ली पुलिस जुयाल,मामराज सिंह रावत,बीना नयाल चौहान,अमित चौहान,बीना नयाल दोयपा,जगमोहन सिंह रावत जग्मोरा,

जयपाल सिंह रावत,गिरधर सिंह रावत,दर्शन सिंह रावत,वीरेंद्र जुयाल उपरी,
अशोक जोशी, प्रेसिडेंट गढ़वाल भात वा सांकृतिक समिति मयूर विहार फेज 3
ऊषा देवरानी,नरेंद्र सिंह गुसाईं,नरेंद्र देवरानी,रविंदर सिंह रावत व अनैक महिला नेत्रियों सहित सैकडों उतराखण्डियों ने भाग लिया।

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