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विदेशी मूल होने के कारण ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने से वंचित हुए ऋषि सुनक, ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री होंगी लिज ट्रस

देवसिंह रावत

भले ही ब्रिटेन खुद को लोकतंत्र का सबसे बडा झंडाबरदार व संकीर्ण मानसिकता से उपर उठ कर प्रतिभा का सम्मान करने का डंका बजाता रहा हो। परन्तु ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद पर आज 5 सितम्बर 2022 को हुए कंजरर्वेटिव पार्टी के अंतिम आंतरिक चुनाव में प्रतिभावान युवा नेतृत्व ऋषि सुनक को करारी मात का सामना करना पडा। इस हार से ऋषि सुनक नहीं अपितु बिटेन बेनकाब हो गया। इस हार का कुछ और कारण नहीं अपितु ब्रिटिश के मन में ऋषि सुनक का विदेशी मूल होना सबसे बडा कारण रहा पराजय का। इस विेदेशी मूल के कारण लिज ट्रस को 81326 मत मिले वहीं अब तक के सभी आंतरिक चुनाव में अग्रणी रहने वाले ऋषि सुनक को मात्र 60399 मत मिले। यानी 20 हजार से अधिक मतों से ऋषि सुनक को भारतीय मूल यानी अंग्रेजों के गुलाम देश का मूल निवासी होने के कारण अंग्रेज इस बात को स्वीकार नहीं पाये कि जो कल तक ब्रिटेन का गुलाम देश रहा, वहा का मूल निवासी अब ब्रिटेन का प्रमुख बने।

हालांकि ऋषि सुनक, बोरिस जानसन के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री रहे। उन पर ब्रिटेन को अपने प्राचीन गौरव को पुन्न अर्जित करने की क्षमता ब्रिटेन के बुद्धिजीवी व राजनेता देखते थे। इसी क्षमताओं के कारण उनको वित्त मंत्री व प्रधानमंत्री की दौड में सबसे प्रभावशाली नेता के रूप में जाना जाता रहा।
हालांकि प्रधानमंत्री के लिए चुनी गयी लिज ट्रस भी ब्रिटेन की विदेश मंत्री रही। परन्तु देश को मजबूत नेतृत्व देने में ऋषि सुनक निष्पक्ष समीक्षकों की नजर में 19 ही साबित हो रही थी। केवल ऋषि सुनक की एक कमजोरी रही वह उसका भारतीय मूल का होना। जिसके खिलाफ संकीर्ण विचारधारा वाले रूढिवादी अंग्रेजो ने एक मुहिम छेडी थी कि विदेशी मूल का ब्रिटेन का प्रमुख कैसे?
ऐसा नहीं कि केवल इंग्लैड में ही विदेशी मूल का मुद्दा राजनीति की प्रतिभा को रौंदने वाला रहा। भारत में भी तीन दशक पहले यह मामला जब जोर सोर से उठा जब सोनिया गांधी को ेदेश के प्रधानमंत्री बनाये जाने की आशंका पर देश व्यापी बहस छेडी गयी थी। तब पश्चिमी खबरिया जगत ने भारतीयों को संकीर्ण मानसिकता का बता कर भारतीयों का उपहास उडाया था।
अब जब ब्रिटेन का सबसे संकटकाल मंडरा रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था विश्व में डगमगा रही है। रूस व चीन के साथ छिडे अमेरिका ब्रिटेन के द्वंद के कारण सबसे बुरा असर ब्रिटेन पर पडेगा। ऐसे समय में ऋषि सुनक ही ब्रिटेन को इस भंवर से पार लगाने में सक्षम रहते। इसके साथ ब्रिटेन में ंतेजी से उभर रहे वित्तिय बदहाली का संकट भी ब्रिटेन के लिए बडे संकट से कम नहीं है। ऐसे समय ब्र्रिटेन को सक्षम नेतृत्व देने में ऋषि सुनक सक्षम नजर आते परन्तु विदेशी मूल की संकीर्णता ब्रिटेन की आशाओं पर बज्रपात का कारण बनेगी।

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