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वैज्ञानिकों ने अत्यंत दुर्लभ तारा समूह के एक नए सदस्य का पता लगाया

नव अन्वेषित व कड़ी के रूप में वर्धगामी नवोदित तारा इस दुर्लभ समूह की अधिक अधिक विस्तार से परीक्षण करने में मदद कर सकता है।

25अप्रैल2022,नई दिल्ली से पसूकाभास

वैज्ञानिकों ने अत्यंत दुर्लभ समूह के एक नए सदस्य का पता लगाया है जो कड़ी के रूप में अभिवृद्धि को दर्शाता है। हाल ही में तारा-विन्यास समुदाय में इस तरह के दुर्लभ सितारों में काफी दिलचस्पी बढ़ी है और इस अध्ययन से सितारों के इस समूह और उनके विन्यास-तंत्र का अधिक विस्तार से परीक्षण करने में मदद मिल सकती है।

कड़ी के रूप में अभिवृद्धि करने वाले नवोदित तारे छोटे, कम द्रव्यमान वाले तारे हैं, जिनके भीतरी भाग में हाइड्रोजन संलयन आरंभ नहीं हुआ है और वे गुरुत्वाकर्षण संकुचन और ड्यूटेरियम फ्यूजन (तारे के पूर्व-मुख्य-अनुक्रम चरण) से प्रेरित होते हैं। ये पूर्व-मुख्य-अनुक्रम तारे एक डिस्क से घिरे होते हैं जिससे यह द्रव्यमान प्राप्त करने के लिए तारे के चारों ओर गैस और धूल के डिस्क के आकार के क्षेत्र के पदार्थ से निरंतर पोषित होता है।

इस प्रक्रिया को तारे की चारों तरफ के पदार्थ से बने डिस्क से द्रव्यमान की अभिवृद्धि के तौर पर जाना जाता है। समय-समय पर उनके संपोषण की दर बढ़ जाती है। इसे उनके चारों ओर के पदार्थ से बने डिस्क से द्रव्यमान अभिवृद्धि में तेजी की अवधि के रूप में जाना जाता है। इन कड़ियों के दौरान, ऑप्टिकल बैंड में तारे की चमक 4-6 गुनी बढ़ जाती है। अब तक तारों के ऐसे 25 दुर्लभ समूह खोजे जा चुके हैं।

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) से भारत के भीतर के समूहों सहित एक अंतरराष्ट्रीय टीम के हिस्से के रूप में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्वायत्त संस्थान, आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के भारतीय खगोलविदों ने जीएआई 20ईएई की खोज की है, जो कड़ी के रूप में नवोदित सितारों के नवीनतम सदस्य हैं।

गैया (जीएआईए) फोटोमेट्रिक अलर्ट सिस्टम, एक आकाशीय सर्वेक्षण जो सक्रियता से चलायमान वस्तुओं की खोज करता है और इसके द्वारा पता लगाए जाने वाले चलायमान वस्तुओं की संख्या को लेकर एक दैनिक रिपोर्ट प्रकाशित करता है, ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा गया है कि गैया 20 ईएई 4.5 गुना अधिक चमकीला है। इससे कड़ी के रूप में वृद्धि के संभावित मामले का संकेत मिलता है।

एआरआईईएस के डॉ सौरभ शर्मा के साथ पीएचडी के छात्र अर्पण घोष के नेतृत्व में एक टीम के साथ-साथ पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए से पी. निनन, टीआईएफआर, मुंबई से डॉ. डी. के. ओझा, आईआईए, बेंगलुरु से डॉ. बी.सी भट्ट, और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय, जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट, यूएसए, नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ थाईलैंड और मैक्वेरी यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया के अन्य सदस्य ने चेतावनी का पता चलने के तुरंत बाद गैया 20ईएई की निगरानी शुरू कर दी।

खगोलविदों की टीम ने 1.3 मीटर देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप, 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप, 2 मीटर हिमालयन चंद्रा टेलीस्कोप, और 10 मीटर एचईटी टेलीस्कोप और 0.5 मीटर एआरसी स्मॉल एपर्चर टेलीस्कोप जैसी अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं का उपयोग करके एक साथ फोटोमेट्रिक और स्पेक्ट्रोस्कोपिक अवलोकन किए।

गैया 20ईएई के प्रकाश वक्र से एक संक्रमण चरण दर्शाया जब इसने अपनी अधिकांश चमक को 34 दिनों के कम समय में बहुत तेजी से बढ़ती दर (3 परिमाण प्रति माह) के साथ प्रदर्शित किया। गैया 20ईएई अब क्षीण पड़ने लगा है। टीम ने उच्च अभिवृद्धि और गैया 20ईएई के आसपास विक्षोभ मौजूद होने के कारण उत्पन्न हवाओं के बहने के मजबूत संकेतों का पता लगाया है।

पहली बार की गई खोज में, टीम ने हाई-रिजॉल्यूशन स्पेक्ट्रा (सीए-2 आईआर तिहरी लाइनों में) से चुंबकीय क्षेत्र में वृद्धि (लाल-स्थानांतरित अवशोषण) घटक के संकेत का पता लगाया। यह एक गर्म पृष्ठभूमि से देखे गए केंद्रीय पूर्व-मुख्य अनुक्रम तारे तक आसपास के डिस्क के भीतरी भाग से पदार्थ के कम-वेग से गिरने के संकेत के अनुरूप था। गैया 20ईएई के निरीक्षण से चुंबकीय क्षेत्र में वृद्धि का संकेत मिलता है जो वर्तमान विस्फोट की घटना है। आकाश में गैया 20ईएई की अवस्थिति के कारण यह पहली बार की गई खोज है जिससे टीम व्यापक सीए-2 आईआर तिहरी उत्सर्जन रेखा के शीर्ष पर कम-वेग वाले लाल-स्थानांतरित अवशोषण के संकेत को देखने में सक्षम बना।

’द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित यह शोध कड़ी के रूप में अभिवृद्धि के विभिन्न भौतिक पहलुओं और पहले खोजे गए स्रोतों के साथ उनकी तुलना की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण-तल प्रदान करता है।

प्रकाशन: Ghosh et al., 2022, Gaia 20eae: A newly discovered episodically accreting young star, ApJ926 68

प्रकाशन लिंक:: https://doi.org/10.3847/1538-4357/ac41c2

किसी प्रकार की जानकारी के लिए कृपया अर्पण घोष (arpan[at]aries[dot]res[dot]in, 19aghosh91[at]gmail[dot]com, 7706999192) से संपर्क करें।

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चित्र 1. एसडीएसएस और एचसीटी से ली गई ऑप्टिकल कंपोजिट इमेज में गैया 20ईएई के पूर्व-विस्फोट और पश्चात-विस्फोट चरण।

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चित्र 2. पारंपरिक द्विध्रवीय चुंबकीय क्षेत्र अभिवृद्धि वातायन का आरेख और गैया 20ईएई के मामले में कोणों को देखने का क्षेत्र जो संभावित रूप से व्यापक सीए-2 आईआर तिहरी उत्सर्जन रेखा के शीर्ष पर कम-वेग वाले लाल-स्थानांतरित अवशोषण संकेत में बदल सकता है जैसा कि आरेख में दिखाया गया है।

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