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कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा की आशाओं पर बज्रपात कर कांग्रेस ने लहराया परचम

उप्र निकाय चुनाव में भाजपा ने  किया विरोधियों का  सूपडा साफ

कर्नाटक में भाजपा  के पराजय का मुख्य कारण 

देवसिंह रावत

आज 13 मई 2023 को 10 मई 2023 को संपन्न हुये 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा का आम चुनाव  की मतगणना से आये परिणामों/रूझानों से जहां कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा की पुन्नः सत्तासीन होने की आशाओं पर बज्रपात करते हुये प्रांत में अपना परचम लहरा दिया है। चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस ने जहां कल विधायक मंडल दल की बैठक का आह्वान किया है। वही वर्तमान मुख्यमंत्री बोम्मई ने हार को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि हम हार की समीक्षा करेंगे।

कर्नाटक में हुई मतगणना के अनुसार  224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस -136, भाजपा-65, जनता दल सेकुलर-19, व अन्य को 4 सीटें मिली।
वहीं दूसरी तरफ उप्र में हुये निकाय चुनाव के परिणामों के अनुसार भाजपा ने सभी विरोधी दलों को धूल चढाते हुये अपना बर्चस्व बनााये रखा है।
भले ही आ जाए चुनाव परिणामों से देश की राजनीति पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ने वाला पर इन चुनाव परिणामों से देश में होने वाले 2024 की लोकसभा आम चुनाव में  कांग्रेस मजबूती के साथ विरोधी दलों को साथ लेकर भाजपा का मुकाबला करेगी। इसके साथ आने वाले 2024 तक की विधानसभा की चुनाव में भी  कांग्रेस का मनोबल बना रहेगा। भले ही वर्तमान में भाजपा की केंद्रीय अध्यक्ष नड्डा व कांग्रेस की केंद्रीय अध्यक्ष पर मलिकार्जुन खरगे विराजमान  है। परंतु यह जगजाहिर है कि असली मुकाबला भाजपा के आला नेतृत्व नरेंद्र मोदी व कांग्रेस के आलाकमान राहुल गांधी के बीच में ही हो रहा है। 2024 में भी इन्हीं दोनों के बीच मुकाबला होना तय है। वही उत्तर प्रदेश में सपा बसपा की तमाम दावों को दरकिनार करते हुए योगी आदित्यनाथ अपना वर्चस्व बनाए रखने में सफल रहे। कर्नाटक में भाजपा के खिलाफ व कांग्रेस के पक्ष में जनता का ऐसा स्पष्ट जनादेश था कि इस की आंधी में सत्तासीन भाजपा सरकार की 12 मंत्री भी चुनाव हार गए।
आज ही पंजाब की जालंधर लोक सभा सीट के लिए हुए उपचुनाव की मतगणना में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सुशील कुमार रिंकू विजय हुये।

उल्लेखनीय है कि इसी पखवाडे कर्नाटक विधानसभा के लिये 10 मई को मतदान हुआ था। इसके अलावा इसी पखवाडे उप्र में निकाय चुनाव के लिये विभिन्न चरणों में मतदान सम्पन्न हुआ। उप्र निकाय चुनाव में  नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव- 199 सीटें, नगर पंचायत अध्यक्ष  चुनाव- 544 सीट व नगर निगम मेयर की 17 सीटों पर चुनाव हुये थे।  उप्र क नगर निगम के मेेयर की 17 सीटों में से 17 सीटों पर  भाजपा ने  परचम लहराया। सपा व कांग्रेस वाले अपना खाता भी नहीं खोल पाये। इसी तरह नगर पालिका व नगर पंचायतों में भी भाजपा ने विरोधी दलों को धूल चटा दी है। इससे साफ हो गया कि उप्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यो का डंका लगातार बज ही रहा है। इस प्रकार के जनहित के कार्यों का डंका भाजपा शासित अन्य राज्यों में देखने को नहीं मिल रहा है। इसी कारण केंद्र की मोदी सरकार के युगांतकारी नेतृत्व का लाभ प्रदेशों के नक्कारा भाजपा नेतृत्व लेने में पूरी तरह असफल रहा। भाजपा को अगर 2024 की लोकसभाई जंग जीतनी है तो प्रांतों में मोहरे नक्कारे नेतृत्व को हटा कर जनहित में समर्पित साफ छवि के अनुभवी नेताओं को प्रातों की बागडोर सौंपनी चाहिये। तभी भाजपा आगामी 2024 की लोकसभा सहित विधानसभाओं की जंग जीत पायेेगी।कर्नाटक विधानसभा की  224 विधानसभा सीटें इस प्रकार से है। पुराना मैसूर की 64 सीटें, करावल तटीय 19 सीट, पुराना मैसूर 64 सीटें, मध्य कर्नाटक 23 सीटें,हैदराबाद कर्नाटक 40 सीट, महाराष्ट्र कर्नाटक 50 सीट व बेंगलुरु शहर 28 सीट है। करावल तटीय में भाजपा का परचम लहराया  पर पुराना मैसूर, हेदराबाद कर्नाटक, आदि में कांग्रेस ने भाजपा का सूफडा ही साफ कर दिया।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में  65.69 प्रतिशत मतदान हुआ। कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना 13 मई की गयी। भले ही भाजपा और कांग्रेस दोनों दल राज्य में पूर्ण बहुमत वाला जनादेश अर्जित कर सरकार बनाने का दावा कर रहे है। परन्तु चुनाव परिणाम ने एक प्रकार से मतदान के बाद खबरिया चैनलों द्वारा किये गये मतदान आंकलन के अनुसार कांग्रेस कर्नाटक में बाजी मार रही थी। परन्तु इसके बाद भी भाजपाई अपनी जीत के दावें कर रहे थे। अधिकांश खबरिया चैनलों ने कांग्रेस को बहुमत मिलने का आंकलन किया था। इन आंकलनों पर चुनाव मतगणना   के परिणामों ने एक प्रकार से मुहर लगा दी है।
परंतु मतदान के बाद खबरिया चैनलों द्वारा मतदान के बाद के सर्वेक्षण एग्जिट पोल के अनुसार कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी सत्तारूढ़ भाजपा की बजाय कांग्रेस बनकर उभर रही है। नवभारत टाइम्स नाउ खबरिया चैनल के अनुसार कॉन्ग्रेस को 106-120 सीटें मिल सकती है वहीं भाजपा 78-92 पर, जनता दल सेकुलर को 20 से 26 सीटें व अन्य को 2 से 4 सीटें मिलने का अनुमान है। टाइम के अनुसार कांग्रेस को 40.9ः भाजपा को 30.7 प्रतिशत जनता दल सेकुलर को 16.1 व अन्य को 6.3 %जनादेश मिलने के आसार हैं।
वहीं Tv9 खबरिया चैनल के अनुसार कांग्रेस 99 से 109, भाजपा 88-98, जनता दल सेकुलर 21-26 व अन्य को जीरो से 0-4 सीटें मिलने के आसार हैं।
दूसरी तरफ इंडिया टीवी के एग्जिट पोल के अनुसार कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को फिर से सता मिलने के आसार नहीं है कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सत्तासीन हो सकती है। मध्य कर्नाटक में भाजपा को नुकसान हो सकता है।
वहीं एबीपी खबरिया चैनल के अनुसार कांग्रेस कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सत्तासीन होगी। कांग्रेस को 100-112, भाजपा को 83 से 95 सीटें जनता दल सेकुलर को 21 से 29 व अन्य को 2से 6 सीटें मिलने के आसार है।
वही खबरिया चैनल न्यूज 18 इंडिया के अनुसार कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे कि उसे 102 भारतीय जनता पार्टी को पहचान 90 जनता दल सेकुलर को 24 अन्य को 3 सीटें मिलने के आसार हैं।
सब अनुमानों की तरह ही आज तक खबरिया चैनल एग्जिट पोल के अनुसार कॉन्ग्रेस की सत्तासीन होने के पूरे आसार प्रकट किये गये। इसको 122 से 140 भाजपा को 62 से 80 जनता दल सेकुलर को 20 से 25 व अन्य को सुनने से 3 सीटें मिलने के आसार हैं।

परंतु न्यूज नेशन ने भारतीय जनता पार्टी को 114 कांग्रेस को 86 जनता दल सेकुलर को21 व अन्य को 3 सीटें मिलने के आसार प्रकट किये। वही रिपब्लिक टीवी में भी कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी यानी 94 से 108, भाजपा को 85 से 10,0 जनता दल सेकुलर को 24 से 32 व अन्य को 2से 6 सीटें मिलने के आसार प्रकट किया।
तमाम खबरिया चैनलों कि मतदान की बात की गई रुझानों के आकलन के अनुसार भारतीय जनता पार्टी हिमाचल की तरह ही कर्नाटक में फिर से सत्तारूढ़ होने में असफल रहेगी। विशेषज्ञों की इस धारणा पर आज निकले चुनाव परिणामों ने मुहर लगा दी है। इसके साथ ऐसा प्रतीत होता है कि कर्नाटक में कांग्रेस ने जनता को भरोसा दिलाने में सफलता अर्जित कर ली है तथा जनता ने भारतीय जनता पार्टी सरकार की तमाम विफलताओं से नाखुश होकर कांग्रेस को अवसर देने का मन बना लिया है। शायद जन भावनाओं  का आकलन करके ही भाजपा  के कई वरिष्ठ नेता चुनाव की रणभेरी बजने के बाद कांग्रेस में सम्मलित हो गए थे। भाजपा की असफलता का मुख्य कारण यह नजर आ रहा है कि केंद्र में मोदी अमित शाह की जोडी की तरह उत्तर प्रदेश व असम जैसे राज्यों को छोड़कर अन्य भाजपाई शासित राज्यों  के मुख्यमंत्री जनता का विश्वास जीतने में बुरी तरह से असफल रहे। इसी कारण जनता भले ही मोदी से नाराज ना भी हो परंतु प्रांतीय नेतृत्व की अक्षमता के कारण वह भारतीय जनता पार्टी को जनादेश देने से कतराती है।

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