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दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 में भाजपा को पछाड़कर आप ने लहराया परचम

250 सदस्यीय दिल्ली नगर निगम के परिणाम घोषित

  आप-  134 ,भाजपा-104  ,कांग्रेस- 9  व अन्य-3
देवसिंह रावत
4 दिसम्बर 2022 को दिल्ली नगर निगम के 250 पार्षद के हुये चुनाव की मतगणना के परिणाम आज सुबह घोषित किये गये। इन परिणाम के अनुसार 250 सीटों वाली दिल्ली नगर निगम के चुनाव 2022 में  आप 134, भाजपा 104, कांग्रेस 9 व अन्य को 3सीटें मिली। इस प्रकार दिल्ली नगर निगम में इस बार का परचम लहरायेगा। हालांकि चुनाव मतगणना से पहले भारतीय जनता पार्टी यह दावा करती रही कि मेयर भारतीय जनता पार्टी का ही होगा। परंतु चुनाव परिणाम से भारतीय जनता पार्टी का यह दावा आज के दिन न्याय उचित नहीं लगता। हो सकता है कुछ समय बाद में भारतीय जनता पार्टी अन्य राज्यों की तरह दिल्ली नगर निगम में भी भारी संख्या में दलबदल कराकर यहां अपना परचम लहरा दे।
विजेता उम्मीदवारों में गीता कॉलोनी से नीमा भगत, मोहनी से रितु गोयल, सुल्तानपुरी से बॉबी किन्नर, दिलशाद कॉलोनी से प्रीति, सदर से उषा शर्मा, पहाड़गंज से मनीष चड्ढा, विनोद नगर से रवि नेगी, पांडव नगर से यशपाल कैंतूरा, दिलशाद गार्डन से वीर सिंह पवार, संत नगर बुराड़ी से रूबी रावत, आनंद विहार से मोनिका पंत, सादतपुर से नीतू बिष्ट,आदि प्रमुख रहे।
दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 की मतगणना आज 7 नवम्बर को प्रातः 8 बजे से प्रारम्भ हुई। चुनाव आयोग द्वारा 4 नवम्बर को घोषित किये गये दिल्ली नगर निगम चुनाव की मतगणना से पहले ही मतदान आंकलन यानि एग्जिट पोलों के अनुसार दिल्ली में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिलने के साफ संकेत दिये जाने से आम लोगों की धारणा बन गयी कि  इस बार दिल्ली नगर निगम में  आम आदमी पार्टी का परचम लहरायेगा और भाजपा 80 सीटों तक सिमटने के आसार लग रहे थे।  इसके साथ कांग्रेस के सफाये की भी आशंका तय मानी जा रही थी। इस जीत के लिये आप पार्टी भी इतनी आश्वस्त थी कि चुनाव मतगणना के पहले घण्टे में ही आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के आवास पर फूलों की होली खेलने या फूलों से जश्न मनाने के लिये फूलों की गठरियां पंहुच गयी थी। परन्तु जैसे ही आज सुबह मतगणना हुई उसमें आप पहले बडी तेजी से बढ़ती नजर आयी परन्तु इसके बाद एक घण्टे के अंदर ही भाजपा ने सभी चुनाव मतदान आंकलन को दर किनारे करके आप को कडी टक्कर देते हुये सभी 250 सीटों के प्रारम्भिक रूझानों में आाप 125 भाजपा 118 कांग्रेस 6 व अन्य 1 बढता आयाा। वहीं चुनाव आयोग ने भाजा को 79 स्थानों में बढत बनाती दिखाई वहीं आप 45 के करीब स्थानों पर बढत बनाये हुये दिखी।  रूझानों में एक बार पुन्न भाजपा व आप 122-122 सीटों व कांग्रेस 6 पर बढत बनाते दिखी। वहीं चुनाव आयोग द्वारा प्रातः 9.36 बजे जारी किये गये मतगणना बढत के आंकडों के अनुसार 107 पर भाजपा व 95 पर आप  व 9 सीटों पर कांग्रेस को आगे दिखाया गया। इस प्रकार से दिल्ली नगर निगम के के चुनाव में भाजपा व आप में कांटे की टक्कर दिख रही है। चुनाव आयोग के अनुसार 250 सीटों वाली दिल्ली नगर निगम की मतगणना में प्रातः दस बजे पहली बार आप को बढत मिली। आप-113, भाजपा 106 व 9 सीटों पर बढ़त है।
दोपहर 12:00 तक साफ हो गया कि  दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी का ही परचम लहरायेगा।  अब तक मिले 162 चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी 70 आम आदमी पार्टी 87 व कांग्रेस 4 सीटों जीत चुकी और जिन सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं उसके अनुसार आम आदमी पार्टी 130 भाजपा 106 व कांग्रेस चार स्थानों पर बढ़त बनाई हुई है।
दोपहर 2:00 तक आये चुनाव परिणाम के अनुसार आम आदमी पार्टी 122, भाजपा 99 व कांग्रेस 7 स्थान जीत चुकी थी। बढ़त के हिसाब से आम आदमी पार्टी 131 भारतीय जनता पार्टी 106, कांग्रेस 8 व अन्य 5 स्थानों पर बढ़त बनाए हुए है। अब तक 2:15 बजे खबरिया चैनलों के अनुसार घोषित परिणाम में आम आदमी पार्टी 131 स्थानों पर विजय रहकर दिल्ली नगर निगम में पूर्ण बहुमत हासिल कर चुकी है।
अब तक मिले अंतिम परिणाम से पहले  रुझान के अनुसार आम आदमी पार्टी 134, भारतीय जनता पार्टी 103 कांग्रेस 10 व अन्य 3 स्थान  जीत सकते हैं।
और अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री मान के साथ अपने घर से कार्यालय पहुंचे गए हैं। जहां कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है और आम आदमी पार्टी ने नया नारा दिल्ली के लिए दिया है “अच्छे रहेंगे 5 साल एमसीडी में भी केजरीवाल”।
दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणामों के रुझानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि सबसे छोटी पार्टी ने सबसे बड़ी पार्टी को पराजित कर दिया है अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है और अब मेयर आम आदमी पार्टी का ही बनेगा।
वही रुझानों व अब तक आये चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ने के बावजूद दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता  ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत की आशा नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि अंतिम चुनाव परिणाम आने तक मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय जनता पार्टी ही इन चुनाव में विजय होगी । आप पार्टी झूठी पार्टी है और लोगों को भ्रमित करते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली नगर निगम की 250 सीटों में अनुसूचित जाति के लिए 42 वार्डों की आरक्षित किया गया। इसमें 21 सीटों पर अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है।शेष 104 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। इस प्रकार महिलाओं को 50 प्रतिशत  सीटों पर आरक्षण दिया गया है। दिल्ली नगर निगम के लिए दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में 1.46करोड़ मतदाता हैं। इनमें 4 नवम्बर को हुये मतदान में दिल्ली के आधे मतदाताओं ने मतदान नहीं करने से सत्तारूढ भाजपा के हाथ से दिल्ली नगर निगम छिटकने के आशंका प्रबल हो गयी। चुनाव आयोग द्वारा जारी चुनावी कार्यक्रम के अनुसार ही दिल्ली नगर निगम के चुनाव में मतदान 4 दिसम्बर 2022 व मतगणना 7 दिसम्बर 2022 को गुजरात व हिमाचल विधानसभा चुनाव परिणामों के 1 दिन पहले ही घोषित किये गये। दिल्ली नगर निगम के चुनावों को निष्पक्ष व शांतिपूर्ण ढंग से सुचारू कराने के लिए चुनाव आयोग ने 13665मतदाता केंद्र बनाये गये।  इस चुनाव के लिए दिल्ली में 213 मतदाताओं की उम्र 100 साल से अधिक थी।
दिल्ली नगर निगम चुनाव चुनाव में दिल्ली वासियों के बीच मोदी सरकार के नाक के नीचे भाजपा को चुनौती देने वाली पकड़ बनाने के पीछे कारणों को उजागर करते हुये हमने मत परिणाम आंकलन यानि एग्जिट पोल के उजागर होने पर टिप्पणी करते हुये यह दृष्टिकोण लिखा  था कि
7 दिसम्बर को दिल्ली नगर निगम व 8 दिसम्बर को गुजरात व हिमाचल विधानसभा चुनाव की मतगणना होगी। परन्तु 5 दिसम्बर को अधिकांश खबरिया चैनलों द्वारा इन चुनावों में सम्पन्न हुये मतदान के बाद मत परिणाम का आंकलन, जिसे एग्जिट पोल के नाम जाना जाता है, को जारी किये जाने पर राजनैतिक जगत में हडकंप सा मच गया है। गुजरात व हिमाचल के बारे में अधिकांश जमीनी राजनीति के मर्मज्ञों को पूर्वाकलन था कि गुजरात में भाजपा व हिमाचल में कांग्रेस की सत्तासीन होने की प्रबल संभावनाये है। वहीं दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणाम के बारे में यह साफ था कि दिल्ली में भाजपा बहुत मुश्किल से अपनी सत्ता बचा पायेगी। क्योंकि दिल्ली में भाजपा को दिल्ली राज्य की सत्ता पर एक दशक से आसीन केजरीवाल के नेतृत्व में आसीन आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलने के आसार थे। परन्तु दिल्ली नगर निगम के चुनाव को करीब से देख रहे मर्मज्ञों का मानना था कि इस बार भाजपा का दिल्ली नगर निगम का अभेद किला गुजरात का किला बचाने के चक्कर में बलि चढा दी। गुजरात में जो अप्रत्यक्ष सहयोग आप ने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने में मदद दी, शायद उसका नजराना भाजपा आप को दिल्ली नगर निगम दे कर चूकता करने का मन बना चूकी थी। इसी कारण दिल्ली नगर निगम के चुनाव प्रचार में भाजपा का आला चुनावी नेतृत्व मोदी, शाह व योगी इससे दूर रहे। तीनों नेता गुजरात व हिमाचल में चुनाव प्रचार तक सीमित रहे। भाजपा नेतृत्व को केंद्रीय सूत्रों से जनता के इस रूझान का पूर्वाभास था, शायद इसी को भांपते ही भाजपा नेतृत्व ने किसी भी सूरत में अपना गुजरात का सर्वोच्च किला बचाने की रणनीति बनायी। वेसे अगर हिमाचल में वीरभद्र जैसा मजबूत नेता कांग्रेस के पास होता तो भाजपा हिमाचल में मुह की खाती। परन्तु वीरभद्र के अभाव का लाभ भाजपा हिमाचल में भी उतराखण्ड विधानसभा चुनाव की तरह यहां भी हारी बाजी जीत सकती है। वेसे चुनाव परिणाम के बाद ही परिणामों का सही आंकलन होगा। वेसे मोदी व शाह की युगल जोड़ी के रहते हुये कहीं के भी चुनावी समर के बारे में पहले परिणामों में भाजपा को हारा हुआ मानना एक प्रकार से नासमझी ही होगी।
इसके साथ  दिल्ली नगर निगम में भाजपा द्वारा साफ छवि के जगदीश मंमगाई  जैसे जानकार व साफ छवि के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनारे  करके हवाबाज व दिल्ली की जमीनी राजनीति से अनजान नेताओं को कमान सोंपने के कारण भाजपा जनता का विश्वास जीतने में असफल रही। इसके साथ सत्तारूढ भाजपा इस चुनाव में अपने दो दशक के बेहतरीन उपलब्धियों व नयी जनकल्याण की योजनाओं को जनता के समक्ष रखने में पूरी तरह असफल रही।  प्रदेश की जनता भाजपा द्वारा चुनाव प्रचार के नाम पर केवल दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री केजरीवाल व उसके मंत्री आदि नेताओं के कृत्यों पर कड़ी कार्यवाही करने के बजाय केवल हवाई प्रहार करना भी जनता को भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा की लडाई भी छदम लगी। शराब आदि घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल व कार्यकारी मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया आदि नेताओं पर हवाई प्रहार कर उनका जानबुझ कर छदम कद बढाया कर गुजरात, हिमाचल व दिल्ली के मतदाताओं को भ्रमित किया गया कि मानो मुख्य मुकाबला भाजपा व आम आदमी पार्टी के बीच में है। कांग्रेस कहीं मुकाबले में नहीं है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि गुजरात व हिमाचल में सत्तारूढ भाजपा का किला ढहाने के करीब कांग्रेस मजबूती से भाजपा को चुनौती दे रही थी। इसी भ्रम में भाजपा से नाराज मतदाता भाजपा के चक्रव्यूह व कांग्रेस के मजबूत नेतृत्व के अभाव में या तो घर में बैठे रहे या आप के पाले में चले गये। जिसका लाभ भाजपा को ही गुजरात व हिमाचल में हुआ। भले ही केजरीवाल को भी गुजरात व हिमाचल में कहीं भी मतदाताओं का मन नहीं जीत पाये हो परन्तु वे ऐसी शेखी बखान कर रहे थे कि मानों गुजरात में वे ही फतह कर रहे है। वहीं दिल्ली सरकार में जहां जनता को केजरीवाल के तमाम विफलताओं व भ्रष्टाचार में लिप्त गतिविधियों के बाबजूद भाजपाई व कांग्रेसी नेताओं की तुलना में बेहतर लगी।
वेसे मतदान से पहले अधिकांश चुनावी विशेषज्ञ संस्थान व खबरिया जगत एक प्रकार से जो भी आंकलन देते है वह एक प्रकार से व्यवसायिक समझा जाता है। परन्तु मतदान के बाद मत परिणाम आंकलन यानि एग्जिट पोल प्रायः इन संस्थानों द्वारा अपने आप को निष्पक्ष रखने व चेहरा साफ करने का ही कृत्य माना जाता। हां अपवाद के रूप में चंद ऐसे भी संस्थान होते हैं जो अपने दुराग्रह व व्यवसायिकता को भी मत परिणाम आंकलन में भी वरियता देते है। यह सत्तारूढ दल को अपनी तिकडम को न्याय संगत सिद्ध करने के लिये सहायक भी होता है।
दिल्ली नगर निगम के मत परिणाम आंकलन (एग्जिट पोल) के अनुसार दिल्ली के पोने दो करोड़ मतदाताओं में से केवल आधे मतदाताओं ने 250 पार्षदों के चुनाव के लिये अपना मतदान किया। इससे जनता की उदासीनता साफ इजहार होती है।दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 के 250 सीटों पर मत परिणाम आंकलन (एग्जिट पोल)
संस्थान                 भाजपा            कांग्रेस     आप        अन्य
आजतक एक्सिस           69-91           3-7      149-171    5-9
माय इंडिया संस्थान
टाइम्स नाउ इजीटी       84-94             6-10     146-156   0-4जी न्यूज बीएआरसी       82-94             8-14     134-146दी न्यूज एक्स            70-92             4-7      150-175गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम के होने वाले चुनावों में जहां सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी थी। उसे दिल्ली नगर निगम में दशकों से चले आ रहे अपने अभेद किले की रक्षा कर सत्ता में पुन्नः वापसी करनी है। दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भाजपा का मुख्य मुकाबला दिल्ली प्रदेश की सत्ता में एक दशक से आसीन आम आदमी पार्टी व कई दशक तक देश दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली पार्टी कांग्रेस से है। पर कांग्रेस की पकड अब कमजोर नेतृत्व व संगठन के कारण देश व दिल्ली में धीरे धीरे कम हो गयी हैै।
भले ही दिल्ली प्रदेश की सत्ता में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सत्तासीन है परन्तु देश की राजधानी दिल्ली में होने के कारण दिल्ली सरकार के पास पुलिस, जमीन आदि महत्वपूर्ण विभाग नहीं है। यहां की असली प्रशासनिक शक्ति उप राज्यपाल के नाम पर केन्द्र सरकार के पास है। वहीं दिल्ली सरकार से अधिक ताकतवर व जनसेवा का कार्य शक्ति दिल्ली नगर निगम के पास है। दिल्ली सरकार एक प्रकार से  नाम मात्र की है, यहां पर दिल्ली सरकार से कई गुना अधिक असली ताकत केंद्र सरकार व दिल्ली नगर निगम के पास है। इसीलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल कभी दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग की रट्ट लगाते तो कभी दिल्ली नगर निगम पर आसीन होने के लिए तमाम तिकडम करते नजर आते हैं। क्योंकि केजरीवाल भी जानते हैं कि वह आम आदमी पार्टी के दम पर देश की सत्ता में काबिज होने अभी उसके लिए असंभव कार्य है। इसीलिए वह दिल्ली नगर निगम में काबिज होने के लिए छटपटाहट करते है। परन्तु केजरीवाल की इस मंशा को भांप कर ही केंद्र सरकार में आसीन भाजपा ने दिल्ली नगर निगम का एकीकरण करके केजरीवाल की इस मंशा पर पानी फेर दिया। भले ही चुनाव की विधिवत घोषणा सायंकाल चुनाव आयोग ने की परन्तु भाजपा ने इन चुनाव में पुन्न सत्तासीन होने के लिए आज सुबह पौने बारह बजे ही दिल्ली प्रदेश भाजपा मुख्यालय में दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता की उपस्थिति में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने चुनावी कार्यालय का शुभारंभ भी कर दिया। इससे दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने हजारों झुग्गी वासियों को मकान प्रदान करते हुए  उन्हें विश्व महामारी के दौरान महिनों तक निशुल्क राशन प्रदान करने का भी स्मरण कराया था। इन सब उपलब्धियों के बाबजूद दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा के लिए चुनावी जंग जीतना कोई आसान खेल नहीं है। देश की आम जनता की तरह दिल्ली की जनता भी मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार व कुशासन से त्रस्त है। आम आदमी पार्टी भले ही गुजरात व हिमाचल में उतराखण्ड व उप्र की तरह अपना वजूद न दिखा पाये परन्तु दिल्ली नगर निगम में वह भाजपा को कड़ी चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोडेगी। वहीं कांग्रेस पार्टी भले ही दिल्ली में हिमाचल व गुजरात की तरह भाजपा की फिर से सत्तासीन होने की हसरत पर पानी फेरते नजर न आये परन्तु दिल्ली नगर निगम में वह कई स्थानों पर अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराने में पीछे नहीं रहेगी।
गौरतलब है कि दो दशक पहले भी दिल्ली में एक ही नगर निगम था। परन्तु तत्कालीन सरकार ने जनहित के कार्यों को बेहतरी से करने के लिए दिल्ली में एक के बजाय 3 नगर निगम का गठन किया। इसके बाद केजरीवाल के नेतृत्ववाली आम आदमी पार्टी के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्तासीन होने के बाद दिल्ली नगर निगम मे लम्बें समय से सत्तासीन भाजपा के बीच छिडे बर्चस्व की जंग का खामियाजा दिल्ली की जनता को झेलना पडा। इस बर्चस्व की जंग में का सीधा असर दिल्ली की स्वच्छता, विकास पर पडा। दिल्ली नगर निगम जनसेवा के बजाय दिल्ली के लिए सफेद हाथी साबित होेे गये। इसे देख कर केंद्र सरकार ने पुन्नः दिल्ली नगर निगम को एकीकृत करने का निर्णय लिया। इसके लिए दिल्ली नगर निगम के 272वार्डों का पुन्नः परिसीमन करके 250 किया गया। इसमें अनुसूचित जाति के लिए 42 वार्डों की आरक्षित किया गया। इसी सप्ताह दिल्ली नगर निगम की परिसीमन समिति ने इस आशय की अपनी रिर्पोट केंद्र सरकार को सौंप दी। जिसको केंद्र सरकार ने अध्ययन करने के बाद इसकी अधिसूचना जारी करने के साथ केंद्र सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे दिया था। इसके बाद ही चुनाव आयोग ने आज दिल्ली नगर निगम के चुनाव की रणभेरी बजायी।

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