देश

बेरोजगारी,आतंक व अराजकता का अग्निकुंड बनाने के बजाय भारत को महाशक्ति बनाने के लिए मजबूत सेना व समृद्ध देश बनायें सरकार व युवा

 

अग्निवीर योजना को तुरंत रद्द कर सेना सहित सभी रिक्त पदों में भर्ती अभियान चलाये सरकार।

सेना में कटौती करने के बजाय नौकरशाही व विधायिका को दी जा रही लाखों के वेतन, भत्ते व पेंशन में की जाए भारी कटौती

देव सिंह रावत

जैसे कि भारत सरकार ने सशस्त्र सेनाओं में नियमित भर्ती करने के बजाय 4 वर्षीय सेवा की अग्निवीर योजना को शुरू करने का ऐलान बड़ी धूम-धड़ाके से किया वैसे ही वर्षों से सेना की भर्ती की इंतजार कर रहे देश की ग्रामीण भारत के आम युवा अपनी आशाओं की किसी वज्रपात मानते हुए आक्रोशित होकर देशव्यापी प्रचंड विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर गया। बिहार हरियाणा उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में युवा इसके विरोध में सड़क पर उतर गई बिहार में कई रेलगाड़ियों सहित सरकारी संपत्ति को चलाने का गलत कार्य भी किया जा रहा है । इस युवा आक्रोश के कारण अनिल रेलगाड़ियों का आवाजाही स्थगित हो गई है । जगह जगह पर यातायात अवरुद्ध हो गए हैं। युवाओं को भी समझना चाहिए कि सरकारी संपत्तियों को तहस-नहस करके न राष्ट्र को मजबूती मिलेगी ना उनको रोजगार। इस बात का ध्यान रखें कि अराजक तत्व देश को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। इसलिए युवाओं को उनके हाथों का मोहरा नहीं बनना चाहिए ।अपना आंदोलन शांतिपूर्वक करें पर हिंसक व अराजकता राष्ट्रद्रोह ही है ।भाजपा सहित कई दलों के सांसदों व सामरिक विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री से इस अग्निवीर योजना को तत्काल रद्द करने की मांग की। इस विरोध को देखते हुए सरकार ने इस भर्ती की उम्र सीमा 17.5 से 21 साल में 2 साल और बढ़ा दी है यानि 23 साल कर दी है।परंतु उसके बावजूद विरोध रुकने का नाम नहीं ले रहा है।युवा इसमें भर्ती की उम्र सीमा बढ़ाने की मांग नहीं कर रहे हैं अपितु इस योजना को ही तत्काल निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। सरकार को इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने के बजाय राष्ट्र हित को ध्यान रखते हुए
इसे तत्काल रद्द कर देना चाहिए ।प्रधानमंत्री सहित सरकार ने सेना का कायाकल्प करने के लिए अग्निवीर योजना लागू करने की मंशा भले ही देश हित में हो परंतु वर्तमान परिस्थितियों व जमीनी धरातल पर यह योजना न सेना के हित में है नहीं देश व युवाओं के हित में ही है। इसी सरकार को चाहिए कि बिना लाग लपेट के इस अपनी वीर योजना को तुरंत रद्द करें। इसके साथ सेना व अर्धसैनिक बलों मैं रिक्त पड़े लाखों पदों को युद्ध स्तर पर भर्ती करें।
इसके साथ ही इसकी की सेनाओं को मजबूत करने के लिए सरकार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए की सरकारी सेवाओं में वह राजनीति में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए 4 साल के लिए सेना में अल्पकालीन नियुक्ति अनिवार्य की जाए तब उन्हें सेना की मेहता व देश की स्थिति का भान होगा।
सरकार भले ही इस देश के युवाओं के लिए कल्याणकारी, देश की सेना को अधिक युवा व अत्याधुनिक बनाने का महत्वपूर्ण योजना बता रही हो। परंतु देश की आम युवाओं व सामरिक विशेषज्ञों की गले सरकार के तमाम दावे उतर नहीं रहे हैं। सबसे हैरानी की बात है कि युवाओं के आक्रोश को भड़काने के लिए सरकार ने हर साल होने वाली तीनों सेनाओं की भर्ती के बारे में भी एक प्रकार से अनिश्चित रखी कहीं स्पष्ट नहीं किया कि हर साल होने वाली 60000 की लगभग भर्तियां भी चालू रहेगी। सरकार जहां युवाओं को रोजगार देने की बात कर रही हो वह इस बात से सरकार के दावे खुद ही बेनकाब हो जाते हैं कि वह हर साल 45000 के करीब युवाओं को अग्नि वीर योजना में भर्ती करेगी। इसमें हमसे भी 75 प्रतिशत अग्निवीर 4 साल बाद सेना से बाहर हो जाएंगे। इससे साफ है कि सरकार की मंशा सैनिकों को कम करने की है। जो देश की सुरक्षा की कीमत पर कहीं दूर दूर तक न्याय उचित नहीं ठहराया जा सकती।

रही बात इस योजना में मिलने वाले आर्थिक लाभों का वह एक सामान्य बात है । जो लोग अग्निवीरों को मिल रहे आर्थिक व लाभों का बखान कर रहे हैं। वे लोग बताएं कि सामान्य सैनिक को इस समय अवधि में कितना लाभ मिलता? कितना सम्मान व सुरक्षा उसके परिवार को मिलती। यहां पर बात वेतन व अन्य लाभों की नहीं हो रही है ।बात हो रही है देश की सुरक्षा की ।देश की सेना को जब मजबूत करने का समय हो तो उस समय इस प्रकार की प्रयोग आत्मघाती साबित होते हैं। खासकर जब देश की सीमाओं पर चीन पाकिस्तान अफगानिस्तान सहित एक दर्जन से अधिक दुश्मन घात लगाकर भारत को जमींदोज करने के लिए तैयार हो और दूसरी तरफ सीमा के अंदर लाखों लाख आस्तीन के सांप भारत के अमन-चैन को रोकने के लिए घात लगाकर बैठे हो। ऐसे समय में सेना व अर्धसैनिक बल ही देश की रक्षा करते हैं इन्हीं के भरोसे देश आज अक्षुण्ण है। अखंड है।देश  में सामान्य व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है
खासकर जब चीन पाकिस्तान सहित दर्जनों देश भारत को जमींदोज करने के लिए कमर कसे हों। ऐसी स्थिति में जब चीन के पास हम से डेढ़ गुना से अधिक फौज हो और किसी भी समय चीन ताइवान युद्ध के साथ विश्व युद्ध छेड़ने की आशंका के बादल पूरी संसार में मंडरा रहे तो ऐसे संकट के समय सेना में 2 टका बचाने के लिए ना समझा प्रयोग करना राष्ट्रहित में दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रहा है।
सरकार अगर देश की सामरिक स्थिति को सुधारना ही चाहती है तो वह सेना में काट छांट करने के बजाए नौकरशाही व विधायिका में व्यापक सुधार करें। नौकरशाही वह विधायिका को मिल रहे लाखों के वेतन भत्ते वह पेंशन पर भारी कटौती की जानी चाहिए। संसार की अधिकांश देशों में नौकरशाही स्थाई ही नहीं होती है इसलिए भारत में की नौकरशाही को भी अस्थाई किया जाए स्थाई होने से देश की नौकरशाही में भ्रष्टाचार भारी पड़ गया है। यही नहीं जब जरूरत पड़ी तो भारत की आम जनता भी देश की सुरक्षा के लिए अपना तन मन धन से सहयोग देने की लिए तैयार है। देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने के लिए हर पल तत्पर रहने वाली जांबाजो को मिलने वाली पेंशन व वेतन को भार समझने वाले नौकरशाहों व सरकार को अपनी मानसिकता को ठीक करना चाहिए। सेनाओं की शौर्य व बलिदान के कारण ही देश सुरक्षित रहता है।

युवाओं का आक्रोश समझा जा सकता है क्योंकि कोरोना काल से अब तक 2 वर्षों से सेना में भर्तियों पर एक प्रकार से रोक लगी है।
ग्रामीण भारत की गरीब युवाओं की आशा का एकमात्र सहारा भारतीय सेना अर्धसैनिक बल हैं। जिसमें उन्हें देश सेवा के साथ-साथ अपने परिवार कल्याण करने का एकमात्र माध्यम नजर आता है। उस पर भी जब सरकार ने अग्निवीर से वज्रपात कर दिया। निराश युवाओं में आक्रोश आना स्वाभाविक है हो सकता है कि इस आक्रोश को धार देने का काम विरोधी राजनीति लोगों ने किया हो। यह उनका दायित्व भी है।आखिर लोकतंत्र में विरोधी राजनीतिक दल सरकार की गलत नीतियों में तमाशबीन व सहयोगी तो हो नहीं सकते।
सरकार का यह आश्वासन भी युवाओं को छलावा से कम नहीं लग रहा है कि अग्निवीर बनने के बाद बेरोजगार हुए युवाओं को अर्धसैनिक बलों वह अन्य सरकारी सेवाओं में रोजगार मिलेगा। क्योंकि अर्धसैनिक बलों और सरकारी सेवाओं में भी वर्षों से लाखों रिक्त पदों को सरकार नहीं भर रही है। रोजगार के रूप में में चलाई जा रही संविदा पर बंधुआ मजदूरी से आम युवा त्रस्त व शोषित है। कई भर्ती अभियानों में वर्षों से युवाओं को परिणाम जारी होने के बावजूद नियुक्तियां नहीं मिली और कई बलों के परिणाम जारी नहीं किये गये।

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