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गुजरात का किला बचाने के लिए भाजपा ने आप को भैंट चढाई दिल्ली नगर निगम!



मोदी व शाह के रहते  गुजरात हिमाचल व दिल्ली  के चुनाव परिणाम से पहले मत परिणाम आंकलन, (एग्जिट पोल) पर हडकंप नासमझी होगी

देवसिंह रावत

7 दिसम्बर को दिल्ली नगर निगम व 8 दिसम्बर को गुजरात व हिमाचल विधानसभा चुनाव की मतगणना होगी। परन्तु 5 दिसम्बर को अधिकांश खबरिया चैनलों द्वारा इन चुनावों में सम्पन्न हुये मतदान के बाद मत परिणाम का आंकलन, जिसे एग्जिट पोल के नाम जाना जाता है, को जारी किये जाने पर राजनैतिक जगत में हडकंप सा मच गया है। गुजरात व हिमाचल के बारे में अधिकांश जमीनी राजनीति के मर्मज्ञों को पूर्वाकलन था कि गुजरात में भाजपा व हिमाचल में कांग्रेस की सत्तासीन होने की प्रबल संभावनाये है। वहीं दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणाम के बारे में यह साफ था कि दिल्ली में भाजपा बहुत मुश्किल से अपनी सत्ता बचा पायेगी। क्योंकि दिल्ली में भाजपा को दिल्ली राज्य की सत्ता पर एक दशक से आसीन केजरीवाल के नेतृत्व में आसीन आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलने के आसार थे। परन्तु दिल्ली नगर निगम के चुनाव को करीब से देख रहे मर्मज्ञों का मानना था कि इस बार भाजपा का दिल्ली नगर निगम का अभेद किला गुजरात का किला बचाने के चक्कर में बलि चढा दी। गुजरात में जो अप्रत्यक्ष सहयोग आप ने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने में मदद दी, शायद उसका नजराना भाजपा आप को दिल्ली नगर निगम दे कर चूकता करने का मन बना चूकी थी। इसी कारण दिल्ली नगर निगम के चुनाव प्रचार में भाजपा का आला चुनावी नेतृत्व मोदी, शाह व योगी इससे दूर रहे। तीनों नेता गुजरात व हिमाचल में चुनाव प्रचार तक सीमित रहे। भाजपा नेतृत्व को केंद्रीय सूत्रों से जनता के इस रूझान का पूर्वाभास था, शायद इसी को भांपते ही भाजपा नेतृत्व ने किसी भी सूरत में अपना गुजरात का सर्वोच्च किला बचाने की रणनीति बनायी। वेसे अगर हिमाचल में वीरभद्र जैसा मजबूत नेता कांग्रेस के पास होता तो भाजपा हिमाचल में मुह की खाती। परन्तु वीरभद्र के अभाव का लाभ भाजपा हिमाचल में भी उतराखण्ड विधानसभा चुनाव की तरह यहां भी हारी बाजी जीत सकती है। वेसे चुनाव परिणाम के बाद ही परिणामों का सही आंकलन होगा। वेसे मोदी व शाह की युगल जोड़ी के रहते हुये कहीं के भी चुनावी समर के बारे में पहले परिणामों में भाजपा को हारा हुआ मानना एक प्रकार से नासमझी ही होगी।
 इसके साथ  दिल्ली नगर निगम में भाजपा द्वारा साफ छवि के जगदीश मंमगाई  जैसे जानकार व साफ छवि के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनारे  करके हवाबाज व दिल्ली की जमीनी राजनीति से अनजान नेताओं को कमान सोंपने के कारण भाजपा जनता का विश्वास जीतने में असफल रही। इसके साथ सत्तारूढ भाजपा इस चुनाव में अपने दो दशक के बेहतरीन उपलब्धियों व नयी जनकल्याण की योजनाओं को जनता के समक्ष रखने में पूरी तरह असफल रही।  प्रदेश की जनता भाजपा द्वारा चुनाव प्रचार के नाम पर केवल दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री केजरीवाल व उसके मंत्री आदि नेताओं के कृत्यों पर कड़ी कार्यवाही करने के बजाय केवल हवाई प्रहार करना भी जनता को भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा की लडाई भी छदम लगी। शराब आदि घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल व कार्यकारी मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया आदि नेताओं पर हवाई प्रहार कर उनका जानबुझ कर छदम कद बढाया कर गुजरात, हिमाचल व दिल्ली के मतदाताओं को भ्रमित किया गया कि मानो मुख्य मुकाबला भाजपा व आम आदमी पार्टी के बीच में है। कांग्रेस कहीं मुकाबले में नहीं है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि गुजरात व हिमाचल में सत्तारूढ भाजपा का किला ढहाने के करीब कांग्रेस मजबूती से भाजपा को चुनौती दे रही थी। इसी भ्रम में भाजपा से नाराज मतदाता भाजपा के चक्रव्यूह व कांग्रेस के मजबूत नेतृत्व के अभाव में या तो घर में बैठे रहे या आप के पाले में चले गये। जिसका लाभ भाजपा को ही गुजरात व हिमाचल में हुआ। भले ही केजरीवाल को भी गुजरात व हिमाचल में कहीं भी मतदाताओं का मन नहीं जीत पाये हो परन्तु वे ऐसी शेखी बखान कर रहे थे कि मानों गुजरात में वे ही फतह कर रहे है। वहीं दिल्ली सरकार में जहां जनता को केजरीवाल के तमाम विफलताओं व भ्रष्टाचार में लिप्त गतिविधियों के बाबजूद भाजपाई व कांग्रेसी नेताओं की तुलना में बेहतर लगी।
वेसे मतदान से पहले अधिकांश चुनावी विशेषज्ञ संस्थान व खबरिया जगत एक प्रकार से जो भी आंकलन देते है वह एक प्रकार से व्यवसायिक समझा जाता है। परन्तु मतदान के बाद मत परिणाम आंकलन यानि एग्जिट पोल प्रायः इन संस्थानों द्वारा अपने आप को निष्पक्ष रखने व चेहरा साफ करने का ही कृत्य माना जाता। हां अपवाद के रूप में चंद ऐसे भी संस्थान होते हैं जो अपने दुराग्रह व व्यवसायिकता को भी मत परिणाम आंकलन में भी वरियता देते है। यह सत्तारूढ दल को अपनी तिकडम को न्याय संगत सिद्ध करने के लिये सहायक भी होता है।
दिल्ली नगर निगम के मत परिणाम आंकलन (एग्जिट पोल) के अनुसार दिल्ली के पोने दो करोड़ मतदाताओं में से केवल आधे मतदाताओं ने 250 पार्षदों के चुनाव के लिये अपना मतदान किया। इससे जनता की उदासीनता साफ इजहार होती है।

दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 के 250 सीटों पर मत परिणाम आंकलन (एग्जिट पोल)
संस्थान                 भाजपा            कांग्रेस     आप        अन्य                     
आजतक एक्सिस           69-91           3-7      149-171    5-9
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