दुनिया देश

हमास व इजराइल के मध्य शुरू हुआ युद्ध धर्मयुद्ध में तब्दील होने से मंडराया विश्व  युद्ध का खतरा!

 

गाजा में चिकित्सालय में हुये बर्बर हमले से दो खेमें में बंटी दुनिया,

रूस व चीन के समर्थन से अरब देश इजराइल व अमेरिका के खिलाफ

हमास इजरायल युद्ध से फिर जीवंत हुआ 50 सालों से नासूर बना इस्राइल व फिलिस्तीन  विवाद ‘किसका है यह क्षेत्र यहुदियों या फिलिस्तीनियों का’

 

देवसिंह रावत

 

7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इस्राइल पर किये गये बर्बर हमले के बाद इस्राइल ने हमास के समूल नाश के लिये चलाया युद्ध 17 अक्टूबर 2023की मध्य रात्रि को गाजा के अस्पताल पर हुये हमले में 500 से अधिक लोगों के मारे जाने के बाद विस्फोटक स्थिति में है।गाजा के इस अस्पताल में हुये घातक हमले से 500 से अधिक लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी। इससे आक्रोशित पूरे संसार में इजराइल विरोधी प्रदर्शन हो रहे है। यह प्रदर्शन अरब देशों के साथ साथ अमेरिका, ब्रिटेन, नार्वे सहित पूरी दुनिया में हो रहे हैं । भले ही इजराइल इस हमले के लिये इस्लामी जेहाद परिषद को जिम्मेदार मान रहा है। परन्तु फिलिस्तीनी सहित अरब जगत इजराइल को दोषी ठहरा रहे है। उनको आरोप है कि इजराइल ने गाजा में दस अस्पतालों में हमले किये हैं।इसके बाबजूद इजराइल जहां गाजा में अपने भीषण हमले जारी रखे हुये हैं वहीं इजराइल पर हमास, हिज्बुल्ला, लेबनान भी अपने हमले जारी रखे हुये है। 13 दिनों से चले हमास इजराइल युद्ध में 6000 से अधिक लोग मारे गये। 3562 गाजा में इजराइल के हमलों में मारे गये  व 13300घायल है। वहीं हमास के हमले में इजराइल में 1402 से अधिक लोग मारे गये व 4475 लोग घायल हैं । वहीं इजराइल व हमास ने एक दूसरे के सैकडों लोगों को बंदी बना रखा है। हमास  व इस्राइल की इस जंग के कारण दुनिया दो ध्रुवों में बंट गयी है।इजराइल का दावा है कि उसने हमास के एक दर्जन के करीब हमास के आला नेतृत्व को मार कर एक प्रकार से हमास को नेतृत्व विहिन कर दिया है।  अमेरिका द्वारा इजराइल के समर्थन में अपने युद्धपोत इजराइल  व भू मध्य सागर भेजने को खुली चुनौती मानते हुये अपने दो दो विमान वाहक युद्ध पोत भेजने के साथ काला सागर में अपने घातक किंजल हाइपरसोनिक मिसाइलों युक्त  विमानोें को काला सागर में सजग रहने का फरमान जारी कर दिया है। उल्लेखनीय है कि हमास द्वारा इजराइल पर किये हमले के बाद अमेरिका ने अपने युद्धपोत भेजे जिसे रूस ने अपनी सुरक्षा के लिये खतरा मान कर अपने युद्धपोत व घातक विमानों की तैनातगी कर दी।अगर यह युद्ध जल्द नहीं रूका तो हमास व इजराइल के मध्य  शुरू हुआ यह युद्ध धर्मयुद्ध में तब्दील हो जायेगा, जो दुनिया के लिये सबसे घातक होगा। क्योंकि  अरब देशों की हुंकार के साथ 57 देशों केे मुस्लिम संगठन भी इजराइल के खिलाफ हुंकार भर रहा है। वहीं इजराइल आज 19 अक्टूबर से गाजा में ंजमीन के नीचे सुरंगों में मोर्चा लिये हमास के सफाये के लिये जमीन के नीचे का युद्ध शुरू करने जा रहा है। वहीं हिज्बुल्ला ने इस्राइल के खिलाफ भीषण प्रहार तेज कर दिया है।यह युद्ध दिन प्रतिदिन भीषण होता जा रहा है।

गाजा को चारों तरफ से इजरायल की सेना द्वारा घेरने के साथ प्रचण्ड हवाई व जमीनी हमले करने के बीच 17 अक्टूबर की मध्य रात्रि में गाजा स्थित अल अहली  अस्पताल पर मिसाइल हमले में 500 से अधिक लोगों की दर्द्रनाक मौत हो गयी। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना से जहां अरब जगत सहित पूरा विश्व आक्रोशित है। फिलिस्तीन सहित अरब जगत इस जघन्य काण्ड के लिये इजरायल को गुनाहगार मान रहे है। वहीं इजराइल व अमेरिका इसके लिये इस्लामी जैहाद संगठन को इसके लिये जिम्मेदार मान रहा है। इजराइल ने इसका सबूत भी अमेरिका के राष्टपति  सहित पूरी दुनिया के समक्ष जगजाहिर कर दिया। वहीे रूस व चीन ने इस घटना की कडी भत्र्सना करते हुये संयुक्त राष्ट सुरक्षा परिषद की आपात बैठक आहुत की है। इजराइल ने कहा कि हम इस बैठक में गाजा अस्पताल पर हमला करने के गुनाहगार को बेनकाब करेगा।  इस अस्पताल के हमला होने के बाद ईरान सहित पूरा अरब जगत इस जघन्य काण्ड का गुनाहगार इजराइल व अमेरिका को मान रहे है।  इस हमले कने जहां अरब जगत के एकजूट होने से यह संघर्ष पूरे संसार में मुस्लिम  बनाम यहुदी व ईसाई के बीच सा हो गया है। इसकी ज्वाला में पूरा संसार धधक रहा है। इस हमले के कुछ ही घण्टे बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो वाइडेन इजराइल पंहुचे। इस घटना से अरब जगत घधक रहा है। इसलिये जो वाइडेन से होने वाली फिलिस्तीन के प्रमुख की वार्ता रद्द कर दी गयी। अमेरिका ने इजराइल का पूरा समर्थन किया। जिस समय अमेरिका के प्रमुख इजराइल का दौरा कर रहे थे। उसी समय रूस के प्रमुख पुतिन चीन के प्रमुख से फिलिस्तीन विवाद में अमेरिका व इजराइल को कटघरे में घेरने के लिये अरब जगत से घावों पर हमदर्दी का मरहम लगा रहे थे। भले ही इजराल के साथ यूरोप की एकजूटता प्रदर्शित करने के लिये 16अक्टूबर को जर्मन के प्रमुख इजराइल का दौरा कर अपना पूरा समर्थन प्रकट कर चूके। 19 अक्टूबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी इजराइल का समर्थन करने के लिये इजरायल का दौरा किया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनक ने पूरी तरह से इजराइल के समर्थन देते हुये कहा कि ब्रिटेन पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप खुद की रक्षा करने और बंधकों को वापस लेने, आगे की घुसपैठ को रोकने और मास के पीछे जाने के इजरायल के अधिकार का समर्थन करता है।ब्रिटेन चाहता है कि इस युद्ध में इजरायल की जीत हो। वहीं भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुये बर्बर हमले के बाद इजरायल का समर्थन किया था। 19 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री से दूरभाष से वार्ता करते हुये गाजा में अस्पताल में हुुये बर्बर हमले पर जहां संवेदना प्रकट करते हुये स्वतंत्र फिलिस्तीन के समर्थन करने व फिलिस्तीन को मानवीय सहायता जारी रखने की भारत की वचनबद्धता को दोहराया। प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम से देश में विपक्षी दलों द्वारा फिलिस्तीन के समर्थन करने की भारत की 1947 के बाद की विदेश नीति से हटने के जो आरोप लग रहे थे, उस पर लगे प्रश्न चिन्ह को प्रधानमंत्री ने फिलिस्तीन के प्रति भारत की बचनबद्धता दोहरा कर दूर कर दी है।
फ्र्र्र्र्र्रांस सहित नाटो ने भी इजराइल के साथ खडे होने की हुंकार भर रहे हैं। इजराइल के दौरे पर आये अमेरिका के प्रमुख वाइडेन ने इजराइल के प्रमुख से कहा कि इजराइल गुस्से में वो गलतियां न करे जो अमेरिका ने 9/11 की घटना के बाद किया था। अमेरिका के प्रमुख इजराइल का समर्थन करने के साथ जहां हमास के सफाया का संकल्प ले रहे थे वहीं इजराइल को गाजा पर कब्जा न करने की नसीहत भी दे रहे थे। अमेरिका की नसीहत इजराइल कहां तक मानेगा। यह तो वक्त बतायेगा। परन्तु इजराइल की कार्रवाही से गुस्साये अरब देशों में फिलिस्तीन मुद्दे पर  इस समय रूस व चीन का समर्थन मिलने से मनोबल बहुत बढ़ गया है। इसी मनोबल के बल पर सउदी व मिस्र सहित अमेरिकी समर्थक देश भी अमेरिका के गरूर को रौंद रहे हैं।  रूस ने इस्राइल द्वारा गाजा में विनाशकारी युद्ध की कड़ी भत्र्सना करके इसके लिये अमेरिका की इस्राइल तुष्टिकरण नीति व फिलिस्तीनी हितों पर कुठाराघात को जिम्मेदार ठहराया। इसके साथ इस्राइल से तुरंत युद्ध बंद कर गाजा से दूर हटने को कहा।इसके साथ रूसी राष्ट्रपति पुतिन चीन के दोरे पर हैं। चीन ने भी गाजा पर हमले की निंदा की। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति 18 अक्टूबर को इस्राइल का दौरा करके इस्राइल के साथ अपना समर्थन का इजहार करेंगे। वहीं ब्रिटेन, फा्रंस व जर्मन ने इस्राइल के खिलाफ हिजबुल्ला व इरान को चेतावनी दी है।ं आज  के दिन जहां इस्राइल ने गाजा को खाली करने का फरमान वहां की जनता को देने के बाद हमास का समूल नाश करने के मिशन में गाजा में घुस कर वहां भारी तबाही मचा रहा है।। इस्राइल की चेतावनी को देखते हुये संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे वापस लेने की मांग की। जिसे इस्राइल ने ठुकरा दिया जिसे देख कर संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना कार्यालय सुरक्षित स्थान पर हस्तांतरित कर दिया।वहीं अरब देशों के फिलिस्तीन के प्रति एकजूटता व इस्राइल द्वारा गाजा में की रही विनाशकारी कार्रवाही का प्रचण्ड विरोध को देखते हुये इस्राइल का सरपरस्त अमेरिका जो इस्रा्रइल के साथ देने के लिये अपने दो युद्धपोत व विशेष सैन्य दस्तों के साथ इस्राइल पंहुच चूका है, ने जहां हमास का विनाश जरूरी बताया । साथ में अमेरिका ने इस्राइल को गाजा पर कब्जा करने की भूल न करने की चेतावनी भी दी है। इसके साथ  इस्राइल के साथ फिलिस्तीन का समर्थन करके  अरब देशों को मरहम लगाने का दाव चल दिया है। गौरतलब है कि इस्राइल की इस कार्यवाही के खिलाफ जहां लेबनान, हिजबुल्ला, सीरिया व ईरान सीधे इस्राइल पर कार्यवाही के लिये कमर कस चूके हैं। इस्राइल ने सीरिया व लेबनान में हिजबुल्ला के ठिकानों पर हमला भी कर दिया।इ्र्ररान इस प्रकरण पर इस्राइल के साथ अमेरिका को भी चेतावनी दे चूका है। भले ही इजराइल, गाजा के अस्पताल में हुये हमले में अपनी किसी प्रकार की संलिप्तता से इंकार करते हुये इसे इस्लामी जेहाद परिषद को जिम्मेदार मान रहा है। परन्तु इजराइल द्वारा गाजा पर शिकंजा कसने व अस्पताल सहित सभी संस्थानों को वहां से दूसरी तरफ जाने के फरमान के बाद यह हमला होने के बाद इजराइल अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। अरब देशों के आक्रोश को भांपते हुये ही अमेरिका ने इजराइल के साथ गाजा व वेस्ट बैक यानी फिलिस्तीन को भी मदद देने का ऐलान किया। पर वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने  इजराइल पर हमला करने वाले हमास को आईएसआईएस से अधिक खुंखार आतंकी संगठन बताते हुये इसके सफाये के लिये इजराइल का पूर्णरूप से समर्थन देने का भी ऐलान किया। इसके साथ अमेरिका ने कहा कि फिलिस्तीन के लोग भी पीडित है। अमेरिका ने इजराइल से गाजा में राहत अभियान चलाने का फरमान दिया।  पर अस्पताल में हुये जघन्य हमले के तुरंत बाद 14 अरब देश के लोग इजराइल व अमेरिका के खिलाफ आक्रोशित हो कर सड़कों पर उतर आये है। अरब जगत अमेरिका द्वारा इजराइल को इस हमले में पाक साफ बताने से अरब जगत बेहद आहत हैं। इस्लामी संगठन व अरब देश इजराइल से सभी प्रकार के संबंध विच्छेद करने की हुंकार भर रहे हैं। अरब का यह आक्रोश विश्व के अमन चैन पर कहीं ग्रहण न लगा दे। जबकि संयुक्त राष्ट्र  भी इस हमले को नरसंहार बता रहा है। गाजा में दस अस्पतालों में हमले हो चूके है। फिलिस्तीनी इन अस्पतालों में बचने के लिये शरण भी लिये हुये हैं।7 अक्टूबर के बाद 12 दिन से गाजा में बिजली, पानी, राशन इत्यादि को रोक देने से जहां लाखों लोगों का जीवन दुस्वार हो गया है। वहीं संयुक्त राष्ट्र सहित अनैक देश इसको युद्ध अपराध मान रहे हैं। बिजली, पानी, दवा व खाना इत्यादि के अभाव में गाजा के कई लोग दम तोड रहे है।इस बीच हमास से युद्धरत इजराइल पर लेबनान, हिज्बुल्ला ने हमला कर दिया। इजराइल  हिज्बुल्ला व लेबनान के हमलों का प्रत्युतर देते हुये उन पर हवाई प्रहार कर रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि हिज्बुल्ला, हमास अधिक मजबूत व खौपनाक आतंकी संगठन है, जो ईरान द्वारा संरक्षित व पोषित है।
इस्राइल ने गाजा पट्टी पर हजारों हमले करने के साथ लाखों की सैना से गाजा पट्टी की घेराबंदी करके यहां पर रहने वाले 20 लाख लोगों को बिजली, पानी, राशन सहित सभी आवश्यक चीजों की आपूर्ति रोक दी है। इस्राइली वायुसेना व राकेटों के हमले में गाजा एक प्रकार से तबाह हो कर कब्रिस्तान बन गया है। लाखों लोग जान बचाने के लिये शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं परन्तु इस शिविरों पर भी हमला हो रहा है। इस्राइल पर हमास द्वारा किये बर्बर हमले में डेढ हजार के करीब इस्राइली व इस्राइल द्वारा किये गये हमले में 3500 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गये। इस्राइल के साथ हमास के युद्ध ने पूरी दुनिया को दो धडों में बांट दिया है। अमेरिका अपने सैनिक बेडे, हथियारों व घातक सैन्य दस्तों के साथ इस्राइल का साथ देने पंहुच गया है। ब्रिटेन ने भी इस्राइल का समर्थन देते हुये उसे सैन्य सहायता देने का ऐलान कर दिया है।
आधुनिक काल में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच इस संघर्ष की शुरुआत प्रथम विश्व युद्ध के समय हुई थी। ओटोमन यानी उस्मानी साम्राज्य की हार के बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर कब्घ्जा हासिल कर लिया था। फिलिस्तीन में यहूदी, अल्पसंख्यक थे, जबकि अरब बहुसंख्यक थे। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को फिलिस्तीन में यहूदी देश बनाने का काम सौंपा था।14 मई, 1948 को संयुक्त राष्ट्र और दुनिया की नजर में पहली बार इजरायल देश का जन्म हुआ। जिसको ब्रिटिश व अमेरिका आदि मित्र देशों द्वारा संरक्षित किया गया। इस्राइल राष्ट्र को गठन करने के मामले में जहां फिलिस्तीन सहित अरब देश इस बात से अमेरिका व पश्चिमी देशों से आक्रोशित है कि उन्होने षडयंत्र के तहत फिलिस्तीन की धरती पर यहुदियों का देश इस्राइल बना दिया। उनका मानना है कि यहुदियों को विपति के समय फिलिस्तीनियों ने शरण दिया, उन्होने शरणदाता को ही बाहर कर दिया। परन्तु इस्राइल की मान्यता है कि यह क्षेत्र शताब्दियों पहले उनका था, ईसा मसीह के काल में यहां यहुदियों का देश व शासन था। उसके बाद आक्रांताओं ने उनको यहां से बाहर खदेडा।
ऐसा नहीं है कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इस्राइल पर दागे 5या 7 हजार राकेटों का हमला पहली बार किया गया। इससे पहले भी 2014 में हमास ने 4500 राकेट , 2019 में 400 व 2021 में 4 हजार राकेट इस्र्राइल पर दागे थे। परन्तु जिस घातक व रणनीति के साथ हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को राकेट, जमीनी, ग्लाइडर व समुद्र के रास्ते इजराइल पर हमला कर बर्बर प्रहार किये वह 50 सालों में इस्राइल पर होने वाला सबसे घातक, जघन्य, हैवानियत भरा तबाही लाने वाला प्रहार था।

वहीं फिलिस्तीन, दुनिया का एक राज्यक्षेत्र है। यह इस क्षेत्र का नाम है जो लेबनान और मिस्र के बीच था के अधिकांश हिस्से पर इजराइल के राज्य की स्थापना की गई है। 1948 से पहले सभी क्षेत्र फिलिस्तीन कहलाता था। जो खिलाफत उस्मानिया में स्थापित रहा लेकिन बाद में अंग्रेजों और फ्रांससिंयों ने इस पर कब्जा कर लिया। 1948 में यहाँ के अधिकांश क्षेत्र पर इस्राइली राज्य की स्थापना की गई। फिलिस्तीन राज्य वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी (20लाख जनसंख्या वाला,40किमी लंबी व 9.6किमी चैड़ी)पर दावा करता है। जिसके साथ यरुशलम इसकी निर्दिष्ट राजधानी है। व्यवहार में, आंशिक प्रशासनिक नियन्त्रण केवल वेस्ट बैंक में 167 द्वीपों का समुह और गाजा पट्टी के आन्तरिक भाग पर होता है, और इसका प्रशासनिक केन्द्र वर्तमान में रामल्ला में स्थित है।

उल्लेखनीय है कि फिलिस्तीन और इजरायल के बीच विवाद की नींव प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में ओटोमन साम्राज्य की हार के साथ ही पड़ गई थी। दरअसल, फिलिस्तीन पर पहले ओटोमन साम्राज्य का शासन था. लेकिन प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर पूरा कब्जा कर लिया। उस वक्त इजरायल नाम से कोई देश नहीं था। इजरायल से लेकर वेस्ट बैंक तक के इलाके को फिलस्तीनी क्षेत्र के तौर पर जाना जाता था। तब फिलिस्तीन में यहूदी अल्पसंख्यक और अरब बहुसंख्यक थे।

 

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