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जरूरतमंदों को देने की कला से विश्व को खुशहाल बनाने के लिये समर्पित है भारतीय संस्कृति के महान ध्वजवाहक अच्युत सामंत जो दे रहे हैं 40000 से अधिक गरीब आदिवासी बच्चों को निशुल्क शिक्षा

जरूरतमंदों को देने की कला से विश्व को खुशहाल बनाने के लिये समर्पित है भारतीय संस्कृति के महान ध्वजवाहक अच्युत सामंत जो दे रहे हैं 40000 से अधिक गरीब आदिवासी बच्चों को निशुल्क शिक्षा

महान शिक्षाविद प्रो. अच्युत सामंत के वास्तविक जीवन का दर्शन’आर्ट आफ गिविंग के 2024 के थीम “Let’s AOG”का शुभारंभ

देवसिंह रावत 

आज 20 दिसम्बर 2023 की सांयकाल 7 बजे देश की राजधानी दिल्ली में भारतीय लोकशाही के सर्वोच्च संस्थान संसद भवन के समीप कॉस्टिटयूशन क्लब के मुख्य सभागार में देश के हजारों गरीब बच्च्चों को शिक्षित व उनके गरीब परिवार को सबल बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करने वाले यूनेस्कों अंतर्राष्टीय पुरस्कार 2022 व ग्रीन गाउन ंअंतराष्टीय पुरस्कार 2023 से सम्मानित उडिसा से  लोकसभा सांसद प्रो अच्युत सांवत से एक मुलाकात हुई।

एक दशक पहले ही मेने प्यारा उतराखण्ड समाचार पत्र में डा अच्युत सावंत को भारत रत्न देने की पुरजोर मांग करते हुये उनके विराट व्यक्तित्व पर समर्पित कई लेख लिखे थे। किस प्रकार उन्होने अपनी गरीबी व विपरित परिस्थितियों में आकंठ घिरे रहने के बाबजूद पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति का ‘सर्वेभवंतु सुखिनों यानि सबको सुखी बनाओं के श्रेष्ठ जीवन को आत्मसात किया। भारतीय संस्कृति जड चेतन में परमात्मा मानते हुये सबके कल्याण के लिये खुद को समर्पित करने को ही श्रेष्ठ जीवन दर्शन मानती हे। जिसे कामायनी में विश्व कवि   के शब्दों में ‘ ओरों को हंसते देखों मनु, हंसो और सुख पाओ, अपने सुख को विस्तृत करलो सबको सुखी बनाओ’ वाली कविता में व्यक्त किया। जिसे भारतीय मनीषियों ने युगों युगों से कहा कि सर्वभूतहितेरता। इसी आदर्श को चरितार्थ किया अच्युत सामंत ने। कैसे उनकी माता जी ने उनको सब्जी बेच कर बढा किया। कैसे उन्होने गरीबी के इस कुचक्र को तोड कर आज ेविश्व के सेकडो देशों के हजारों गरीब बच्चों की आशा की किरण बने है। अपना पूरा जीवन इस दर्शन को साकार करने के लिये समर्पित करने वाले अच्युत सांवत से भले ही मै सदेह आज मिला। परन्तु एक दशक से पहले उनके विरेट व्यक्तित्व से मैने प्यारा उतराखण्ड समाचार व अपने ब्लाग इत्यादि के माध्यम से साकार किया था। भले ही मैने न अपना उनको परिचय दिया परन्तु ईश्वर को धन्यवाद दिया कि उन्होने ऐसी प्रेरणा व जीवन सामंत जैसे महामानव को दिया है।
आज सुबह जब  देश के वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिंह, गोपाल पाण्डे व जी डी नौटियाल आदि साथियों ने डा सांवत के सांयकाल वाले कार्यक्रम में सम्मलित होने का आग्रह किया तो मैं दिल्ली से सुदूर नोएडा रहने के बाबजूद मैं इस कार्यक्रम में सम्मलित हुआ। इस कार्यक्रम में देश के अनैक शिक्षाविद, वरिष्ठ पत्रकार सम्मलित हुये। कार्यक्रम था महान शिक्षाविद प्रो अच्युत सांवत के वास्तविक जीवन दर्शन ‘आर्ट ऑफ गिविंग के 2024 के थीम ‘समज ै ।व्ळ का शुभारंभ। इस अवसर पर डा सांवत ने अपने संबोधन में ंअपने संस्थान व कार्यो के बारे में संक्षिप्त प्रकाश डाला। इसके साथ इस अवसर पर वृतचित्रों के द्वारा उनके कार्यो पर प्रकाश भी डाला गया।
उल्लेखनीय है कि डा सांवत ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित कलिंगा इंस्टीटयूट आफ इंडस्टियल टेक्नोलाजी और कलिंगा इंस्टीटयूट आफ सोशल साइंसेज के संस्थापक है। वे विश्व के इस प्रथम आदिवासी आवासीय विद्यालय में लगभग 65 देशों से अधिक देशों के लगभग 40000से भी अधिक आदिवासी छात्र-छात्रायें समस्त आवासीय सुविधाओं का निशुल्क उपभोग करते हुये निशुल्क प्राथमिक से स्नाकोत्तर कक्षा तक पढ़ते हैं। यह ब भारत सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मान्यताप्राप्त विश्व का प्रथम आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय बन चुका है। यही नहीं भारत सरकार की एनआईआरएफ रैंकिंग में यह 16वें सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय और टाइम्स हायर एजुकेश्न रैंकिग 2024 के अनुसार भारत में छटा स्थान हासिल कर चुका है।
खेल के प्र्रति इस शैक्षिक संस्थान की प्रतिबद्धता भी काफी उल्लेखनीय और प्रशंसनीय है। कीट-कीस ने 15 ओलंपियनों को शिक्षा, छात्रवृति और व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करके तैयार किया जो किसी भी विश्वविद्यालय के लिये एक असंभव उपलब्धि है। इसके छात्रों की उपलब्धियों में चीन में एशियाई खेलों में भाग लेने वाले 14 छात्रों में से 4 पदक जीतना और 2023 में गोवा में आयोजत राष्टीय खेल में 24 पदक जीतना भी शामिल हे। कीस के खेल के प्रति इस समर्पण भाव को ध्यान रखकर कीस को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार 2022 , फिक्की अवार्डस, स्पोर्टस स्टार अवार्डस और खेल सुविधाओं के लिये सीआईआई स्पोर्टस बिजनेस पुरस्कार  जैसे अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
खेल से आगे,कीट-कीस सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में अनेक प्रकार के सामाजिक सुधार के कार्यो में प्रयासरत है। जिनमें कुल लगभग 10से अधिक आउटरीच कार्यक्रम शामिलहै और उन्हीं में से सबसे प्रमुख और ऐतिहासिक पहल है-आर्ट ऑफ गिविंग, जो वास्तव में कीट-कीस के प्राण प्रतिष्ठाता महान शिक्षाविद तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रो.अच्युत सामंत के वास्तविक जीवन ददर्शन पर आधारित है। यह आर्ट आफ गिविंग-शांति, खुशी, सदभावऔर प्रेम को फैलाने, मानवीय संबंधों को मजबूत और सुमधुर बनाने, सभी से प्यार-मोहब्बत करने और जरूरतमंदो की मदद करने के लिये आरंभ किया गया है। क्योंकि प्रो. अच्युत सामंत चाहते हैं कि उनके वास्तविक जीवन दर्शन से सभी लोगों के जीवन में कृतज्ञता और करूणा का सतत संचार हो।
17मई,2013 को प्रो अच्युत सामंत, प्राणप्रतिष्ठाता : कीट-कीस को आर्ट ऑफ गिविंग का आत्मबोध हुआ और तब से इस दिन को दुनिया के लगभग 120 से अधिक देशों में इसे बडे उत्साह और हर्षोल्लास के साथ अंतर्राष्टीय आर्ट आफ गिविंग  दिवस के रूप में मनाया जाता है। आर्ट ऑफ गिविंगजीवन-दर्शन की सूबसूरती इसमें समाहित विश्व मैत्री, सद्भाव तथा प्रेम आदि जैसी सार्वभौमिकता है। जिसमें जात-पाति, भाषा,लिंग, धर्म, सम्प्रदाय तथा जन्म स्थान आदि की समस्त बाधाओं के ऊपर उठ कर विश्व के सभी की इसके मानने में स्वेच्दिक भागीदारी है। 5 साल के शिशु से लेकर 95 साल के बयोवृद्ध भी इसके माध्यम से गले लगाते हुये नजर आते है। सच कहा जाय तो कीट-कीस के मायम से आर्ट आफ गिविंग जीवन दर्शन की ऐतिहासिक पहल दुनिया के सभी जरूरतमंदो के लिये प्यार और मौहब्बत के समर्थन के सार्वभौमिक मूल्यों की शाश्वत पैगाम है।
गौरतलब है कि आर्ट आफ गिविंग के प्रत्येक साल के लिये एक विशेष मूल कथ्य यानि थीम रखा जाता है। जिसमें वर्ष 2024 के लिये विषय है समजे ।व्ळ । आर्ट आफ गिविंग का विषय -जीवन के तौर तरीकों को बदलना। पिछले कुछ वर्षों में  आर्ट आफ गिविंग का विषय-शिक्षकों, सहायकों, माताओं, बच्चों  और हांशिये पर रहने वाले लोगों को प्रसन्न रखने आदि पर केंद्रित था। देकर खुश रहने पर आधारत थी। आर्ट आफ गिविंग जीवन-दर्शन ने परिभाषित  किया कि किसे देना हैर और क्या देना है। इस वर्ष का थीम स्वेच्छा पूर्वक आर्ट आफ गिविंग  को स्थान, देश, काल और पात्र के अनुसार देने की कला को सार्वभौग्य बनाना है। जिससे लोगों को इस जीवन दर्शन को जिस भी तरीके से उचित लगे उसे अपनाने के लिये प्रात्साहित किया जा सके।
2024 के इस आर्ट आफ गिविंग विषय के माध्यम से एक अवधारणा जीवन की एक वास्तविक क्रिया-प्रक्रिया बन जायेगी। यह रोजमर्रे की जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा बन जायेगी। क्योंकि इसमें ध्यान खुद पर देने, देने पर है। चाहे इसमें पैंसा हो, समय हो, सुनने वाला कान, दयालु शब्द या किसी अन्य प्रकार का समर्थन आदि ही क्यों न शामिल हो। यह जीवन दर्शन भौतिकवाद से बहुत ़उपर  है । क्योंकि यह संवेदनात्मक तथा भावनात्मक संबंधों और खुशियों आदि पर जोर देता है। जो देने वाले और प्राप्त कर्ता दोनों को अनुभव कराता है।
2024 का आर्ट आफ गिविंग  का विषय यानी थीम  एकता की भावना को बढावा देने के बारे में है। जो दर्शाता है कि एक व्यक्ति भी यह आंदोलन शुरू कर सकता है, लेकिन सामुहिक प्रयास के माध्यम से ही यह बढ़ता है और प्रभावशाली बनता है। यह एक व्यक्तिगत कार्य से उदारता और दयालुता की सामुदायिक लहर तक की यात्रा का प्रतीक है। संक्षेप में अगर यह कहा जाय कि कीट-कीस के प्राण प्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रो सामंता की 2024 के लिये देने की कला, इसके विषय ‘स्मजे ।व्ळ सभी को एक ऐसे आंदोलन में शामिल होने के लिये आमंत्रित करता है जो एकता उदारता और देने की परिवर्तनकारी शक्ति का जश्न मनाता है।
यह ऐतिहासिक पहल एक साव्रभौमिक आवाहन है जो लोगों को अपने जीवेन में देने की कला को शामिल करने के लिये प्रोत्साहित करता है, जिसमें यह एक अभिन्न अंग बन जाता है कि वे कौन हैं और वे अपने आसपास की दुनिया के साथ कैसे बातचीत करते हैं।

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