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भारत में अभी अभी ध्वस्थ किया भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा प्रतीक नोयडा का जुडवां टावर

प्यारा उतराखण्ड डाट काम
नोएडा के सेक्टर-93ए  स्थित सुपरटेक जुड़वां टावर (ट्विन टावर )को अभी दोपहर दो बजकर 30 मिनट पर जमींदोज किया गया।  खरीददारों के संघ की एकजूटता व न्यायालय की दृढ इच्छा शक्ति के आगे थेलीशाहों व इनके इशारे पर नाचने वाले सरकारी तंत्र को करारा झटके  के साथ यह एक बडा सबक भी है। भले ही यह कानूनी जंग आम आदमी की नहीं अपितु करोडपति खरीददारों का  भ्रष्ट भवन निर्माताओं व  उनके संरक्षक भष्ट  सरकारी तंत्र के बीच था। जिसके कारण भ्रष्ट गठजोड को मुंह की खानी पडी। इसे गिराने के लिए करोडपति निवासियों के संगठन ने  इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सर्वोच्च न्यायालय  तक लंबी लड़ाई लड़ी । सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में टिप्पणी की कि नोएडा अथॉरिटी एक भ्रष्ट निकाय है। इसकी आंख, नाक, कान और यहां तक कि चेहरे तक भ्रष्टाचार टपकता है ।  सर्वोच्च न्याायालय की यह टिप्पणी सरकारी तंत्र की हकीकत को उजागर करने वाला एक आईना ही है। जो इनकी मिली भगत को ही उजागर करता है।
आज समाचार जगत इसको भारत में सबसे बडे भवन का ध्वस्थीकरण मान रहा हो परन्तु यह मात्र भवन का ध्वस्थीकरण नहीं है अपितु यह भारत में भ्रष्टाचार पर सबसे बडा सार्वजनिक प्रहार व ध्वस्थीकरण है। इससे भ्रष्टाचारियों को साफ संदेश है कि उनके आका कितने भी बडे हों परन्तु जब जनता व न्यायपालिका ठान ले तो उनकी भ्रष्टाचार की लंका ऐसी ही ढाई जा सकती है।
नोयडा रितु माहेश्वरी ने इस टावर के ढहने के बाद जारी किये बयान में बताया कि तय योजना के तहत ही ये दोनों टावर ध्वस्थ हो गये हैं। इस विस्फोट से आस पडोस की इमारतों को कोई नुकसान नहीं हुआ।  इस सोसायटी के लोग सांय 6.30 बजे तक अपने घरों में लोट सकते हैं।
स भ्रष्टाचार के जुडवा टावर की कथा प्रारम्भ होती है देश की राजधानी दिल्ली के समीप बसे नोयडा में। यहां की जमीनें बहुत मंहगी है। दिल्ली में इतनी ज्यादा जनसंख्या व परिवहन की भरमार हो गयी है कि आम आदमी यहां सांस भी ठीक ढंग से नहीं ले सकता है। इसी लिए दिल्ली के धनाडय लोग अपनी कोठी या मकान बनाने के बजाय दिल्ली के आसपास नोयडा व गुडगांव में अत्याधुनिक अपार्टमेंटों में रहना पसंद कर रहे है। परन्तु ये अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त अपार्टमेंट आम लोगों की पंहुच से बाहर है। यहां तीन चार कमरों का मकान ही 2.5 करोड से 5 करोड रूपये तक का है। इसके साथ महिने के देखभाल का खर्चा भी हजारों रूपये देना पडता है। ऐसी ही एक अत्याधुनिक अर्पाटमेंटों से सुसज्जित है नोयडा का सेक्टर 93 ए है। जिसमें सुपरटेक का एमराल्ड से लेकर एल्डिकों अपार्टमेंट है।  यहां विवाद का कारण रहे सुपरटेक का एमराल्ड प्रोजेक्ट। इस का इतिहास यह रहा कि   23 नंवबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित ग्रुप हाउसिंग के लिए प्लॉट नंबर-4 की 84273 वर्ग मीटर जमीन सुपर टेक गु्रप के एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया। 16 मार्च 2005 को इस संपति का पट्टा आवंटित किया गया। सुपर टेक को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित  इस जमीन के साथ  ही 6556.61 वर्ग मीटर जमीन का भी सुपरटेक के नाम आवंटित कर इन दोनों प्लाटों को एक प्लाट मान कर सन 2006 को सुपर टेक का एमराल्ड कोर्ट का नक्शा भी पास कर इसका नक्शा पास कर दिया। 16 टावर बनाने की मंजूरी प्रदान की। यहां यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि इसके टावरों में भी निरंतर बदलाव किया गया। उस नक्शे के हिसाब से जहां सुपर टेक ने 32 मंजिल टावर बनायी वहां हरा भरा पार्क दर्शाया गया। जिस ढंग से सुपरटेक ग्रुप को यहां पर अतिरिक्त जमीन देने, टावरों की ऊंचाई व मंजिलों के विस्तार को मंजूरी मिल रही थी उससे आम आदमी व न्यायालय को साफ लगा कि नोयडा प्राधिकरण सुपरटेक पर मेहरवान है। इसके बाद  26 नवंबर 2009 को नोएडा अथॉरिटी ने इसे 17 टावर बनाने का नक्शा पास किया। यही नहीं 2 मार्च 2012 को संशोधन के बाद इन विवाद का कारण बनी जुंडवां टावर को 40 मंजिल तक करने व ऊंचाई 121 मीटर तक करने की इजाजत भी प्रदान कर दी गयी। परन्तु नोयडा प्राधिकरण की कृपा से गदगद हुई सुपर टेक ने इस जुडवां टावर्स के बीच की आवश्यक दूरी 16 मीटर के बजाय केेवल 9 मीटर रख कर आत्मघाती भूल कर दी।
भवन निर्माता सुपर टेेक की मनमानी से तंग आ कर एमराल्ड में फ्लैट के खरीदारों ने 2009 एमराल्ड निवासी कल्याण संस्था यानी आरडब्ल्यू बना कर सुपरटेक की मनमानी रोकने के लिए कानूनी जंग लड़ने के लिए कमर कसी। एमराल्ड कोर्ट निवासी संगठन ने नोयडा प्राधिकरण से इसके नक्शे की मांग की तो नोयडा प्राधिकरण ने तमाम अनुरोध को ठेंगा दिखा दिया। इसके बाद निवासी संगठन ने उप्र उच्च न्यायालय इलाहाबाद में फरियाद की। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूरे मांमले में नोयडा प्राधिकरण व सुपरटेक की मिली भगत कर की गयी गंभीर अनिमियताओं को देखते हुए 2014 में इस भ्रष्टाचार की जुडवां टावर को ध्वस्थ करने का कठोर निर्णय सुनाया। उच्च न्यायालय के निर्णय से नोयडा प्राधिकरण में हडकंप मच गया। आनन फानन में प्राधिकरण ने इस मामले में एक जांच कमेटी का गठन किया। इस जांच कमेटी ने एक दर्जन से  अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों को दो दोषी पाते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया।उप्र उच्च न्यायालय के जुडवां टावर ध्वस्थ करने के निर्णय के खिलाफ भवन निर्माता सुपर टेक सर्वोच्च न्यायालय में देश के मंहगे से मंहगे अधिवक्ताओं से फरियाद कराई। परन्तु मंहगे अधिवक्ताओं के तमाम तर्क भी सर्वोच्च न्यायालय सुपर टेक व नोयडा प्राधिकरण की मिली भगत से बनी भ्रष्टाचार के प्रतीक जुडवां टावर की सच्चाई पर पर्दा  नहीं डाल सकी। सर्वोच्च न्यायालय ने 31 अगस्त 2021 को  तीन महिने के अंदर इस भ्रष्टाचार के प्रतीक जुडवां टावरों को गिराने का साफ आदेश जारी कर दिया। उच्च न्यायालय के बाद सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बाद सुपरटेक की आशाओं पर बज्रपात हो गया। परन्तु उसने हार नहीं मानी। यह आदेश भी समय पर साकार नहीं हो पाया। अदालती प्रक्रिया के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने इसको ढहाने का समय 22 मई 2022 तय किया। परन्तु उसके बाद अब इसके लिए अंतिम तिथि आज 28 अगस्त 2022 को तय की गयी। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत इसको सुरक्षित विध्वंश कराने वाली भारत की विश्व विख्यात कंपनी ने इसको ध्वस्थ करने का दायित्व निभाने के लिए आगे आयी। इसी के तहत इन दोनों इमारतों को गिराने के लिए आज दोपहर 2.30 बजे का समय तय किया गया। इसके तहत भारी मात्रा में विस्फोटक लगाए गए हैं। यह झरने की तरह ध्वस्थ करने वाली विधि से ध्वस्थ किया जायेगा।  ध्वस्तीकरण के चलते पुलिस ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं.।
32 और 29 फ्लोर वाले दोनों टॉवर को गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम विस्फोटकों का 9600 छेदों में इस्तेमाल किया गया है. टॉवर के गिरने के वक्त किसी प्रकार का नुकसान न हो इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम किए हैं. बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी ट्विन टावर के आसपास तैनात किए गए हैं. साथ ही नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने अन्य वैकल्पिक रास्तों का प्रबंध किया है।  नोएडा एक्सप्रेसवे को आधे घंटे के लिए बंद रखने का भी फैसला किया गया, जिसे विस्फोट के बाद खोल दिया गया है ।इसके अलावा विवाद ग्रस्त टावर के आसपास के करीब 7000 घरों को खाली किये गये।सुपरटेक के अलावा पूर्वांचल अपार्टमेंट, सिल्वर सिटी, पार्शनाथ सोसायटी, एटीएस, एल्डिको सभी में बिजली की सप्लाई रोकी गयी।  सभी अपार्टमेंट के गैस की सप्लाई को बंद किया गया। कुछ अपार्टमेंट खाली कराये गये थे।  विस्फोट की जद में आने वाले अपार्टमेंट से सुरक्षा में तैनात गार्ड भी हटाये गए।इस विस्फोट के कारण किसी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के तमाम चिकित्सा प्रबंध किये गये थे।
प्रशासन व इस क्षेत्र के निवासियों ने इस विस्फोट के योजना के तहत निपटने के बाद राहत की सांस ली। प्यारा उतराखण्ड के संपादक देवसिंह रावत ने इस क्षेत्र का सुबह दौरा करने के बाद बताया कि लोगों में दहशत साफ देखी जा रही थी।  विस्फोट के बाद लोगों के साथ प्रशासन ने चैन की सांस ली। हालांकि शासन ने विस्फोट को देखते हुए यमुनाा एक्सप्रेस रोड व इस क्षेत्र की वायु सीमा भी विस्फोट के समय बंद कर दी थी।

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