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26/11 को हुये आतंकी पाक के भीषण हमले के बाद भी इजराइल की तरह करारा सबक न सीखा पाने से भारत पर हो रहे हैं सैकडों आतंकी हमले

 

इजराइल की तरह आतंकियों को मिटाने के बजाय आतंकी पाक से क्रिकेट आदि खेल कर गलबहियां करता है भारत!

मानवता, संस्कृति, विकास व बिरासत के दुश्मन है कबुतरी व नीरो प्रवृति के शासक,जनप्रतिनिधी, सामाजिक संस्थायें व प्रबुद्धजन

देवसिंह रावत-

आज 26 नवम्बर 2023 है। आज ही के दिन 2008 को पाक ने भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई पर भीषण आतंकी हमला कर 166लोगों को मौत के घाट उतारा।आज 26/11 पाक द्वारा किये आतंकी हमले की 15वीं बरसी है। देश के प्रधानमंत्री सहित तमाम राजनेता व तथाकथित प्रबुद्ध जन इस काण्ड की बरसी पर देश के जाबांज बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है। हर साल यह बरसी आती है उस दिन मात्र रस्म अदायगी की तरह श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। भारत की इस प्रवृति को देख कर आतंकी पाकिस्तान ने मुम्बई आतंकी हमले के बाद भारत पर आज तक निरंतर सैकडों हमले कर चूका है। ये आतंकी हमले रूकने का नाम नहीं ले रहा है। आम भारतीय इस बात से बेहद चिंतित है, उनके मन में एक ही प्रश्न है कि इसका क्या कारण है? इसके लिये कौन जिम्मेदार है? इसका साफ जवाब है कि अगर भारत इजरायल की तरह एक आतंकी हमले के बाद आतंकी का समूल नाश करने का जवाब देता तो आतंकी आये दिन भारत को आतंक से छलनी करने का दुशाहस नहीं करते।
जिस प्रकार से इजरायल ने 7अक्टूबर 2023 को गाजा से हमास द्वारा इजरायल पर किये गये भीषण आतंकी हमले के तत्काल बाद गाजा पर भीषण बमबारी कर तबाह कर दिया अपितु हमास के आतंकियों का सफाया कर उसका पूरा तंत्र ही तबाह कर दिया। देश के आम जनमानस का सवाल यह है कि अगर इजरायल जैसा छोटा सा देश यह हिम्मत कर सकता है, तो विश्व की विराट सैन्य शक्ति व महाबली बनने की हुंकार भरने वाला भारत आजादी के बाद कश्मीर, मुम्बई, संसद, नागरिकों व सैन्य प्रतिष्ठानों आदि पर सैकडों आतंकी हमले करने का दुशाहस करने वाले आतंकी पाक को भारत इजरायल सा सबक क्यों नहीं सीखा पाया? इजरायल की सत्ताधारी व विपक्ष सहित आम नागरिक देश की रक्षा के लिये आतंक का समूल नाश करने के लिये पूरी दुनिया के दवाब को दरकिनारे करके भी एकजूट हो कर प्रचण्ड प्रहार कर रहे हैं। परन्तु भारत, आतंकी सरगना पाकिस्तान को इजरायल सा सबक सिखाने के बजाय उससे क्रिकेट आदि खेल कर आतंकी सरगना को विश्व में कमजोर करने के बजाय सबल कर रहा है।
इसका प्रमुख कारण है भारत में देश-प्रदेश की सुरक्षा, सम्मान, बिरासत व हितों के प्रति शासक न, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं व प्रबुद्ध जनों का कबुतरी व नीरो प्रवृति जिम्मेदार है। ये दलीय व निहित स्वार्थो, पदलोलुपता में ऐसे धृतराष्ट्र बने हैं कि इनको न देश व समाज की सुरक्षा व सम्मान के साथ हितों का भान रहता है व नहीं अपने दायित्वों का भान। इसी कारण देश में चारों तरफ ऐसी दुर्दशा हो रखी है। देश चारों तरफ से आतंकियों के सरगना पाकिस्तान व चीन आदि भारत विरोधी देश व संगठनों के चक्रव्यूह में फंसा है। राजनैतिक दल देश प्रदेश में जहां जीत हार की सतालोलुपता में नीरो बने हैं, महत्वपूर्ण सत्ता प्रतिष्ठान व सामाजिक संस्थायें व प्रबुद्ध जन देश में मंडरा रहे भयंकर खतरे के प्रति कबुतरी नजरिया रख कर खैल तमाशों में नीरों बन कर देश को आतंक, भ्रष्टाचार व भारत विरोधी तत्वों के षडयंत्र को तबाह करने के बजाय नजरांदाज कर उसे सबल बना कर देश पर कुठाराघात कर रहे हैं।
26/11 आतंकी हमले का मुख्य गुनाहगार हेडली का प्रत्यापर्ण तक न कांग्रेसी सरकार करा पायी व नहीं वर्तमान मोदी नेतृत्व वाली भाजपा सरकार। ये आतंकी पाक पर इजरायल सा प्रहार करने की कार्यवाही करना तो रहा दूर इस आतंकी को मांगने की ठोस गुहार तक अमेरिका से लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। यह है देश के राजनैतिक दलों व शासकों का असली चरित्र।
26नवम्बर 2008 को पाक के 10 आतंकियों के समुह द्वारा मुम्बई के अलग अलग जगह हमला कर 166 लोगों की हत्या की 300 से अधिक लोगों को घायल कर दिया। इस हमले के लिये पाक के आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा को जिम्मेदार माना गया। इस हमले के बाद इस आतंकी संगठन पर दिखावा के प्रतिबंद्ध लगे। इसके बाद इस संगठन ने नाम बदल कर भारत के खिलाफ अपने आतंकी हमले जारी रखे।
26/11 के हमले के बाद भी भारत पर पाक आतंकियों के सैकडों हमले निरंतर हो रहे है। इन हमलों पर एक नजर
-2010 में पुणे की जर्मन बेकरी में आतंकी हमले में 17 लोग मारे गये व 60 से अधिक घायल हुये।
-2010 में ही बनारस में दसस्वमेध घाट में एक बम धमाका दो मरे 30घायल।
-2011 में मुम्बई में ओपेरा हाउस, जावेरी बाजार व पश्चिम दादार में हुये बम धमाकों में 26 लोगों की मौत हुई 130 घायल।
-2011 में दिल्ली में उच्च न्यायालय के बाहर आतंकी बम हमले में 15 लोग मारे गये व 80 हुये घायल।
-2013 में हैदाराबाद में दो बम धमाकों में 18 लोग मारे गये व से से अधिक हुये घायल।
-2015 में गुरदासपुर आतंकी हमला 7 लोग मारे गये।
-2016 पठानकोट वायुसेवा बेस पर आतंकी हमला, 6 जवान सहित 1 नागरिक मारा गया।
-2016 में उरी में सुरक्षाबलों पर आतंकी हमला, 17 लोगों की मौत।
-2018 में जम्मू स्थित सुंजवा में आतंकी हमले में 6 जवान सहित 1 नागरिक की मौत हुई।
-14 फरवरी 2019 को दोपहर करीब 3 बजे जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले में विस्फोटक लेकर जा रहे एक वाहन को टक्कर मार कर हमला किया। इसमें 40 जवान शहीद हो गए। मुम्बई पर 26/11 को आतंकी हमला करने वाले पाक पर इस बार भारत ने इस 12 दिनों में ही पाक से बदला लेते हुये 26 फरवरी 2019को बालाकोट एयरस्ट्राइक करके जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ढेर कर दिया। परन्तु इस हमले से आतंकी पाक की कमर नहीं टूटी, उसने आज तक भारत में निरंतर हमले कर रहा है। आंकडे साक्षी है कि इन हमलों के
कुछ वर्ष पहले जुलाई में मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पुलवामा के बाद 5 साल में हुए 1067 आतंकी हमले, 182 जवान शहीद, मारे गए 729 आतंकी मारे गये।
– 20 अप्रैल 2023 की दोपहर राजौरी सेक्टर के भीमबेर गली और पुंछ के बीच राजमार्ग पर गुजर रहे आर्मी के वाहन पर आतंकियों ने हमला करं पांच जवान शहीद हुये।
इसके अलावा दर्जनों आतंकी हमले व मुठभेड़ जम्मू कश्मीर में आये दिन हो रहे है।
वहीं इसी सप्ताह 23 नवम्बर 2023 तक आतंकियों से हुई मुठभेड में राजौरी में लश्कर के टॉप कमांडर कारी सहित 2 आतंकी ढेर, 5 जवान शहीद।
परन्तु सरकार आतंकी पाक को करारा सबक सिखाने व आतंकी पाक को पूरे विश्व से अलग थलग करने के बजाय उससे भारत की धरती में कभी एशिया कप व कभी विश्व कप मैच खिला रही है। जबकि रूस व अमेरिका तथा चीन ओलंपिक जैसे खेल के सबसे बडे आयोजन का भी अपने देश के हितों व सम्मान की रक्षा के लिये बहिश्कार करते है।
यह केवल सरकार की शर्मनाक स्थिति नहीं है। किसी भी प्रमुख राजनैतिक दल का देश के प्रति आतंकी पाक व चीन के बहिष्कार करने व उसको दुश्मन घोषित करने का दृढ व स्पष्ट दृष्टिकोण नजरिया नहीं है। इससे देश की अवाम की भी स्थिति ऐसी हो गयी कि हमारे जवान देश की सुरक्षा के लिये सीमा पर पाक के आतंकियों की गोली से शहादत दे रहे है परन्तु जनता व राजनैतिक दल क्रिकेट की खुमारी में मस्त हैं। कारगिल युद्ध के समय भी देश की अवाम क्रिकेट की खुमारी में मस्त थी।
ऐसा नहीं कि ऐसी खुमारी केवल देश के राजनैतिक दलों की है। ऐसी खुदगर्ज खुमारी जिसे नीरो व कबुतरी प्रवृति भी कह सकते है। इसके कारण देश, प्रदेश, महत्वपूर्ण प्रतिश्ठानों, सामाजिक संस्थाओं व तथाकथित प्रबुद्ध जन दिशाहीनता से ग्रसित हो कर देश के साथ प्रदेश व समाज को पतन के गर्त में धकेल देते है।
इसका नजारा उतराखण्ड में भी विगत एक पखवाडे से उतराखण्ड में देखने को मिल रहा है। यहां
-उतरकाशी जनपद के सिलक्यारा में सुरंग में निर्माणाधीन सुरंग में 11 नवम्बर 2023से फंसे 41 मजदूरों को निकालने में देश का पूरा तंत्र असफल हो गया। फंसे मजदूरों को निकालने के लिये लगाई गई सुरंग बनाने वाली अत्याधुनिक आगर मशीन भी अंतिम दौर में असफल हो गयी। इस आगर मशीन के फंसे हिस्से को काट कर बाहर निकालने के लिये प्लाज्मा कटर को लगाया गया। अब 26 नवम्बर को मशीन के बजाय इंसान करेंगे सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने का प्रयास। 15 दिन बीत गये पर ।देश के आपदा बचाव तंत्र की इस विफलता से देश की छवि जहां धूमिल हो रही है। वहीं इससे ऐसे संवेदनशील परियोजनाओं पर शासन की नीति व नियत पर भी कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सबसे बडा सवाल यह है कि अगर जिन संस्थान व परियोजनाओं में ऐसी आपदा आदि के बचाव के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध न हो उनको शासन ऐसे कार्य करने की मंजूरी कैसे देती है? मानवीय जीवन से खिलवाड करने की इजाजत केवल चंद टकों के लालच के खातिर दिया जा रहा है? बिना बचाव के विकल्पों व संसाधनों के सुरंग व उडनखटोला जैसे परियोजनाओं को सरकार कैसे स्वीकृति प्रदान करती। सरकार की यह लापरवाही निर्माण कार्य में व इसका उपयोग करने वाले आम नागरिकों के जीवन से एक प्रकार से सीधा खिलवाड है। प्रशासन को मिली असफलता के बाद अब 26 नवम्बर को फंसे मजदूरों को निकालने की जिम्मेदारी सेना को सौंप दिया गया।
देश में सामाजिक संस्थाओं में भी राजनैतिक दलों व जनप्रतिनिधियों की तरह सामाजिक संस्थाओं व प्रबुद्ध व्यक्तियों में भी कबुतरी व नीरों प्रवृति के कारण दिशाहीनता से ग्रसित है। ये सामाजिक संस्थायें हो या अधिकांश प्रबुद्ध जन समझे जाने वाले साहित्यकार व पत्रकार इत्यादि सभी इसी प्रवृति का शिकार बन गयी है। सामाजिक संस्थायें प्रायः समाज की ज्वलंत समस्याओं व चुनौतियों पर गहन चिंतन मंथन करने के साथ दिशा देने व सबल बनाने के लिये प्रायः बनाये जाते है। परन्तु अब अधिकांश सामाजिक संस्थायें अपने मूल दायित्व का निर्वहन के बजाय नाच गानों में ही मस्त हो गये हैं। नेताओं या खुद को माल्यापर्ण कराने में समाज का समय व संसाधन गंवा देते है। इससे समाज भी देश प्रदेश व समाज के मान सम्मान, सुरक्षा व विरासत के प्रति उदासीन हो जाते है। संस्थायें चाहे दिल्ली में हो या देश के विभिन्न इलाकों में अधिकांश ऐसी ही हालत है। इसी 25 नवम्बर को देश की राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में गढवाल हितैषिणी सभा के 100 साल होने पर शताब्दी महोत्सव- विरासत का भव्य आयोजन किया गया। लाखों रूपये के खर्चे से आयोजित इस कार्यक्रम में उतराखण्ड के शीर्ष लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी व देश के युवाओं की धडकन बने गायक जुबिन नौटियाल,गायक गजेंद्र राणा, गायिका रेशमा षाह व कल्पना चौहान सहित अनैक गायक कलाकारों ने अपने स्वरों में गीत गा कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। परन्तु राज्य गठन के 23 साल बाद भी राज्य गठन की जनांकांक्षाओं (राजधानी गैरसैंण, मुजफ्रनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा दिलाने, भू-मूल निवास कानून,स्थानीय युवाओं को रोजगार, भ्रष्टाचार मुक्त, संसाधनों व हक हकूकों को अर्जित करना, घुसपेठियों की समस्या का निराकरण ( के साथ जोशीमठ, हल्द्वानी व उतरकाशी जैसी समस्याओं पर समाज को दिशा देने का दायित्व का निर्वहन करना तो रहा दूर इन पर आयोजकों ने प्रदेश सरकारों की तरह मुंह तक नहीं खोला। जबकि गढवाल हितैषिणी सभा सहित अधिकांश सामाजिक संस्थाओं का गठन ही अपने मूल उतराखण्ड के गांवों, क्षेत्र, पट्टियों की जन समस्याओं पर चिंतन मंथन व दिशा देने के साथ उसके समाधान के लिये काम करना रहा था। इसके साथ अपनी संस्कृति के अनुसार स्वस्थ गीतों व नृत्यों का आयोजन कर समाज को एकजूट करना था। पर अब गांव के स्कूल, चिकित्सालय, नहरें, मेधावी बच्चों की शिक्षा, जरूरतमंद कन्याओं की शादी व बीमारों का इलाज कराने के साथ सामाजिक कुप्रथाओं से समाज को दिशा देना रहा। परन्तु इस मामले में देवभूमि उतराखण्ड शराब, बाघ, बंदर, नेता व नौकरशाहों के भ्रष्टाचार से त्रस्त है। इस पर दिशा देने में सामाजिक संगठन विफल रहे। ऐसे में सरकार की छत्रछाया में संचालित होने वाले या राजनेताओं के शिकंजे में जकडे मेलों से समाज को दिशा देने की आश करना भी नादानी होगी। आज ही सीमांत जनपद चमोली के खेंतोली में विक्टोरिया पदक विजेता दरवान सिंह नेगी की स्मृति में राजकीय शौर्य मेले का भव्य समापन हुआ। इसी पखवाडे नवम्बर में गोचर में विख्यात गौचर विकास व औधोगिक मेले व पिथोरागढ़ में जोलजीबी मेले के आयोजन में प्रदेश के मुख्यमंत्री विराजे परन्तु ज्वलंत समस्याओं व 23 सालों से साकार होने के लिये तरस रही जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिये वर्तमान मुख्यमंत्री धामी भी अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों की तरह मूक बने रहे। केवल अपने दल व अपनी सरकार के कार्यो का बखान करते हुये प्रधानमंत्री मोदी के कसीदे पढते रहे।
जब जिस देश के हुक्मरान, जनप्रतिनिधी, सामाजिक संगठन व प्रबुद्ध वर्ग देश, प्रदेश व समाज की ज्वलंत समस्याओं के प्रति मूक हो कर केवल अपने मुंह मियां मिटृठू बनाने में लगे रहे तो उस देश की दुर्दशा होने से कोन बचा सकता है। इसी कारण आतंकी पाक व चीन निरंतर भारत को आतंक से तबाह कर रहे है। इसी कारण भारत अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त होने के 76 साल बाद भी अपने नाम, अपनी भाषा, अपने इतिहास व अपनी समृद्ध विरासद -व्यवस्थाओं से वंचित है। देश आज भी शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन के लिये अंग्रेजी भाषा की दासता झेलने के लिये अभिशापित है। आम आदमी के लिये शिक्षा, चिकित्सा, न्याय, रोजगार व शासन भी ईद का चांद बन गयी है। समाज को दिशा देने वाले पत्रकार व साहित्यकार खुद दिशाहीन हो गये है। इसका मूल कारण देश में भारतीय शिक्षा प्रणाली के बजाय आज भी मैकाले प्रभावी शिक्षा, न्याय, शासन व चिकित्सा प्रणाली चल रही है। जो भारतीयता से दूर करती है।

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