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रामनवमी आदि पर्वों पर हिंसा के लिये जिम्मेदार है अंध तुष्टीकरण में लिप्त राष्ट्रघाती संकीर्ण राजनीति

75 साल पहले धार्मिक उन्माद के कारण हुये देश का रक्तरंजित बंटवारे के बाबजूद भारत में कैसा इलाकाबाद व असहिष्णुता?

देवसिंह रावत-
30 मार्च 2023 को रामनवमी के पावन पर्व पर निकाली गयी भगवान राम की शांतिपूर्ण शोभायात्रा पर   कई राज्यों में पत्थराव, हिंसा, आगजनी सहित भारी हिंसक घटनाओं की खबरें आयी।  रामनवमी के दिन महाराष्ट्र, बंगाल, गुजरात, उप्र सहित देश के कई शहरों में उपद्रव व हिंसा होनेे की खबरें है। पुलिस व जलूस पर पत्थरबाजी के साथ आगजनी की घटनाओं से रामनवमी के पावन पर्व को कलंकित करने का काम किया गया।
देश के लोग हैरान  है कि आखिर क्या कारण है कि धार्मिक उन्माद /कट्टरपन के कारण जिस देश के बलात हुये विभाजन में 20 लाख से निर्दोष लोगों का निर्ममता से कत्लेआम किया गया। लाखों परिवार उजड गये। उस देश में 75 साल बाद भी इसी प्रकार के धार्मिक उन्माद फिर कैसे सर उठा रहा है व वजूद में है। 75 साल से देश की दर्जनोें सरकार सत्तासीन रही। परन्तु किसी ने भी इस गंभीर समस्या के समाधान करने के बजाय मात्र देश  की सत्ता के बंदरबांट करने में ही देश का बहुमूल्य समय   नष्ट किया। देश में सबसे गंभीर सवाल यह है कि यह दंगे केवल हिंदुओं के पर्व पर एक धर्म के मतालम्बियों द्वारा पत्थराव, आगजनी व हिंसा क्यों की  जाती है। प्रशासन हर साल होने वाले ऐसी घटनाओं के गुनाहगारों को जमीदोज करने के बजाय अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिये धार्मिक कटरपंथियों की मंशा को मजबूती देने वाला इलाकाबाद क्यों बांटती  है। होना तो यह चाहिये कि हर धर्म संप्रदाय के लोग अपने धार्मिक पर्व को शांतिपूर्ण ढंग से मनाये। एक दूसरे के पर्व का सम्मान करने के बजाय पत्थराव व आगजनी हिंसा करना नितांत अपराधिक कृत्य व देशद्रोही कृत्य है। पर्व मना रहे समाज का भी यह दायित्व होना चाहिये कि वह इस पर्व पर खासकर जलूस के मार्ग पर उकसाने वाले कृत्य किसी भी सूरत में न करें। ऐसे कृत्यों में लिप्त लोग देश व समाज के दुश्मन होते  है। हाॅ एक बात साफ है कि पुलिस प्रशासन अपराधिक तत्वों पर अंकुश लगाने के बजाय इलाकाबाद को हवा देकर कट्टरपंथियों को ही मजबूत करती है। इस अवसर पर शोभायात्रा के मार्ग ऐसे हो जिससे आम जनता को परेशानी न हो। होना तो यह चाहिये कि ऐसे उत्सव किसी विशाल मैदान में किये जांये। सबसे हैरानी की बात यह है कि जिन घरों व स्थलों से पत्थराव किया जाता है, उनको उसी समय या कानून के अनुसार ठीक ऐसा ही जमीदोज करना चाहिये जिस प्रकार से उप्र में योगी  राज में माफिया/दुर्दांत अपराधियों पर की जा  रही कार्यवाही के दौरान  किया जा रहा है। ऐसी तमाम बस्तियों को भी ढाह देना चाहिये जहां से इस प्रकार से पत्थराव व दंगे होते है। ऐसी बस्तियों पर सामुहिक जुर्माना व उनके नागरिक अधिकारों पर अंकुश लगाने का काम करना चाहिये। यह बहाना भी नहीं चल सकता है कि जुलूस के मार्ग पर दूसरे धर्म के पावन स्थल के समक्ष किसी ने भडकाऊ बयान दिये या संगीत बजाया तो इससे आक्रोशित हो कर दूसरे समाज ने हिंसा की।
आखिर ऐसी हिंसा तब क्यों नहीं होती है जब अन्य का पर्व व उत्सव होता है। क्या शांतिपूर्ण ढंग से अपने धार्मिक उत्सव मनाने वालों पर हर बार पत्थराव क्यो? ऐसे तत्वों को कड़ी सजा क्यों नहीं। इसके साथ राजनैतिक दलों को यह बात समझ लेनी चाहिये कि देश में इलाकावाद नहीं चलेगा। जो लोग इलाकाबाद में विश्वास करते थे उन्होने अलग देश मांग लिया। अब इस देश में सबने मिल कर रहना है। पूरा देश सबका है। धार्मिक आधार पर किसी का अंध तुष्टिकरण व दमन कतई स्वीकार नहीं। परन्तु देश की  राजनैतिक दलों ने अपनी अंध सत्तालोलुपता के लिये देशहितों को  सदैव रौंदने का काम किया।  इन्होने 75 साल से देश के आम नागरिक को भारतीय बनाने के बजाय जाति व धर्म की संकीर्ण गर्त में बांट दिया है। ये दल देश के हितों के पोषण के बजाय अपराधियों, देशद्रोहियों व भारत विरोधी तत्वों का शर्मनाक पोषण व संरक्षण दे रहे है। जो दल  देश के विभाजन के लिये सबसे बडे गुनाहगार थे उन दलों के नाम व उनके मिलते जुलते नामों से देश में राजनीति करने की इजाजत कैसे? इसके साथ देश में धार्मिक व जाति के आधार पर विधानसभा/लोकसभा के टिकट व मंत्री मण्डल बनाने वाले भी देश के गुनाहगार है। जिस प्रकार की भाषा व शासन  पूर्व में उप्र, असम, जम्मू कश्मीर, बिहार  आदि प्रदेश में चल रहा था उसी प्रकार का शासन बंगाल व दिल्ली में भी चल  रहा है। ऐसी प्रवृति पर जब तक अंकुश नहीं लगाया जायेगा, देश तब तक ऐसी भीषण त्रासदी से नहीं उबर पायेगा। 75 साल से हम देश को अपनी भारतीय भाषायें, नाम,न्याय व संस्कृति के साथ इतिहास तक नहीं दे पाये। देश के राजनैतिक दल अपनी सत्तालोलुपता के लिये जाति व धर्म का उन्माद फैलाते हैं। परन्तु देश को कैसे मजबूत बनाना उस पर काम करने के लिये उनके पास समय तक नहीं है। इसी कारण आज भारत में भारत विरोधी तत्व कश्मीर, पंजाब, बंगाल सहित देश के कोने कोने में सर उठा रहे हैं।
ऐसा नहीं कि यह मामला केवल रामनवमी के जुलूस के कारण हुआ। अपितु मामला दुर्गा पूजन का हो या गणेश उत्सव या माता जागरण या रामलीला आदि सभी पर्व पर पत्थराव क्यों? क्या देश का विभाजन का दंश सहनेवाले देश में फिर वही कट्टरता व धार्मिक उन्माद कैसे स्वीकार किया जा सकता। इतनी सहिष्णुता तो लोकशाही में रहने वाले देश के नागरिकों में होनी चाहिये। जब तक सरकार चीन, इजराइल, रूस की तर्ज पर देश की अमन चैन व शांति को भंग करने वाले तत्वों पर कडाई से अंकुश् नहीं लगायेंगें तब तक ये ऐसा ही तांडव करते रहेंगे।
रामनवमी से पहले ही 29  मार्च यानि बुधबार की रात औरंगाबाद जिले के किरदपुर इलाके में दो लोगों के बीच हुये झगडा इतना बढा की दोनों तरफ से पत्थराव हो गया। इस झडप में हिंसक भीड़ ने छत्रपति संभाजीनगर में राममंदिर के बाहर कई बाहनों में आग लगा दी। सैकडों लोगों द्वारा अचानक किये गये पत्थराव में एक दर्जन पुलिस कर्मी सहित अनैक लोग घायल हो गये।रामनवमी के दिन देश के विभिन्न हिस्सों में अमन चैन  के दुश्मनों ने रामनवमी के जलूस पर पत्थराव किया। अपराधिक तत्वों पर अंकुश लगाने के बजाय बंगाल की मुख्यमंत्री धरना दे रही थी और पहले ही कह रही  थी कि जुलूस मत निकालिये, मुसलमानों के इलाके से न निकलो। कुछ ही घटना होगी तो उसकी जिम्मेदारी जुलूस निकालने वाले लोगों के साथ भाजपा की होगी। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  का यह बयान आग में घी का काम किया कि रमजान के महिने मुस्लिम कभी  गलत काम नहीं कर सकते है।
बंगाल में  हावडा,जिले में भारी हिंसा हुई। कई बाहनों को आग के हवाला कर दिया। अनैक दुकानों व बाहनों में भारी तोडफोड की गयी। सके साथ बंगाल के ही डलखोला शहर  में में हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गयी। दिनाजपुर में भी हिंसक घटनायें हुई। मुख्यमंत्री बनर्जी ने बिना जांच के इन घटनाओं में हुई हिंसा के लिये भाजपा को जिम्मेदार बताया। वहीं भाजपा नेता सुभेंद्र अधिकारी ने इस हिंसा के लिये ममता बनर्जी की अंध तुष्टीकरण को जिम्मेदार बताया।
देश के प्रधानमंत्री मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में बडोदरा में रामनवमी के जुलूस पर आसामाजिक तत्वों ने छतों से अचानक पत्थरबाजी करने से भारी भगदड मच गयी। उपद्रवियों ने आगजनी, तोडफोड व हिंसा का तांडव मचाया। पुलिस भी बडी कोशिश के बाद स्थिति पर नियंत्रण कर पायी। इस हिंसा के लिये पुलिस ने दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया।वहीं उप्र में मथुरा के बाजार  व लखनऊ में भी रामनवमी के पर्व पर झडपें हुई।
मुम्बई में भी रामनवमी के जुलूस पर झडपें हुई। संभाजी नगर में रामनवमी के दिन हिंसक घटनाओं से लोग स्तब्ध हैं।
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा की नकली शिवसेना के राज में ऐसा ही होगा।
वहीं कांग्रेसी नेता व देश के प्रतिष्ठित अधिवक्ता मनु सिंघवी ने कहा कि दंगे कभी होते नहीं अपितु कराये जाते हैं। सभी को मालुम है कि दंगे कराने की महारथ किसको है। वहीं गुजरात के गृहमंत्री हर्ष सांधवी ने कहा कि गुजरात में दंगा कराने वालों को ऐसी सजा दी जायेगी कि वे कभी पत्थर की तरफ देखेंगे भी नहीं।
जानकीपुरम, लखीसराज में भी हिंसक झडप की खबरें हैं।
वहीं रामनवमी के उत्सव के जुसूस  में मंुगेर में हंगामा व झडप हुई।
वहीं धार्मिक उन्माद की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र हेदराबाद में भी विरोधी पक्ष का आरोप है कि एक मस्जिद के सामने एक नेता ने उकसाने वाला बयान  दिया। भाजपा के निलंबित विधायक टी राजा सिंह ने रामनवमी के जुलूस में कहा कि एक धक्का दिया तो अयोध्या में श्रीराम मंदिर बना। अब एक और धक्का देंगे तो मथुरा व काशी में भी भव्य मंदिर बनेगा।  इसके बाबजूद हैदराबाद में स्थिति नियंत्रण में रही।
वहीं महाराष्ट्र के जलगांव में मस्जिद के बाहर मात्र संगीत बजाने पर हिंसक तत्व हिंसा पर उतर आये। इसके बाद चार दर्जन हिंसक लोगों को गिरफ्तार करने से प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण में लिया।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री ने इन घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। वहीं उप्र के मुख्यमंत्री ने पुलिस प्रशासन को एक भी दोषी बचने न पाये का साफ निर्देश देते हुये चेतावनी दी कि प्रदेश का अमन चैन नष्ट करने वाले तत्वों को प्रदेश में कोई जगह नहीं है।
दिल्ली में रामनवमी के पर्व पर जुलूस निकाले गये। सबसे गहमागहमी रही जहांगीरपुरी जहां रामनवमी के पर्व के अवसर पर ही हिंसक घटनायें हुई थी। पुलिस प्रशासन ने उन हिंसक व देश विरोधी तत्वों पर कडा अंकुश लगाने के बजाय अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिये जहांगीरपुरी में रामनवमी के पावन पर्व के जुलूस पर ही प्रतिबंध लगा दिया। इस कारण जनता में भारी आक्रोश व निराशा थी। क्योंकि यह जग जाहिर है कि दिल्ली में भले ही नगर निगम व राज्य सरकार में आम आदमी पार्टी यानि केजरीवाल का एकक्षत्र राज है परन्तु इसके बाबजूद यहां पुलिस केंद्र सरकार यानि गृहमंत्री अमित शाह के आधीन है। इसलिये लोग हैरान व आहत थे कि भाजपा खुद को रामभक्त दल बताती है परन्तु रामनवमी के पर्व पर दंगाईयों पर कडा अंकुश लगाने के साथ पीडित हिंदू समाज को बिना भय के अपने धार्मिक पर्व मनाने की इजाजत तक नहीं दे पायी। दंगाईयों की इतनी हिम्मत नहीं होनी चाहिये थी कि वह किसी के भी पर्व पर पत्थराव/ हिंसा करने की सोच भी पाये। परन्तु केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री पद पर मोदी व गृहमंत्री के पद पर अमित शाह के आसीन होने के बाबजूद दिल्ली पुलिस ने कैसे रामनवमी के पावन पर्व पर सनातनियों को अपना शांतिपूर्ण जुलूस तक निकालने की इजाजत नहीं दी। हालांकि इसी से आ़क्रोशित सनातनियों ने जहांगीरपुरी में पुलिस की इजाजत के बिना भी जुलूस निकाला। हालांकि यह यात्रा शांतिपूर्ण रही। परन्तु लोगों में इस जुलूस को इजाजत न देने वाली दिल्ली पुलिस के आकाओं यानि केंद्र सरकार में सत्तासीनों के खिलाफ आक्रोश था।
कुल मिला कर देखा जाय तो ये उपद्रव केवल असहिष्णुता व धार्मिक उन्माद के कारण फैल रहा है। इस पर अंकुश लगाने के बजाय देश की राज्य व केंद्र की सरकारें अपनी सत्तालोलुपता व दलीय स्वार्थों के हिसाब से केवल पर्दा डालने का काम कर रहे है। देश फिर से 1947 के उन्मादी विषाक्त भंवर में न फंसे इसका तुरंत समाधान खोजना होगा। अन्यथा देश निरंतर इसी प्रकार की त्रासदियों में बर्बाद होता रहेगा।

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