Chamoli उत्तराखंड दुनिया देश

उतराखण्ड में भट्टियाणा(कडाकोट-नारायणबगड-चमोली) में 17 सितम्बर  से शुभारंभ होगा 177 दिवसीय माॅ नैणी देवी का दयोरा

 

नारायणबगड(प्याउ)। जहां देवभूमि उत्तराखण्ड में इन दिनों चार धाम यात्रा शीतकाल के लिए थम सा गया है वहीं देवी देवताओं की पावन धरती व मोक्ष भूमि के नाम से विख्यात सीमान्त जनपद चमोली में 38 साल बाद 17सितम्बर 2023 से  भट्टियाणा (विकासखण्ड नारायणबगड़) ‘नैणी देवी  का 6 माह के दयौरा महोत्सव के शुभारंभ के दिन नैणी देवी के आशीर्वाद पाने के लिये कडाकोट पट्टी के हजारों श्रद्धालु  बेसब्री से इंतजारी कर रहे हैं।17 सितम्बर 2023 की प्रातः 8 बजे 9 कन्याओं की अगुवाई व जिला पंचायत उपाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह रावत सहित क्षेत्र के हजारों माॅ नैणी देवी भक्तों की उपस्थिति में पावन कलश यात्रा विधिवत निकाली जायेगी।  यह कलश यात्रा श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर से घट स्थल तक की जायेगी। साढे 11 बजे पावन घट का उद्भव होगा। दोपहर 12 बजे घट विधिविधान के साथ भगवान नारायण मंदिर में विराजमान कर पूजा अर्चना की जायेगी। इसके बाद दोपहर 1 बजे से  मुख्य अतिथि सहित पधारे अतिथियों का स्वागत करने के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम  आयोजित किया जायेगा।

कल ही भट्टियाणा नेणी महोत्सव से जुडे प्रखर समाजसेवी इंजीनियर योगेश्वर देवराड़ी ने दूरभाष पर प्यारा उतराखण्ड के संपादक देवसिंह रावत को जानकारी दी कि 17 सितम्बर 2023 से नेणी देवी महोत्व का शुभारंभ  पावन घडुली प्रकटोत्सव से प्रारम्भ होगा। इसके लिये  नैणी महोत्सव समिति ने पूरी तैयारी कर ली है। समिति के अनुसार 177 दिन तक चलने वाले इस मैले में 30 हजार से अधिक श्रद्धालु 6 माह के दौरान चलने वाले प्रमुख पर्वों में भाग लेंगे। माॅं नैणी देवी के 6 माह के प्रमुख कार्यक्रम 17 सितम्बर 2023 को माॅ नैणी देवी का घट उद्भव, 15-16 अक्टूबर 2023 को प्रथम ब्रह्म बंधन, 12 जनवरी 2024 को द्वितीय ब्रह्म बंधन, 03 मार्च 2024 कोटट गांव में ब्रहमतोली का आयोजन के साथ यज्ञ व विदाई के साथ नैणी दयौरा का विधिवत समापन होगा।
अभी कुछ देर पहलेे जनपद चमोली भाजपा के वरिष्ठ नेता पुरूषोतम शास्त्री के अनुसार इस आयोजन में थराली विधानसभा क्षेत्र के विधायक सहित सभी जनप्रतिनिधी भी माॅ नैणी देवी के आशीर्वाद लेने आयोजन में सम्मलित होंगे। आज ही शात्री जी ने नैणी द्योरा के सफल आयोजन के लिये कोठुलेश्वर महादेव जी व यहां के श्रीमहंत खीमा भारती जी महाराज व महंत उत्तमानंद जी महाराज से प्रार्थना की। कोठुली निवासी पुरूषोतम शास्त्री के अनुसार 18 सितम्बर को नैणी समिति गाजे बाजे के साथ सुनभी गांव के निवासी ऐरवाल को लेने के लिये जायेंगे तथा 21 सितम्बर को  कोठुली गांव में पंहुच कर यहां से सागर सिंह रावत को ऐरवाल के लिये ले जायेंगे। उल्लेखनीय है कि नैणी के मुख्य पुजारी गणे के नाम से जाना जाता है। जिनके मार्गदर्शन में यह महोत्सव सम्पन्न होता है। इस बार भी भट्टियाणा नैणी के गणे बिशम्बर सती, बेनोली गांव के हैं। 38 साल पहले वे अपने पिता के साथ इस महोत्सव को सम्पन्न कराने आये थे। वे सेना में सेवारत के बाद इन दिनो देहरादून में सपरिवार निवास करते हैं। पर अपनी पैतृक वृति से उनको गहरा लगाव व श्रद्धा के कारण वे इस महोत्सव के गुरूतर दायित्व का निर्वहन करने को तैयार हुये। गणे के अलावा  नैणी देवी  के 2ऐरवाल व 4 चिनवाल के साथ ढोल दमा बादकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।इनके खानपान से लेकर स्नानादि के विशेष नियमों का पालन नैणी दल को करना होता  है। यह एक प्रकार की कठिन तपस्या की तरह है।
गौरतलब है कि भट्टियाणा नेैणी द्योरा में भट्टियाणा गांव के साथ कोट,ग्वाड़, भुलक्वाणी  गांव संयुक्त रूप से इस महोत्सव का भव्य आयोजन करता है। इसके लिये भट्टियाणा, कोट, ग्वाड व भुलक्वाणी को विशेष रूप से सजाया गया है। खासकर भट्टियाणा में नारायण मंदिर, नैणी देवी, नैणी मंगेरी,भुमियाल देवता, लाटू देवता, नाग मंदिर भुलक्वाणी व  दुर्गा मंदिर कोट सहित नैणी के तमाम पर्वो से जुडे स्थलों को साफ सफाई व सजावट करने के साथ नैणी महोत्सव के मुख्य आयोजन स्थल में मंच भी तैयार हो गया है।  नैणी  दयोरा को सफल बनाने में आयोजन क्षेत्र के ग्रामीणों के अलावा मुख्य संरक्षक उतरी कडाकोट विकास समिति के अध्यक्ष द्वारिका प्रसाद देवराड़ी,संरक्षक सदानंद रतूडी-मोहन प्रसाद देवराड़ी, अध्यक्ष दिवाकर प्रसाद डिमरी, उपाध्यक्ष उदयसिंह नेगी, कल्पेश्वर रतूडी, सचिव जगत सिंह बुटोला,हरीश प्रसाद थपलियाल, कोषाध्यक्ष-आनंद सिंह रावत,नरेश प्रसाद,दलबीर नेगी,भूपेंद्र सिंह नेगी  प्रधान कोट व विक्रम नेगी  पूर्ण रूप से समर्पित  है।

इस आयोनज समिति ने 38 साल बाद हो रहे इस पावन मेले के आयोजन में टीएचडीसी सहित अनैक संस्थानों  श्रद्धालुओं आदि के सहयोग से छह माह के इस पावन आयोजन को सफल बनाने की तैयारी  की है।  इस छ महिने में से 4 माह नैणी देवी अपनी ध्याणों को दर्शन देने क्षेत्र भ्रमण करेगी। इस दौरान इस मेले में उतराखण्ड के स्वर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी एवं साथी कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किये जाने का प्रस्ताव है। इस कार्य़क्रम में टीएचडीसी सहित अनैक संस्थान अपने जनहितकारी स्टाल भी लगायेेगे।  इसके साथ यहां पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं को देखते हुये 101प्री फॅब्रिकेटड शौचालय, 301  कुडाघर के अलावा  9 दिन रात भण्डारा भी परोसा जायेगा। इसके साथ नैणी देवी समौण के लिये हाथ थेला आदि भी प्रदान किये जायेंगे।
माॅ नैणी देवी के परम भक्त व रैंस की नैणी के प्रमुख ध्वजवाहक अर्जुन सिंह रावत के अनुसार  प्राचीन काल में एक महान संत एक बडे यज्ञ के लिये नाग लोेक से 9 नाग कन्याओं को इस देवभूमि में लाये। वहां पर हंसा रमोला प्रकरण से भयभीत ये 9 नाग कन्याये जो नो बेणी नैणी के नाम से विख्यात है, बचने के लिये बिछुड गयी। खुद को बचाने के लिये ये नैणी  भट्टियाणा, रैंस, डुंगरी, बैनोली, सणकोट,घण्डियाल, रतूडा में सुरक्षित स्थान में  बस गयी। परन्तु एक बहन नैणी कोब के फाड में कूद कर पृथ्वी में समा गयी। वेसे प्रारंभिक काल में ंहर 12 साल में नैणी देवी का महोत्सव मनाया जाता था। परन्तु इस बडे महोत्सव के आयोजन भारी धनशक्ति के साथ दर्जनों समर्पित  लोगों की जरूरत होती है जो 6 माह के लिये इस आयोजन में पूर्ण रूप व विधिविधान से समर्पित रहे। इस कारण धीरे धीरे आयोजन का समय बढ़ता गया। इसी कारण इन 8 स्थानों की नैणी देवी प्रायःतीन से लेकर 4 दशक के बाद आयोजन किया। जाता है।
भट्टियाणा नैणी देवी के दयोरा की तैयारियों के बारे में प्यारा उतराखण्ड के संपादक देवसिंह रावत को भुलक्वाणी विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक रमेश चंद्र सती ने बताया कि पूरे क्षेत्र के लोग बेसब्री इंतजार कर रहे हैं। क्षेत्र के देश के विभिन्न शहरों में निवास करने वाले लोग व ध्याणें भी इस आयोजन में सम्मलित होने के लिये उत्साहित हैं। संचार ़क्रांति के युग में इस आयोजन के प्रति लोगों का उत्साह देखते ही बनता है। खासकर कडाकोट पट्टी के कोठुली, कोथरा, सुनभी, जाखपाट्टियों, चिरखून, सैंज,कफातीर, रैस, चोपता, तुनेडा, डडोगाड, ब्यथरा, डुंग्री, जाख,असेड, सिमली सहित पूरे नारायण बगड विकासखण्ड के गांवों के अलावा नो बेणी नैणी के पावन तीर्थो, कपीरी पट्टी के अलावा कोट कंडारा, सुनाली आदि गांवों के लोग माॅ नैणी देवी के आशीर्वाद लेने की बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

About the author

pyarauttarakhand5