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चंद्रमां पर चंद्रयान उतार कर भारत ने लहराया विश्व में अपना परचम

 

चद्रमां पर यान उतारने वाला  विश्व का चौथा व चंद्रमां के दक्षिण ध्रुव पर यान उतारने वाला विश्व का पहला  देश बना भारत

-देवसिंह रावत

सतीश धवन अंतरिक्ष  केंद्र शार, श्री हरिकोटा से 14 जुलाई 2023 14.35 बजे चंद्रमां पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चंद्रमां पर खोजबीन करने के लिए भेजा गया चंद्रयान-3 आज 23 अगस्त 2023 को सांयकाल 6.04 बजे चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने पूरे विश्व  में भारतीय अंतरिक्ष  वैज्ञानिकों ने भारत का परचम लहरा दिया। इस ऐतिहासिक उपलब्धी से जहां भारत विश्व का अमेरिका, रूस, व चीन के बाद चोथा ऐसा देश बन गया जिसने चंद्रमां पर सफलता से अपने चंद्र यान उतारने का कीर्तिमान स्थापित कर दिया। इसके साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधानद्वारा चंद्रयान-3 को चंद्रमां के दक्षिणी धु्रव में उतारने वाला विश्व का पहला देश बन गया है।
भारतीय वैज्ञानिकों की इस ऐतिहासिक सफलता पर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मोदी सहित सभी नेताओं ने हार्दिक बधाई देते हुये इसे देश को गौरवशाली उपलब्धी बताया। भारत की इस सफलता पर नासा, रूसी अंतरिक्ष संस्थान सहित देश विदेश के अनैक प्रमुख व्यक्तियों ने भाअंअसं को बधाई दी। चंद्रमां पर चंद्रयान-3 के उतरने के अवसर पर पूरे भारत में एक प्रकार उत्सव का सा माहौल था। देश के तमाम जागरूक जनता इसके सीधे प्रसारण को देख कर खुद को गौरवांनित महसूस कर रही थी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार इसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं है। चंद्रयान 3 के तीन प्रमुख हिस्से हैं – प्रोपल्शन मॉड्यूल, विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर।
इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए तीन मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए थे । इसमें पहला लैंडर की चंद्रमा की सतह पर खाईयों व चट्टानों से बचाते हुये सुरक्षित और सावधानी पूर्वक उतराना कराना। दूसरा चंद्रमा पर रोवर की विचरण क्षमताओं का अवलोकन और प्रदर्शन। तीसरा चंद्रमा की संरचना को बेहतर ढंग से समझने और उसके विज्ञान को अभ्यास में लाने के लिए चंद्रमा की सतह पर उपलब्ध रासायनिक बडी  चुनौती थी कि इसको चंद्रमां की सतह पर सफलता से उतराना। इसके लिये भाअंअसं ,इसे २३ अगस्त को ३० किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा । उस समय इसकी गति १.६८ किलोमीटर प्रति सेकंड होगी।भाअंअसं की हर संभव कोशिश  इसकी  गति को कम करने पर होगा। क्योंकि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल भी इसमें भूमिका होगी। चंद्रयान को चंद्रमां पर उतारने के निर्णायक 17मिनट बेहद चुनौती पूर्ण होते हैं।  यदि हम उस गति को निर्णायक समय पर नियंत्रित नहीं किया  गया तो यह असफल हो कर दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है। इसी आशंका को दूर करने के लिये भाअंअसं ने विकल्प के रूप में यह भी निर्णय लिया था कि  यदि २३ अगस्त को इसको उतारने में  कोई भी तकनीकी मानक असामान्य आशंका लगेगी तो इसे 23 अगस्त के बजाय २७ अगस्त तक के लिए स्थगित किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-3 अभियान  मिशन चंद्रयान-2 की अगली कडी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलता पूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में रूकावट  के कारण सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास में विफल हो गया था, सॉफ्ट लैन्डिंग का पुनः सफल प्रयास करने हेतु इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था।

चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की काबिलियत प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान कार्यक्रम के दूसरे चरण में, इसरो ने एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर से युक्त लॉन्च वाहन मार्क -3 (एलवीएम 3) नामक लॉन्च वाहन पर चंद्रयान-2 लॉन्च किया। प्रज्ञान रोवर को तैनात करने के लिए लैंडर को सितंबर, 2019 को चंद्र सतह पर टचडाउन करना था।
इससे पहले चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर एक मिशन पर जापान के साथ सहयोग के बारे में रिपोर्टें सामने आई थीं, जहां भारत लैंडर प्रदान करता जबकि जापान लॉन्चर और रोवर दोनों प्रदान करने वाला था। मिशन में साइट सैंपलिंग और चांद पर रात के समय सर्वाइव करने की टेक्नोलॉजी शामिल करने की भी संभावनाएं थीं।
भाअंअसं के अनुसार चंद्रयान 3 प्रोपल्शन मॉड्यूल, जिसका उपयोग रिले उपग्रह के रूप में किया गया। प्रोपल्शन मॉड्यूल पर मौजूद स्पेक्ट्रो-पोलारीम…ऑफ हैबिटेबल प्लानेट अर्थ । प्रोपल्शन मॉड्यूल पर मौजूद स्पेक्ट्रो-पोलारीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लानेट अर्थ ।
इसका प्रोपल्शन मॉड्यूल, संचार रिले उपग्रह की तरह व्यवहार करेगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर युक्त ढांचे को तब तक अंतरिक्ष में धकेलता रहेगा जब तक कि अंतरिक्ष यान 100 किमी ऊंचाई वाली चंद्र कक्षा में न पहुँच जाए। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर के अलावा, चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय (स्पेक्ट्रल) और पोलारिमेट्रिक माप का अध्ययन करने के लिए स्पेक्ट्रो-पोलारीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लानेट अर्थ  नामक एक पेलोड भी ले जा रहा है।
लैंडर चंद्रयान-3 का लैंडर
लेन्डर पर मौजूद चंद्रा सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट
लेन्डर पर मौजूद चंद्रा सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट
लेन्डर पर मौजूद इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सेसमिक ऐक्टिविटी
लेन्डर पर मौजूद इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सेसमिक ऐक्टिविटी

भाअंअस के अनुसार चंद्रयान -2 की असफलता के बाद चंद्रयान’3 में काफी सुधार किया गया।
चंद्रयान-2 के विक्रम के विपरीत, जिसमें पांच 800 न्यूटन इंजन थे और पांचवां एक निश्चित थ्रस्ट के साथ केंद्रीय रूप से लगाया गया था। चंद्रयान-…

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