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जिन्ना की तरह ही भारत को बर्बादी की गर्त में धकेलने वाले खुदगर्ज राजनेता व मौलानाओं से सावधान रहे भारतीय मुस्लिम

आक्रांताओं, जिन्नावादियों,कट्टरपंथियों के भारत विरोधी जहर का पान करने के बजाए इंडोनेशिया की तरह भारतीय संस्कृति का अमृत पान करने से ही होगा भारतीय मुसलमानों व भारत का कल्याण

 

देव सिंह रावत

पूरा विश्व यह देख कर हैरान है कि भारत के बीस लाख से अधिक लोगों का कत्लेआम कराके जिस मोहम्मद जिन्ना ने धार्मिक कट्टरपंथ का जहर फैलाकर भारत के दो टुकड़े करा कर जिस पाकिस्तान को बनाया, वह पाकिस्तान आज बर्बादी की कगार पर हैं। जो भारतीय उस समय पाकिस्तान बनाने के लिए भारत में खून की नदियां बहा रहे थे, उन पाकिस्तानियों के वंशज आज अपने पूर्वजों की पाकिस्तान बनाने की आत्मघाती भूल पर आंसू बहा कर आहें भर रहे कि काश हम भारत के ही नागरिक होते। वह आहें भी क्यों ना भरें। एक तरफ भारत पूरे विश्व में आर्थिक और सामरिक शक्ति का परचम लहरा कर विश्व की महाशक्ति बन चुका है। विश्व में सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की आवाम का जीना दुश्वार हो रखा है। पाकिस्तान विदेशी कर्ज के मारे जहां दम तोड़ रहा है। वहीं महंगाई ,कट्टरपंथ, कुपोषण, बदहाली, बेरोजगारी व आतंकवाद की भट्टी में जल कर खुद तबाह हो रहा है। पूरे विश्व में पाकिस्तान को हिराकत की दृष्टि से देखा जा रहा है। संसार का कोई भी स्वाभिमानी देश पाकिस्तानियों को अपने देश में आसानी से प्रवेश देने के लिए तैयार नहीं है। यही नहीं इस्लामी बिरादरी के देश भी पाकिस्तानियों को सम्मान की दृष्टि से ना खाड़ी देशों में देखते हैं ना अन्य देशों में।
जिन्ना व उनके समर्थकों द्वारा भारत के विभाजन के समय जो खौफनाक कट्टरपंथ का जहर भारत में फैलाया था। जिसके जख्मों से लाखों भारतीयों का कत्लेआम किया गया था ।इसके बावजूद भारत के बहुसंख्यक सनातन धर्मावलंबी भारतीयों ने मुस्लिमों के प्रति अपनत्व भरा रवैया अपनाते हुए उन्हें भारत में रहने के लिए पूरा सम्मान व अपनत्व दिया। हालांकि अंग्रेजों की कुटिल चाल व जिन्ना की कट्टरपंथ के कारण हिंदू मुसलमान के आधार पर मुस्लिमों के लिए भारत का विभाजन कर पाकिस्तान का निर्माण कर दिया गया था।
भारत के बहुसंख्यक समाज की इस सहृदयता व अपनत्व पर भरोसा रखते हुए पाकिस्तान से अधिक संख्या में मुसलमान भारत ही में रह गए। तत्कालीन सरकार को चाहिए था कि मुस्लिम समाज को विश्वास में लेकर जो भी विवाद शताब्दियों से भारतीय जनमानस के बीच में है और जो कलंक विदेशी आक्रांताओं ने भारतीय संस्कृति को जमींदोज करने के लिए देश की आराध्य शिव की काशी तथा भगवान राम व भगवान कृष्ण की जन्मभूमि के मंदिरों पर कब्जा कर बलात उन पर अपने धार्मिक स्थल बना दिये थे, उनको शोषित व पीड़ित हिंदुओं को ससम्मान सोंप देना चाहिए था। परंतु तत्कालीन सत्तासीन राजनीतिक दलों ने अपनी सत्ता लोलुपता के लिए इस मुद्दे को न केवल नजरअंदाज किया अपितु भारतीय मुस्लिमों को निरंतर तुष्टिकरण करके कट्टरपंथ की गर्त में धकेलते रहे। जबकि विभाजन के बाद अधिकांश मुस्लिम पाकिस्तान के बजाए भारत को ही अपना देश मानते हैं। देश में सत्ता के लिए मुस्लिमों को गुमराह करने वाले जिन्ना टाइप के राजनीतिक दलों व मौलानाओं की बड़ी जमात निरंतर बढ़ती रही। जो मुस्लिमों को निरंतर गुमराह करते रहे उनको भारतीय संस्कृति के विरुद्ध निरंतर उठाते रहे यही नहीं नेताओं की जयकार करने वाले लोग भारत माता की जय व वंदे मातरम कहने से भी घृणा करने लगे। यही नहीं कट्टरपंथी इसे इस्लाम के विरुद्ध बताने लगे। इन लोगों ने मुस्लिम समाज को भ्रमित करके इस सच्चाई से भी नजरें चुराने लगे कि उनका मुगल आक्रांताओं से कोई संबंध नहीं है। वे इसी देश की संताने हैं ।उनके पूर्वज भी अन्य भारतीयों की तरह भारतीय हैं। वे औरंजेब व बाबर इत्यादि विदेशी आक्रांताओं द्वारा भारत में किए गए जुल्मों व अत्याचारों को जायज ठहराने लगे व उनके पैरोकार बन गए।
भारतीय मुस्लिम को अपने धार्मिक पहचान बनाते हुए अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति से उसी प्रकार जुड़ना चाहिए, जिस प्रकार इंडोनेशिया जो संसार का सबसे बड़ा इस्लामिक देश है वह इस्लाम का परचम लहराते हुए भी अपनी प्राचीन संस्कृति को भी आत्मसात करता है, उससे घृणा नहीं करता है। इसीलिए इंडोनेशिया के मुस्लिम पूरे विश्व के मुस्लिमों में अधिक सम्मान पाते हैं ।उनमें कट्टरपंथ की कहीं भी नजर नहीं आती है। वह कहीं आतंकी व घृणा फैलाते नजर नहीं आते हैं। उनको संसार में पाकिस्तानी की तरह आतंकवादी या फसाद हिंसा करने वाले की नजर से नहीं देखा जाता। जिसने भी पाकिस्तान को अपना आदर्श बनाया वह तबाह हो गए।। जिस प्रकार से पाकिस्तानियों की संगत में आने से अफगानिस्तान व कश्मीर के कट्टरपंथियों ने अपने देश व प्रदेश को बर्बादी की गर्त में धकेल दिया है। इसी प्रकार खून के आंसू पाकिस्तान का आम आवाम भारत की समृद्धि व पाकिस्तान की बर्बादी को देखकर बहा रहा है।

परंतु पाकिस्तान की बर्बादी से भारतीय कट्टरपंथियों ने सबक न लेकर देश को जिन्ना की तरह ही बर्बादी की गर्त में धकेलने की नापाक कोशिश कर रहे हैं। परंतु भारतीयों का सौभाग्य है कि इस समय देश में मोदी, अमित शाह व योगी जैसे राष्ट्रभक्त शासक विद्यमान है जो इस प्रकार के राष्ट्र विरोधी तत्वों के नापाक इरादों को जमींदोज करने के लिए हर समय तैयार हैं ।इसी कारण जहां अयोध्या में राम जन्मभूमि का सदियों से चला आ रहा विवाद शांतिपूर्ण ढंग से निपट गया। वहीं कश्मीर में अलगाववाद को पोषण करने वाली धारा 370 को सरकार ने बहुत बुद्धिमता से समाप्त कर दिया है। इससे आतंकियों की प्रकार से कमर टूट गई है। जिस प्रकार से वर्तमान सरकार ने पाकिस्तान परस्त आतंकी आकाओं पर गाज गिराई है। उसका जीवंत उदाहरण है कश्मीर घाटी में कभी आतंक का पर्याय रहे आतंकवादी संगठन के सरगना यासीन मलिक को भारत की न्यायपालिका ने उम्र कैद की सजा दी और वह आतंकी पाकिस्तान व इस्लामी देशों के संगठन के घड़ियाली आंसू बहाने के बाबजूद भारत की केंद्रीय कारागार तिहाड़ जेल में अपने भारत द्रोही व हैवानियत कुकृत्यों की सजा भोग रहा है।
अब भारत की न्यायपालिका में जिस प्रकार से काशी, मथुरा, कुतुब मीनार व ताज महल आदि प्रकरण न्याय की देहरी में दस्तक दे रहे हैं। ऐसे समय देश के राजनेताओं व मुस्लिम संगठनों को बहुत ही बुद्धिमता और राष्ट्रप्रेम का परिचय देते हुए विदेशी आक्रांताओं द्वारा भारतीयों की आस्था के प्रतीक धार्मिक स्थलों पर किये गये कब्जा व अत्याचार की निंदा करके, देश की बहुसंख्यक समाज को इन्हें सप्रेम सौंपकर न्याय और राष्ट्र के पक्ष में खड़े होने का काम करना चाहिए। परंतु दुर्भाग्य है भारत में पाकिस्तान के दंश झेलने के बावजूद आज भी जिन्ना वाली मनोवृति के राजनेता व मौलानाओं की कोई कमी नहीं रह गई ।साफ शब्दों में कहें कि आजादी के समय भारत में अनेक मुस्लिम नेता, जिन्ना व पाकिस्तान के घोर विरोधी थे। परंतु आज दुर्भाग्य किस बात का है कि मुस्लिमों की राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टियां व मुस्लिम धर्म के मौलाना न्याय और राष्ट्र हित की बात न कह कर वही जिन्ना वाली आक्रांताओं को महिमामंडित करने वाले व उनके जुल्मों को नजरअंदाज करने वाली बातें कहकर मुस्लिम समाज को गुमराह कर रहे हैं। मुस्लिम समाज में मौलानाओं की बहुत अधिक पकड़ होती है परंतु दुर्भाग्य है इस समय जितने भी प्रमुख मुस्लिम संगठन भी भारतीय मुसलमानों को भारतीय संस्कृति, सच्चाई व न्याय के पक्ष में खड़े होने की सीख न देते हुए गुमराह कर रहे हैं।  उनका विदेशी आक्रांताओं से कोई संबंध नहीं है। उनका संबंध भारतीयों से है। भारतीय ही उनके पूर्वज रहे । भारतीय उनकी संस्कृति है। धर्म भले ही वे इस्लाम अपना चुके हैं परंतु उन्हें भी इंडोनेशिया की तरह अपनी संस्कृति से प्रेम करना चाहिए ना कि घृणा।

परंतु दुर्भाग्य है कि भारतीय मौलानाओं ने न केवल भारतीय मुसलमानों को गुमराह किया सच्चाई से दूर रखा उन्हें भारतीय संस्कृति से जुड़ने के लिए सही मार्ग नहीं बताया। इसी कारण भारत के अधिकांश मुस्लिम वर्तमान स्थिति से निराश और हताश है। निराशा व हताशा को बढ़ाने में भारतीय मौलानाओं व मुस्लिम राजनीति करने वाले दलों का बहुत बड़ा हाथ है।
इसी सप्ताह 28-29 मई 2020 को उत्तर प्रदेश की कि सहारनपुर जनपद स्थित इस्लाम की सबसे बड़े शिक्षा संस्थान देवबंद में देश के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद की प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन की दो दिवसीय प्रबंध समिति को संबोधित करते हुए कहा कि देश में नफरत फैलाने वाले देश के दुश्मन व गद्दार है। उन्होंने मुस्लिम समाज से कहा कि इस नफरत को नफरत से नहीं अपितु मोहब्बत से ही खत्म किया जा सकता है। देश में इन दिनों ज्ञानवापी, मथुरा ईदगाह व कुतुबमीनार आदि मंदिर मस्जिद विवाद प्रकरणों के संदर्भ में बिना नाम का उल्लेख करते हुए मदनी ने कहा कि आज मुसलमानों का चलना दूभर कर दिया है। हम कमजोर हैं हर जुल्म वर्दास्त कर सकते हैं लेकिन हम अपने वतन पर आंच कभी वर्दास्त नहीं करेंगे। इस प्रकार मौलाना मदनी ने मुसलमानों को सच्चाई से रूबरू करने के बजाए उनको निराश करने वाली बातें कहीं ।

इसके अलावा मुसलमानों का एक बड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने भी वाराणसी, मथुरा, आगरा और दिल्ली समेत देश की अलग अलग जगहों पर धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवाद पर मुस्लिमों को सही दिशा देने में विफल रहा।
इन मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश के मुस्लिमों से आह्वान किया कि वे ‘भारत के मुसलमानों को मस्जिदों की रक्षा और सेवा के लिए हर समय तैयार रहना चाहिए’। यही नहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सभी इमामों और प्रचारकों से इस विषय पर बोलने का अनुरोध किया है। यानी ये सब मुस्लिम समाज को गुमराह करेंगे कि भारत में उनके साथ अन्याय हो रहा है।

इन्हीं मामलों में ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र सरकार से प्लेसेस ऑफ वर्सिप एक्ट 1991 की धारा 3 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने की मांग की गई है। यह धारा पूजा स्थलों के बदलाव पर रोक लगाती है। इस बोर्ड के सदस्य राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर मस्जिदों और पुरातत्व स्मारकों के सर्वे को रोकने की मांग को लेकर ज्ञापन देने की रणनीति भी बना रहे हैं।
वहीं भारतीय राजनीति में भारतीय मुस्लिमों को गुमराह करने के लिए कुख्यात नेता ओवैसी ने इस प्रकरण पर निरंतर देश को गुमराह करने की कोशिश जारी रखी हुई है। अब वे आर्य द्रविड़ आदिवासी का जहर देश के अमन-चैन में घोल रहे हैं।
ओवसी कह रहे हैं कि भारत मेरा भी नहीं है…न उद्धव ठाकरे का है, न ओवैसी का है, न मोदी का है, न शाह का है, भारत अगर किसी का है तो द्रविड़ों का है आदिवासियों का है।
महाराष्ट्र के भिवंडी में ओवैसी एक रैली में बोलते हुए दावा किया कि आदिवासी यहां का है, द्रविड़ यहां के हैं। ये आर्यन आए थे 4000 साल पहले।’
यानी किसी भी नेता व बड़े धर्मगुरु में इतना नैतिक साहस नहीं रहा कि वह कह सके कि भारतीय मुस्लिम किसी विदेशी आक्रांता बाबर और औरंगजेब के साथ नहीं है ।हम उनके गुनाहों के लिए उनकी निंदा करते हैं। भारतीय ही हमारे पूर्वज हैं । इस्लाम की सीख मानते हुए भारतीयों की आस्था के प्रतीक काशी व मथुरा धर्म स्थान हिंदुओं को सौंपते है। किसी अन्य के धार्मिक स्थल पर बलात कब्जा करके बनाए गए मस्जिद इस्लाम में स्वीकार नहीं है। अगर भारतीय मुसलमान इस सही दिशा को आत्मसात करते तो आज देश की अमन-चैन पर मंडरा रहा  जिन्ना का जहर समाप्त हो जाता। इस सच्चाई को छोड़कर अगर पथ भ्रष्ट राजनेताओं व जिन्ना वादी मौलानाओं के गुमराह में भारतीय मुस्लिम देश के साथ खुद को भी पतन के गर्त में ढके लेंगे अन्याय के पक्ष में कभी भी किसी को खड़ा नहीं होना चाहिए ।यह भारतीय संस्कृति की सीख है और यही इस्लाम की शिक्षा भी। इस बात को भी भारतीय मुस्लमानों को समझ लेना चाहिए कि विश्व में जितना सुरक्षित व सम्मानित भारतीय मुस्लिम है उतना किसी अन्य देश में नहीं हो सकते है ।क्योंकि भारतीय संस्कृति सब के कल्याण के लिए समर्पित होने की सीख देती है। घृणा व अन्याय से दूर रहने की सीख देती है। इसलिए भारतीय मुस्लिमों से यह अनुरोध है कि वह जिन्ना वादी राजनेताओं और मौलानाओं की कुटिल चाल को विफल कर भारत के नवनिर्माण में खुद को समर्पित करें।

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