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उत्तराखंड में 95 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेने के बाद अब 632 प्रत्याशी चुनावी मैदान में

प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए नामांकन करने वाले 750 उम्मीदवारों मे से 727 प्रत्याशियों का का नामांकन ठीक पाये गये। नाम वापसी की अंतिम तारीख 31जनवरी तक 95 प्रत्याशियों द्वारा अपना नाम वापस लेने के बाद अब पूरे प्रदेश मे 632 प्रत्याशी चुनावी समर मे डटे हैं।
जिनके भाग्य का फैसला 14 फरवरी को उत्तराखंड के 8143 922 मतदाता करेंगे। वहीं, इस बार चुनाव में करीब 136 प्रत्याशी निर्दलीय मैदान में उतरे हैं। छंटनी से पहले 750 उम्मीदवार मैदान में थे। छंटनी के बाद इनमें से 727 के नामांकन वैध पाए गए थे।
सबसे अधिक नाम वापसी देहरादून जनपद से हुए। यहां 24 प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस लिए अब देहरादून जनपद में सबसे अधिक 117 प्रत्याशी चुनावी जंग में रह गए हैं। इसके बाद हर हरिद्वार जनपद में 17 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस ली जाने के बाद भी 150 प्रत्याशी मैदान मे डटे हुए हैं। नैनीताल में 9 नाम वापसी की बाद 63 प्रत्याशी मैदान में डटे हुए हैं। अल्मोड़ा में 6 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेने के बावजूद 50 प्रत्याशी चुनावी जंग में डटे हुए हैं। इसके बाद पौडी जनपद में 5 द्वारा नाम वापस लेने के बावजूद 47 प्रत्याशी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। टिहरी में 4 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापसी के बाद भी 38 उम्मीदवार चुनावी जंग में डटे हुए हैं। वहीं चमोली जनपद में 3 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस ले जाने के बाद 31 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं । पिथौरागढ़ जनपद में 3 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेने के बावजूद 28 प्रत्याशी मैदान में डटे हुए हैं। रुद्रप्रयाग में 2 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेने के बाद 25 प्रत्याशी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। उत्तरकाशी में 4 प्रत्याशियों द्वारा नाम ली जाने के बाद 23प्रत्याशी मैदान में रह गए हैं। बागेश्वर जनपद में 3 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लेने से अब चुनाव मैदान में केवल 14 प्रत्याशी रह गए हैं। वही सबसे कम एक प्रत्याशी द्वारा नाम वापस ले जाने के बाद चंपावत जनपद में भी 14 प्रत्याशी मैदान में रह गए हैं।

उत्तराखंड में नाम वापसी के मामले में भाजपा, कांग्रेस से मात खा गई। भारतीय जनता पार्टी जहां अपने 20 विद्रोही प्रत्याशियों से केवल 5 विद्रोही प्रत्याशी ही नाम वापिस लेने के लिए भाजपा के आला नेता मना पाए। वहीं कांग्रेस अपने 15 विद्रोहियों मे से 8 को नाम वापस लेने के लिए मनाने में सफल रही। प्रदेश में नाम वापस लेने वाले प्रमुख नेताओं में प्रदेश के पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शूरवीर सजवान प्रमुख हैं ।नाम वापसी का इनाम देते हुए कांग्रेस ने शूरवीर सजवान को प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। दूसरी तरफ लैंसडौन के सबसे प्रबल प्रत्याशी रघुवीर बिष्ट के सम्मान में कांग्रेस पार्टी ने उनको प्रदेश का महामंत्री बनाने के साथ प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल किक चुनाव क्षेत्र का प्रभारी नियुक्त किया है उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर आए पूर्व काबीना मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू को कांग्रेश आला नेतृत्व ने लैंसडाउन सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया है ।इससे क्षेत्र की जनता और रघुवीर बिष्ट समर्थकों में काफी आक्रोश था। श्री बिष्ट विगत दो दशक से निरंतर क्षेत्र के लोगों के सुख-दुख में सेवारत है । रघुवीर बिष्ट के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की कमान संभालने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अपनी जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं गौरतलब है कि रघुवीर बिष्ट न केवल कुशल प्रखर वक्ता है अपितु उनका जनता में व्यापक जनसंपर्क भी है इसका लाभ निश्चित रूप से कांग्रेस को वह प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को मिलेगा।

वही दल के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ने विद्रोही प्रत्याशियों पर अनुशासन की गाज गिरा दी है। तमाम गुहार लगाने के बावजूद जब रुद्रप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विद्रोही प्रत्याशी पूर्व मंत्री मातवर कंडारी,रामनगर से संजय नेगी,लालकुआं से संध्या डालाकोटी,यमुनोत्री से संजय डोभाल को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित कर दिया गया

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