उत्तराखंड देश

उतराखण्ड की जनता के मुख्यमंत्री  के पसंदीदा नेता हरीश रावत की राह में अवरोध खडा करने वाले उतराखण्ड व कांग्रेस के दुश्मन तथा भाजपा के हैं मोहरे

 

हरीश रावत के एक ट्वीट् से उतराखण्ड से उतराखण्ड जनभावना विरोधी ताकतें बेनकाब तथा दिल्ली के सियासी जगत में आया भूकंप

देवसिंह रावत-

22 दिसम्बर यानी कल सुबह 11 बजे के करीब जैसे ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने एक ट्वीट किया तो देश के खबरिया चैनलों व इंटरनेटी जगत के द्वारा उतराखण्ड सहित देश के सियासी जगत में एक प्रकार का भूकंप आ गया। इसका इतना प्रभावकारी रहा कि लोग दलीय चर्चा के बजाय हरीश रावत पर चर्चा केंद्रीत हो गया। चुनावी माहौल में चर्चा में बना रहना भी एक कुशल राजनेता की कुशलता समझी जाती है। यह इतना प्रभावकारी रहा कि कांग्रेस आला नेतृत्व ने हरीश रावत सहित कांग्रेस के अन्य दिग्गजों को 23 दिसम्बर को दिल्ली तलब किया है। ऐसे में देश का राजनीति समझ रखने वाला जनमानस के साथ उतराखण्ड के हक हकूकों की रक्षा के लिए संघर्षरत समर्पित उतराखण्डी हैरान है कि आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की कमजोर कड़ी पर करारी चैट करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व हरीश रावत को मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों घोषित न करके भाजपा को क्यों मजबूती दे रहा है? हरीश रावत की तरह भले ही उतराखण्ड में आधा दर्जन से अधिक (भगतसिंह कोश्यारी, भुवनचंद खंडूडी, विजय बहुगुणा, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र रावत, तीरथ रावत, अब पुष्कर सिंह धामी ) पूर्व मुख्यमंत्रियों की एक लम्बी जमात है। परन्तु जो लोकप्रियता व उतराखण्ड के हित में अपने कार्यो तथा सक्रियता से आज भी प्रदेश के तमाम नेताओं पर अकेले ही 21 साबित हो रहे है। यही कारण है कि प्रदेश की जनता दलगत राजनीति से उपर उठकर तमाम सर्वेक्षणों में उनको 2022 के होने वाले विधानसभा चुनाव में उतराखण्ड का भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। भले ही हरीश रावत ने एक मंझे व कुशल राजनेता के रूप में सही समय पर ट्वीट कर आला कमान को चुनावी समर के प्रारंभ में ही उतराखण्ड व कांग्रेस के हितों पर कुठारघात करने वाले भाजपा के मोहरे बने पदलोलुपुओं के कृत्यों से सचेत कर दिया। हरीश रावत भले ही सार्वजनिक व खबरिया चैनलों में इन मगरमच्छो का नाम उजागर नहीं कर एक समर्पित कांग्रेसी का फर्ज निभा रहे हैं। वहीं जनता जानती है कि ये मगरमच्छ कौन है। ये है प्रदेश गठन की जनांकांक्षाओं को रौंदकर केवल पर पर काबिज होने के लिए लालायित नेता। जिनका न तो प्रदेश के सुख दुख से कोई सरोकार रहा व नहीं इनका अपने क्षेत्र से बाहर कोई प्रभाव है। इनको गैरसैंण के नाम से ठण्ड लग जाती है। ऐसे लोग जो केवल पदलोलुपुता के लिए प्रदेश को भाजपा की झौली में धकेलने का ही काम कर रहे है। उतराखण्ड की जनता की मुख्यमंत्री के लिए पसींदा हरीश रावत को सबल करने के बजाय कमजोर करके हरीश रावत का विरोध करने वाले पदलोलुपु लोगों के विरोध को स्वर देकर कांग्रेस नेतृत्व को गुमराह करने वाले तथाकथित कांग्रेसी न तो कांग्रेस का ही भला कर रहे हैं व नहीं उतराखण्ड का। हाॅ वे प्रदेश की सत्ता से भाजपा को उखाड फेंकने में सक्षम जनप्रिय नेता हरीश रावत का निहित स्वार्थ के खातिर विरोध करने वाले जान अनजाने भाजपा के हाथों का ही मोहरा बन गये है। अब कांग्रेस नेतृत्व को एक बात साफ समझ लेनी चाहिए कि हरीश रावत प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस के तमाम नेताओं से कई गुना बेहतर जनता में लोकप्रिय व जनहित के कार्य करने वाले नेता के रूप में जाने जाते है। प्रदेश में कांग्रेस में कोई दूसरा ऐसा नेता नहीं है जिसके नाम पर प्रदेश की जनता जनादेश दे । ये तमाम पद पर आसीन हो कर हरीश रावत का विरोध कर रहे हैं। इनका इनकी विधानसभा क्षेत्र को छोड कर प्रदेश में कहीं कोई निर्णायक प्रभाव नहीं है। न हीं इनका प्रदेश हित के लिए संघर्ष करने का वर्तमान व भूत में कोई इतिहास ही है। एक प्रकार से इन कांग्रेसी कागची शेरों के विरोध के नाम पर कांग्रेस नेतृत्व प्रदेश में जनता का पसींदा मुख्यमंत्री के दावेदार हरीश रावत को मुख्यमंत्री का प्रत्याशी न बना कर उतराखण्ड व कांग्रेस के हितों पर कुठाराघात कर रही है। ये तमाम विरोधियों का प्रदेश में अन्यत्र कोई वजूद नहीं है। पता नहीं प्रदेश में कांग्रेस के ये तथाकथित लोग भाजपा की राह आसान बनाने में जुटे हेै?
जिस ट्वीट ने देश की राजनीति में झंझावत खडा किया। वह ट्वीट 22 दिसम्बर को हरीश रावत ने एक साथ 3 ट्वीट किया कि
चुनाव रूपी समुद्र
है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है,(1/3)

सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है! ,(2/3)

फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है न दैन्यं न पलायनम् बड़ी उपापोह की स्थिति में हूंँ, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।,(3/3) ।
उतराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 में जनता की नजरों में मुख्यमंत्री के सबसे पसींदा चेहरे हरीश रावत द्वारा इस एक ट्वीट के साथ की गई उनकी दो टिप्पणी से प्रदेश में नई सरकार चुनने की सरगर्मियों में व्यस्त राजनैतिक लोग व आम जनता तरह तरह के कायश लगाने लग गये । उनके समर्थक जहां कांग्रेस नेतृत्व से हरीश रावत को उतराखण्ड विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग करने लगे। वहीं प्रदेश की राजनीति में हरीश रावत के घोर विरोधी कहने लगे कि कांग्रेस नेतृत्व ने हरीश रावत को मुख्यमंत्री के दावेदार से दूर किया। वहीं प्रदेश के हितों के लिए संघर्ष करने वाले उतराखण्डी जनमानस इसे बेहद आहत नजर आया। क्योंकि दलगत राजनीति से उपर उठकर उतराखण्ड के हितों के लिए संघर्ष करने वाले आंदोलनकारियों, राजनीतिज्ञों, चिंतकों व समाजसेवियों को इस बात का भान है कि आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में उतराखण्ड में सत्तारूढ़ होने वाले राजनैतिक दलों के मुख्यमंत्री के संभावित प्रत्याशियों में केवल हरीश रावत ही ऐसे सक्षम व अनुभवी कुशल नेता है जो उतराखण्ड के हक हकूकों व राज्य गठन की जनांकांक्षाओं की न केवल समझ है अपितु इनको साकार करने के लिए संघर्षरत है तथा इनको सत्तारूढ़ होकर साकार का सार्वजनिक वादा भी कर रहे है। वहीं अधिकांश मुख्यमंत्री के दावेदार तो न तो उतराखण्ड की जनांकांक्षाओं व राज्य गठन की जनांकांक्षाओं (राजधानी गैरसैंण, मुजफरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को दण्डित कराना, भू कानून व मूल निवास कानून बनाना, जनसंख्या पर आधारित विधानसभा विधानसभाई सीटों के परिसीमन पर अंकुश लगाना, सुशासन स्थापित करना व उतराखण्ड के जल व वन संसाधनों की बंदरबाट को रोकना) का भान है व नहीं इसको साकार करना इनकी कोई प्राथमिकता है। यही नहीं ये अपने पद व दलीय इत्यादि स्वार्थ के कारण इन प्रमुख मांगों को अपनी जूबान पर लाने का साहस तक नहीं करते।
लोग इससे भी हैरान है कि उतराखण्ड से विश्वासघात करके निराश करने वाली सत्तारूढ़ भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में परास्त करके जनांकांक्षाओं का साकार करने में समर्थ व बचनबद्ध प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कांग्रेस आलाकमान क्यों मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित करके भाजपा को परास्त नहीं कर रहे हैं।? हालांकि हरीश रावत ने इस ट्वीट व फेसबुक इत्यादि इंटरनेटी आभाषी समाचार जगत में अपना उक्त संदेश देने के बाद इस मामले में भले ही चुप्पी साध कर एक प्रकार से गेंद कांग्रेस आलाकमान के पाले में डाल दी।
इस मामले के तह में जाने के लिए टाइम्स नाउ नवभारत नामक राष्ट्रीय खबरिया चैनल की तेज तरार वरिष्ठ पत्रकार नाविका कुमार ने हरीश रावत से सीधे संवाद में दो टूक सवाल पूछा कि वे मगरमच्छ कौन जिन्होने हरीश रावत के रास्ता रोक दिये? यह हरीश रावत का दिल्ली आलाकमान को खुली चुनौती है? इसके जवाब में हरीश रावत ने बहुत ही सटीक शब्दों में बताया कि छोटे राज्यों में प्रदेश की जनता जनादेश देते समय दल के साथ दल के मुख्यमंत्री दोनों को देख जांच तोलकर प्रमुखता से करते हैं। छोटे राज्यों में लोग व्यक्ति के साथ दल को भी देखना चाहते। यह आंदोलनो से निकला राज्य है। लोग यह देखते हैं कि उस दल को यहां का भूगोल व इतिहास का पता है कि नहीं। राज्यों में नेतृत्व को मजबूत कराना है। तभी राज्यों के साथ केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार बन कर राहुल गांधी की सरकार बनेगी। उन्होने इसके लिए कांग्रेस नेतृत्व को यह बात बता दी गयी है। आशा है कि कांग्रेस नेतृत्व जनभावनाओं को समान करेगी। पर जैसे ही नाविका कुमार ने पूछा कि आपके पीछे मगरमच्छ किसने लगाया। तो हरीश रावत ने बहुत ही चतुराई से कहा कि हमें धमकी दी जाती है कि आप मुंह न खोलो नहीं तो आप पर चल रहे वाद के आधार पर आप शिकंजे में जकड़ दिये जाओगे।
उतराखण्ड में हम जीतेंगे। हमारा स्वभाव चेतावनी देना नहीं है। नम्रता से मेने अपनी पार्टी के समक्ष अपनी बात रखी।
हालांकि हरीश रावत ने ट्वीट करने के 4 घण्टे के अंदर ही देहरादून में जिस प्रकार से उतराखण्ड राज्य गठन कराने के लिए समर्पित रही उतराखण्ड क्रांति दल के अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी व पूर्व अध्यक्ष पुष्पेश त्रिपाठी आदि साथियों के साथ एक शिष्टाचार भैंट की। इस भैंटवार्ता की भनक लगते ही उतराखण्ड के लिए समर्पित लोग हरीश रावत को उक्रांद में सम्मलित होने की सलाह देने की बाढ़ इंटरनेटी संवाद मंचों में आ गयी। इस भैंट को खुद हरीश रावत ने ट्वीट कर उजागर किया। पहली टवीट के बाद 4 बजे के आसपास हरीश रावत ने पुन्न एक ट्वीट किया कि
#dehradun
आज देहरादून स्थित आवास पर प्रातः उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष श्री काशी सिंह ऐरी जी एवं पूर्व विधायक/ अध्यक्ष श्री पुष्पेश त्रिपाठी जी सहित उनके अन्य साथियों ने शिष्टाचार भेंट की।
#UKD #uttarakhand
@INCIndia
@INCUttarakhand
उसके बाद हरीश रावत ने पहले टवीट के 4 घण्टे बाद एक टवींट किया। जिसका साफ र्सदेश यह है कि वे उतराखण्डियों के साथ साथ अल्पसंख्यक समुदाय के चेहते भी है। हरीश रावत ने ट्वीट किया कि

#dehradun
आज कांग्रेस भवन देहरादून में आयोजित के क्रिसमस मिलन समारोहष्कार्यक्रम में प्रतिभाग किया, आप सबको क्रिसमस की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं। इस दौरान /@INCUttarakhand
के अध्यक्ष श्री @UKGaneshGodiyal जी,

क्रिश्चियन समुदाय के भाई-बहन, कांग्रेस के वरिष्ठ नेतागण एवं कांग्रेसजन मौजूद रहे।
#uttarakhand #Congress
@INCIndia
@RahulGandhi
@INCUttarakhand
हरीश रावत ने 23 दिसम्बर 2021 को अपने टवीटर पर एक ट्वीट किया। पिथोरागढ़ में विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए हरीश रावत ने कहा कि पिछले समय हमें पर्याप्त समय नहीं मिल पाया। उसके बाबजूद हमने उतराखण्ड के खाद्यान्नों को दिल्ली मुम्बई सहित भारत के बाजार में स्थान दिललाया। अब मेरा आपसे वादा है कि आप कांग्रेस की सरकार बनाये मै मंडवे गहथ,भट्ट, कोणी, झंगोरा आदि उतराखण्डी खाद्यानों का बाजार देश के शहरों के साथ लंदन, अमेरिका आदि बाजारों को उतारने का काम करेंगें। इस प्रकार हरीश रावत उतराखण्ड की राजनीति में अपने उतराखण्डी हक हकूकों के लिए आवाज उठाकर आज प्रदेश की जनता का मुख्यमंत्री का पहला पसींदा चेहरा बन गये है। अब कांग्रेस नेतृत्व को फैसला करना है कि वह जितना जल्द ही प्रदेश भाजपा की सबसे कमजोर कड़ी मुख्यमंत्री का चेहरा का उतर कांग्रेस का जनप्रिय नेता हरीश रावत को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर भाजपा को मात देना चाहती है या भाजपा के मोहरे बने व कागची शेरों की बातों में उलझ कर हरीश रावत को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं घोषित करते हैं।

इसके साथ यह भी जग जाहिर है कि हरीश रावत कांग्रेस से विद्रोह नहीं करने वाले वे केवल कांग्रेस नेतृत्व से सही काम कराने के लिए यह दाव चल रहे हैं।

 

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